उत्तराखंड का शासन प्रशासन देखकर तो लगता हैं की दूरदर्शिता व तंत्र पूरी तरह ध्वस्त हो चुका हैं। इसका ताजा उदहारण हमें नैनीताल के हल्द्वानी क्षेत्र में देखने को मिला जंहा लोग प्रशासन के हर बार मिलने वाले झुनझुने से त्रस्त होकर अपने अधिकारों के लिए रोड पर आकर आत्मदाह करने पर उतारू हो गए।
मामला हल्द्वानी तहसील से महज 8 किलोमीटर दूर स्थित के राजस्व ग्राम हिम्मतपुर नक़ायल से सम्बंधित हैं जो की एक राजस्व ग्राम हैं व कृषि, पशुपालन ही एकमात्र जीविका का सहारा हैं। इस गांव की बसावट भारत के स्वतंत्र होने से पहले की हैं व 73 साल स्वतंत्रा को बीतने वाले हैं लेकिन गांव वाले आज भी विकास व सुविधाओं से वंचित हैं।
वर्ष 2013 में पूर्व मंत्री हरीश दुर्गापाल के प्रयासों से तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री हरीश रावत ने इस ग्राम के लिए पुल व रोड की घोषणा की थी जो आजतक लाटी सरकार के कारण पूरी नहीं हो सकी हैं। क्योकि प्रशासनिक पकड़ व दूरदर्शिता अभाव जब प्रदेश के मुखिया में होगा तो व्यवस्था बेलगाम हो ही जायेगी और हमारा मुख्यमंत्री तो लाटा ठहरा।
आज जितने भी विभाग मुख्यमंत्री के पास हैं उन सबकी कुकुरगत हो रखी हैं। चाहे स्वास्थ हो, लोक निर्माण विभाग, औद्योगिक विकास, लोक शिकायते या अन्य कोई भी विभाग हो सबका बंटाधार किया हुआ हैं अगर कोई विभाग तरक्की में हैं तो वो हैं शराब, खनन व भ्रष्टाचार। हमारे प्रिय लाटे के अलावा सभी को मालूम हैं की भ्रष्टाचार चरम पर हैं।
चलिए मुद्दे पर आते है, 2013 में घोषणा के बाद काम गनेल (SNALE) की गति से चालू हुआ और भारत सरकार की आपत्तियों के कारण अटक गया और वन विभाग ने बार बार की आपत्तियों के कारण इस फाइल को ठन्डे बस्ते में डाल दिया। जब यह मुद्दा हमारे संज्ञान में आया तो हमारे प्रतिनिधि व जुझारू सामजिक कार्यकर्ता श्री जीवन पंत ने सूचना के अधिकार के अंतर्गत इस विषय में विभाग से पत्राचार किया तो पता लगा की वन विभाग बार बार एक ही आपत्ति का जवाब सही से नहीं दे पा रहा था जिसके कारण पर्यावरण विभाग बार बार आपत्तियां लगा रहा था।
श्री जीवन पंत ने इन आपत्तियों का जवाब देने आ बीड़ा उठाया और स्थानीय विभाग जो की लोक निर्माण विभाग व वन विभाग थे उनके साथ पत्राचार व मीटिंग चालू की जिसके बाद FP/UK/ROAD/9658/2015 फाइल को आपत्तियों का सही सही जवाब देकर भारत सरकार के पर्यावरण विभाग से अनुमति प्राप्त की इसके बाद यह मामला फिर भूमि हस्तांतरण में फ़सा जिसे श्री पंत द्वारा गढ़वाल कमिश्नर से कई दौर की बात करके करवाया।
यह सभी मामले वर्ष 2017-18 का हैं व श्री पंत भी सभी आपत्तियों को हटवाकर अपने कामो में व्यस्त हो गए व जून 2020 में उनकी बात गांव के कुछ लोगो से हुई तो मालूम चला की गांव में अभी तक पुल व सड़क नहीं आई है। इस बात को लेकर उन्हें घोर आश्चर्य हुआ क्योकि अब सिर्फ DPR का ही काम बचा था। उन्होंने वस्तुस्थति जानने के लिए लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खंड नैनीताल से संपर्क साधा तो उन्हें कोई सही उत्तर नहीं मिला।
अतः उन्होंने अभी तक हुई सभी कार्यवाही को जानने के लिए सूचना के अधिकार का प्रयोग किया व जवाब को देखर उन्हें सच में आश्चर्य हुआ क्योकि लोक निर्माण विभाग ने देहरादून की फर्म ट्रांसपेन इंफ़्रा को इस DPR का काम 28-06-2019 को सौपा था व उन्हें उस DPR को पूरा करके 27-09-2019 को लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खंड को सौप देना था जो की आजतक नहीं सौपा गया था।
सूचना के अधिकार से प्राप्त जानकारी के अनुसार लोक निर्माण विभाग ट्रांसपेन इंफ़्रा के पक्ष में लिखता हैं की बरसात का माह होने के कारण कंपनी को DPR देने में विलम्ब हुआ व उसके पक्ष में उन्होंने कोई भी पत्र नहीं दिया जबकि सूचना के अधिकार में साफ़ दिया गया हैं की आप अपनी और से कोई भी उत्तर नहीं देंगे व जो सूचना उनके पास हैं उसी को ही दिया जायेगा।
सबसे मजेदार बात तो यह थी की लोगो के अनुसार क्षेत्रीय विधायक नवीन दुमका ने अपने स्तर पर एड़ी चोटी का जो लगाया हुआ हैं इस पुल व सड़क को लेकर जबकि श्री जीवन पंत को प्राप्त सूचना के अनुसार विद्यायक नवीन दुमका ने एक भी पत्र ग्राम नक़ायल के रोड व पुल के सम्बन्ध में इस कार्यालय को आजतक नहीं लिखा हैं। क्या श्री दुमका जी नहीं जानते की सरकारी कामो में लिखित की क्या एहमियत होती हैं ?
जब यह सूचना श्री पंत ने गॉव वालो की दी तो वो अपने साथ हुए इस छलावे से अचंभित व ठगा हुआ महसूस कर रहे थे। आनन फानन में गांव वालो ने जिसमे प्रकाश पांडेय, बद्री दत्त भट्ट, मयंक पांडेय, राजू पांडेय, त्रिलोक चंद्र भट्ट, लक्ष्मण सिंह, दीवान सिंह, संदीप पांडे, सुरेंद्र सिंह, वैशाली भट्ट, प्रेमा, रमेश चंद्र, तुला सिंह बिष्ट, कमल सिंह, शंकर दत्त भट्ट, बालम सिंह मेहता, मोहन सिंह चिलवाल, हेमंत मुखर्जी, विनोद भट्ट, भाष्करानंद भट्ट इत्यादि शामिल हुए और सर्वसम्मति से यह फैसला हुआ की आगामी 15 अगस्त को गांव के सभी लोग प्रशासन की वादा खिलाफी के कारण आत्मदाह करेंगे व इस बाबत इन लोगो ने एक पत्र जिलाधिकारी सविन बंसल, एसएसपी मीणा व अन्य लोगो को भेजा व व्हात्सप्प के द्वारा वो पत्र मुख्य सचिव उत्तराखंड, आयुक्त कुमाऊ व अन्य गणमान्य लोगो को सूचना व कार्यवाही के लिए भेजा।
आज एक अखबार ने इस खबर को प्रमुखता से छापा व सूचना मिलने के कारण LIU व अन्य विभाग तुरंत ही हरकत में आ गए और गांव वालो से इसकी और खोज खबर लेने लगे क्योकि सभी पहले से ही इस बात पर सहमत थे की प्रशासन व विधायक के खिलाफ हमे अब आगे आना ही होगा इसलिए आज पूरा का पूरा प्रशासनिक अमला ग्राम हिम्मतपुर नक़ायल में आया था लेकिन सूखी नदी में पानी के कारण वो नदी किनारे ही खड़ा रहा व आनन् फानन में गांव वालो ने उनके लिए एक ट्रैक्टर का प्रबंध किया व जबतक ट्रेक्टर आता सूखी नदी का पानी उतर चुका था।
सभी लोग गांव में अपनी अपनी सरकारी गाडी से आये व लोगो से वार्तालाप करने लगे। मुख्यतः प्रकाश पांडेय ही वार्ता की अगुआई कर रहे थे। प्रशासनिक अमला उन्हें यह समझाने में लगा था की यह सब प्रक्रिया के तहत ही हो रहा हैं व उसी के कारण देरी हुई हैं। उप जिलाधिकारी तो और भी महान निकले जब लोगो ने कहा की पूर्व उप जिलाधिकारी वाजपई ने हमें 6 माह का समय दिया था तो यह आजतक क्यों नहीं बना। तब उप जिलाधिकारी लोगो को बोलते हैं की मैं डेढ़ वर्ष से यंहा हूँ अगर आपलोगो को परेशानी थी तो मुझसे क्यों नहीं मिले।
शायद उप जिलाधिकारी विवेक राय भूल गए हैं की भारत में तंत्र काम करता हैं व्यक्ति नहीं? विवेक राय जी यह आपको जानना था की इस क्षेत्र की क्या क्या समस्याएं हैं व पूर्व में रहे अधिकारियो ने उसपर क्या क्या कार्य किया हैं व कितना काम बाकी हैं, ना की लोगो को आपके पास आना चाहिए। प्रशासनिक व्यवस्था कहती हैं की आप लोगो को लोगो की समस्याए सुनने के लिए उनके लिए उपयुक्त / सुगम स्थान पर आये।
इसी बीच श्री पंत की बातचीत गौलापार के जुझारू व सूचना अधिकार कार्यकर्ता से बात हुई व उन्होंने बताया की ट्रांसपेन इंफ़्रा ने 24-07-2020 को एक पत्र भारतीय प्रोधोगिकी संस्थान, बनारस के श्री के के पाठक जी को एक पत्र लिखा हैं जिसमे उन्होंने कहा हैं की लच्छमपुर नक़ायल समेत कुछ अन्य पुलों की रूपरेखा तैयार हैं व आपको उसका पुनरिक्षण करना हैं।
हमने वही पत्र भारतीय प्रोधोगिकी संस्थान, बनारस के निदेशक को भेजा की वो इसपर अतिशीघ्र कार्यवाही करे ताकि काम जल्द से जल्द शुरू हो सके। शाम को 8 बजे के आसपास श्री के के पाठक जी का पत्र आता हैं जिसमे वो बताते हैं की उनके पास कोई भी दस्तावेज पुनरिक्षण के लिए नहीं आया हैं। इस पत्र को पढ़कर श्री पंत आश्चर्यचकित हो गए क्योकि ट्रांसपेन इंफ़्रा ने भारतीय प्रोधोगिकी संस्थान, बनारस को यह पत्र 20 दिन पहले भेजा था।
श्री पंत ने यह पत्र को सभी गांव वालो, अधिकारियो को भेजा ताकि प्रतिक्रिया मिल सके व कार्यवाही सही दिशा में हो। आज यानी की शुक्रवार को एक पत्र ट्रांसपेन इंफ़्रा की और से श्री पंत को आता हैं जिसमे यह कहा जाता हैं की ट्रांसपेन इंफ़्रा ने दिसंबर 2019 को ही DPR प्रांतीय खंड लोक निर्माण विभाग, नैनीताल को सौप दी हैं व उसका 1,50,000 रुपया उन्हें अभी तक नहीं मिला हैं।
सोचने वाली बात हैं की यदि ट्रांसपेन इंफ़्रा ने दिसंबर 2019 में ही DPR प्रांतीय खंड को दे दी थी तो उन्होंने 24-07-2020 को भारतीय प्रोधोगिकी संस्थान, बनारस को पत्र क्यों लिखा की नैनीताल स्थित लच्छमपुर नक़ायल के पुल के प्रारूप का पुनरिक्षण करे?
आज प्रशासनिक अमले ने फिर लोगो के हाथ में एक माह का झुनझुना देकर उन्हें मना लिया हैं। लोगो को आश्वासन देकर अपना काम निकालना यही प्रशासन की खूबी होती हैं उन्हें इससे कोई मतलब नहीं की इससे किसको कितनी परेशानी हो रही हैं।
हम आशा के अलावा कुछ नहीं कर सकते की लोगो को एक माह में उनकी परेशानियों का हम मिल जाए। लाटी सरकार के राज में आशा आशा भी मरू में पानी ढूंढने के समान हैं।
वैसे भी जब प्रदेश का मुखिया लाटाधीश तो कर्मचारी “बने रहो नुल, तन्खाह लो फुल” की नीति का पालन करते हैं।