आजकल फेसबुक में लोगो द्वारा ग्रुप बनाने की होड़ सी लगी हुई हैं और हर ग्रुप अपने को क्षेत्र का सबसे बड़ा हितेषी सिद्ध करने में लगा हुआ हैं यह ग्रुप लोगो की सेवा कम हितो को साधने का सबसे सस्ता, टिकाऊ व असरकारी साधन बना हुआ हैं|
हल्द्वानी क्षेत्र में ही अनगिनत ग्रुप हल्द्वानी के नाम से चल रहे हैं जो सामजिक कार्यो में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते रहे हैं कोई रक्तदान करा रहा हैं कोई रानीबाग व सडको की सफाई, कोई पर्यावरण को लेकर और कोई ग्रुप बच्चो की शिक्षा प्रसार में लगा हुआ हैं| ग्रुप में लोगो की बढती संख्या और लोगो की महत्वकांक्षा टकराव का कारण बनती जा रही हैं इसी कारण से कुछ दिनों पहले हल्द्वानी में एक ग्रुप के दो फाड़ हुए हैं और दोनों ही एक ही नाम से संचालित किये जा रहे हैं|
ग्रुपों की यह लड़ाई हितो और महत्वकांक्षाओ की वजह से उग्र होती जा रही हैं जबकि होना तो यह चाहिए था की ग्रुप में मुद्दों को लेकर स्वस्थ व गंभीर चर्चा होती लेकिन सभी ग्रुप सिर्फ और सिर्फ उन्ही मुद्दों को अप्रूव करते है जो या तो उनके अपने एडमिन के होते हैं या उनके हितो को साधने वाले होते हैं| अगर एक आध कोई पोस्ट अप्रूव हो भी जाती हैं जो बाद में हटा दी जाती हैं|
फेसबुक ग्रुप इसलिए बनाये गए थे ताकि लोग आपस में जुड़े रहे और सामजिक बुराइयों, जानकारी व सूचनाओ का आदान प्रदान करे| यही नहीं फेसबुक ग्रुप लोगो की सहायता व अनुभव को सांझा करने का एक बेहतर माध्यम भी हैं| ग्रुप इसलिए भी जरूरी थे ताकि लोग मुद्दों व सामजिक बुरइयो पर अपना अपना अनुभव सांझा कर सके|
कुछ दिनों पूर्व हल्द्वानी के सबसे चर्चित ग्रुप हल्द्वानी ऑनलाइन 2011 में एक पोस्ट डाली गयी थी जिसमे पूछा गया था की हल्द्वानी में पुलिस पासपोर्ट वेरिफिकेशन के कितने पैसे लेती हैं व अपना अनुभव सांझा करे| यह पोस्ट इस हल्द्वानी ऑनलाइन 2011 में 2 दिन चली और तीसरे ही दिन इस पोस्ट को डिलीट कर दिया गया| बाद में जब एडमिन को पूछने के लिए कॉल किया गया तो एडमिन ने फ़ोन ही नहीं उठाया|