हल्द्वानी में गौलापार के चोरगलिया आमखेड़ा सीट में इस बार सबसे रोचक मुकाबला देखने को मिल रहा था, जिसमें निर्दलीय प्रत्याशी निवेदिता जोशी ने बंपर जीत दर्ज की है, यहां से कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी पूर्व ब्लाक प्रमुख संध्या डालाकोटी और भाजपा से ममता कार्की मैदान में थी।
कांग्रेस प्रत्याशी संध्या डालाकोटी के लिए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने जमकर प्रचार भी किया था तो वहीं भाजपा प्रत्याशी ममता कार्की के लिए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और सांसद अजय भट्ट समेत पूरे जिले के पदाधिकारियों ने भी चुनाव प्रचार किया था| इसके बाद भी दोनों राष्ट्रीय पार्टियों के चर्चित चेहरों को नकार कर जनता ने निर्दलीय प्रत्याशी को अपना वोट देकर विजयी बनाया है|
गौलापार में निवेदिता जोशी की जीत ने राज्य की दोनों बड़ी पार्टियों के समीकरणों को बिगाड़कर रख दिया हैं क्योकि चुनाव का मतलब शराब, पैसा व पार्टी में पकड़ को माना जाता था| लेकिन रवि शंकर जोशी व निवेदिता जोशी ने उस परिपाटी को आज तोड़ दिया हैं| उन्होंने दिखा दिया है की यदि आपमें सच्चाई व लगन हैं तो आपके लिए कोई भी राह मुश्किल नहीं हैं|
आज नैनीताल जिले में रवि शंकर जोशी अगर एक जाना माना नाम हैं तो उसके पीछे उनका समस्याओ को जड़ निर्मूल करने का नजरिया रहा है| परिस्थितिया चाहे कितनी भी विपरीत रही हो यह जवान उनपर अडिगता से खडा रहा और उसने उससे सम्बंधित हर चुनोती को हसकर स्वीकारा है|
रवि कितनी ही बार जान से मारने की धमकिया मिली लेकिन वो शख्श अडिग व संयमित रहा और नितन्तर धैर्य के साथ समस्याओ से दो चार होता रहा| यह उनके सूचना के अधिकार व न्यायिक प्रयासों का ही असर हैं जिसके कारण गौला में अवैध खनन, हल्द्वानी से गौलापार तक जाने वाली सड़क का चौडीकरण हो पाया|
रवि शंकर जोशी अपनी दूरगामी सोच व निष्पक्षता के कारण सरकार की नीतियों से हमेशा दो चार होते रहे हैं| उन्ही के प्रयासों का नतीजा है की गौलापार में बनने वाले बस अड्डे को लेकर सरकार असमंजस में हैं क्योकि करोडो रुपया खर्च करने के बाद सरकार ने उस बस अड्डे को वंहा से हटाकर तीन पानी में अपने एक कद्दावर नेता को फायदा पहुचाने के लिए स्थानांतरित कर दिया| लेकिन रवि ने इसे गौलापार के लोगो के साथ धोखा बताया और उत्तराखंड उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका डाल दी जिससे की बस अड्डा उसी क्षेत्र में ही बने व क्षेत्र का विकास हो सके|
रवि का भ्रष्ट प्रशासनिक व्यवस्था से हमेशा छत्तीस का आकड़ा रहा और यही कारण हैं जब राज्य सरकार ने गोलापार में पुनर्वास के लिए आवास बनाने की बात की तो रवि ने इस क्षेत्रीय अस्मिता पर प्रहार व गौलापार की संस्कृति में घुसपेठ बताकर इसका पुरजोर विरोध किया व इसके विरोध में उन्होंने लोगो के साथ मिलकर हल्द्वानी में एक रैली भी निकाली थी जिसके फलस्वरूप प्रशासन ने दबाव में आकर उनके ऊपर एक राजनितिक केस भी दर्ज किया था जबकि उससे कुछ दिन पहले ही हरीश रावत ने उसी मार्ग पर रैली निकाली थी और जाम भी लगाया था लेकिन प्रशासन ने कोई भी कार्यवाही नहीं की थी|
यही नहीं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् ने मोतीराम बाबूराम कॉलेज चुनाव के दौरान पूरा का पूरा रास्ता रोककर नामांकन दाखिल किया था और उस रैली में युवक ऑटो के ऊपर बैठकर नामांकन करने आये थे लेकिन पुलिस व प्रशासन ने उसे पूरी तरह नकार दिया क्योकी वो सत्ता पक्ष के लोग थे| दरअसल सरकार यह नहीं हजम कर पा रही थी की एक अदना सा लड़का उनकी सत्ता को चुनोती दे लेकिन वो भूल गए थे की होसले अगर अडिग हो व उद्देश्य लोकहित हो तो कोई भी मंजिल मुश्किल नहीं और आज यह साबित भी हो गया हैं|
रवि शंकर जोशी व निवेदिता जोशी को विजय की बधाईया व शुभकामनाये क्योकि ये तो शुरुआत हैं और सत्ता में रहकर सत्ता से लड़ना बहुत कठिन होता है|
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