जानकारी व उचित चिकित्सा के अभाव में चमकी बुखार जिसे अक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम भी कहते हैं इससे बिहार में अब तक 54 बच्चो की मौत हो चुकी हैं|
बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में संदिग्ध अक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) जिसे चमकी बुखार भी कहा जा रहा है की वजह से अब तक 54 बच्चों की मौत हो चुकी है। इस साल जनवरी से अब तक कुल 179 संदिग्ध AES के मामले सामने आ चुके हैं। बच्चों की मौत के लिए लीची को भी दोषी ठहराया जा रहा है। कहा जा रहा है कि बच्चों के खाली पेट लीची खाने से वे इस सिंड्रोम की चपेट में आए। क्या वाकई ऐसा है? क्या लीची खाने से मौत संभव है? जानिए बिहार में हर साल बच्चों की जान का दुश्मन बना अक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम है क्या और उसका लीची से क्या कनेक्शन है।
अक्यूट इंसेफेलाइटिस को बीमारी नहीं बल्कि सिंड्रोम यानी परिलक्षण कहा जा रहा है, क्योंकि यह वायरस, बैक्टीरिया और कई दूसरे कारणों से हो सकता है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मानें तो अब तक हुई मौतों में से 80 फीसदी मौतों में हाइपोग्लाइसीमिया का शक है। शाम का खाना न खाने से रात को हाइपोग्लाइसीमिया या लो-ब्लड शुगर की समस्या हो जाती है, खासकर उन बच्चों के साथ जिनके लिवर और मसल्स में ग्लाइकोजन-ग्लूकोज की स्टोरेज बहुत कम होती है। इससे फैटी ऐसिड्स जो शरीर में एनर्जी पैदा करते हैं और ग्लूकोज बनाते हैं, का ऑक्सीकरण हो जाता है।
‘द लैन्सेट’ नाम की मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक रिसर्च की मानें तो लीची में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले पदार्थ जिन्हें hypoglycin A और methylenecyclopropylglycine (MPCG) कहा जाता है , शरीर में फैटी ऐसिड मेटाबॉलिज़म बनने में रुकावट पैदा करते हैं। इसकी वजह से ही ब्लड-शुगर लो लेवल में चला जाता है और मस्तिष्क संबंधी दिक्कतें शुरू हो जाती हैं और दौरे पड़ने लगते हैं। अगर रात का खाना न खाने की वजह से शरीर में पहले से ब्लड शुगर का लेवल कम हो और सुबह खाली पेट लीची खा ली जाए तो अक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम AES का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
बताया जा रहा है कि गर्मी के मौसम में बिहार के मुजफ्फरपुर और आसपास के इलाके में गरीब परिवार के बच्चे जो पहले से कुपोषण का शिकार होते हैं वे रात का खाना नहीं खाते और सुबह का नाश्ता करने की बजाए खाली पेट बड़ी संख्या में लीची खा लेते हैं। इससे भी शरीर का ब्लड शुगर लेवल अचानक बहुत ज्यादा लो हो जाता है और बीमारी का खतरा रहता है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने माता-पिता को सलाह दी है कि वे बच्चों को खाली पेट लीची बिलकुल न खिलाएं।
जानकारी व सावधानी ही बचाव हैं| यदि आपको अपने बच्चे में इनमे से कोई भी लक्षण दिखाई दे तो तुरंत चिकित्सक की पास जाए|
-शुरुआत तेज बुखार से होती है
-फिर शरीर में ऐंठन महसूस होती है
-इसके बाद शरीर के तंत्रिका संबंधी कार्यों में रुकावट आने लगती है
-मानसिक भटकाव महसूस होता है
-बच्चा बेहोश हो जाता है
-दौरे पड़ने लगते हैं
-घबराहट महसूस होती है
-कुछ केस में तो पीड़ित व्यक्ति कोमा में भी जा सकता है
-अगर समय पर इलाज न मिले तो पीड़ित की मौत हो जाती है। आमतौर पर यह बीमारी जून से अक्टूबर के बीच देखने को मिलती है।