उत्तर प्रदेश में पीवीवीएनएल मेरठ क्षेत्र जोन गाजियाबाद क्षेत्र में विभाग ने बिल्डरों के साथ मिलकर चांदी काटी हुई हैं व यही कारण हैं की विभाग के अधिकारी लोगो को सिंगल पॉइंट कनैक्शन से मल्टी पॉइंट कनैक्शन में नहीं करा पा रहे हैं।
यह आलम तब हैं जब उत्तर प्रदेश नियामक आयोग ने स्पष्ट आदेश दिये हैं की विभाग सिंगल पॉइंट को मल्टी पॉइंट में परिवर्तित करने के लिए किन किन चरणों का पालन करना होगा क्योंकि आयोग को स्वत संगयान हैं की भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे विधुत विभाग के अधिकारी बिल्डरों के सहयोग से सर्वे को प्रभावित जरूर करेंगे।
नियामक आयोग के अनुसार प्रदेश की सभी वितरण कंपनियो को सिंगल पॉइंट से मल्टी पॉइंट में परिवर्तित करने के लिए निम्मलिखित चरणों का पालन करना होगा।
- वितरण कंपनीय क्षेत्र मे बहुबिंदु संयोजन के लिए भवनो की की पहचान करेगी
- मकान मालिको की जानकारी एकत्र करेगा। उनके फोन नंबर, व्हाट्सप्प व ईमेल डेवलपर या आरडबल्यूए से एकत्र करेगा।
- लाइसेंसधारी के अधिकारियों को शामिल करते हुए एक सर्वेक्षण टीम स्थापित करें। सर्वेक्षण की जा रही इमारत के आरडब्ल्यूए /बिल्डर /डेवलपर से भी अपने प्रतिनिधि को नामित करने का अनुरोध किया जाएगा।
- आरडब्ल्यूए/बिल्डर/डेवलपर और सोसायटी नोटिस बोर्ड के माध्यम से फ्लैट मालिकों को आगामी सर्वेक्षण के बारे में सूचित करें। उनकी सहमति के उद्देश्य, प्रक्रिया और निहितार्थ को समझाते हुए ईमेल, व्हाट्सएप आदि
- सर्वेक्षण करने से पहले, एक बार फिर निवासियों को ऊर्जा शुल्क की बचत के साथ-साथ डीजी की बिजली सप्लाई की कम लागत के कारण मल्टी पॉइंट कनैक्शन के लाभों के बारे में शिक्षित करें।
- इसके बाद वो चिन्हित भवनो का डोर टू डोर सर्वे एकत्र करेगा।
आयोग का यह आदेश 6 मई 2024 को आया था पर विभाग द्वारा अभी तक इसके पहले चरण का भी पालन नहीं किया हैं व माननीय उच्च न्यायालय में लंबित एक केस के लिए इनके अधिकारी बिल्डर को सिर्फ पत्र ही लिख रहे हैं। हमारे पास विभाग के वर्ष 2019 से लिखे हुए पत्र पड़े हैं जिसमे बिल्डर को सिंगल पॉइंट से मल्टी पॉइंट में परिवर्तित करने के लिए मीटर खरीद तक की जानकारी दी गई हैं पर आजतक ऐसा हुआ नहीं।
वर्ष 2022 के दिसंबर माह में जनपक्ष की पहल पर विभाग द्वारा एक केंप वेव सिटी में सेक्टर 5 के Executive floor में आयोजित किया गया जिसमे बिल्डर के कर्मचारियो ने लोगो को भ्रमित कर दिया की अगर पीवीवीएनएल की बिजली आई तो हम लोग अपना जनरेटर इत्यादि हटा लेंगे व कॉमन एरिया की सर्विसेस जैसे लाइट, पानी व लिफ्ट को बंद कर देगे जिसके कारण वहाँ दंगे की स्थिति बन गई व विभाग के अधिकारी की हम कल आएंगे कहकर चले गए पर अगले दिन कोई केंप नहीं लगा।
दिनाक 12 अगस्त 2024 को एक वाद माननीय उच्च न्यायालय, प्रयागराज में सुना जाएगा जिसमे माननीय न्यायधीश श्री पाठक द्वारा पीवीवीएनएल के अधिकारियों से पूछा जाएगा की उन्होने वेव सिटी के 800 लोगो के कनैक्शन के अनुरोध पर क्या कार्यवाही की हैं? बस इसी कार्यवाई के डर से विभाग के सभी अधिकारी कंधे से कंधा मिलाकर अपने को बचाने में लगे हुए हैं।
जबकि हाई टेक टाउनशिप नीति 2007 की क्रम संख्या 35 की नीति में स्पष्ट उल्लेख हैं की यदि विकासकर्ता क्षेत्र में स्वय बिजली का वितरण करता हैं तो उसे उसके लिए उत्तर प्रदेश नियामक आयोग से वितरण लाइसेन्स लेना होगा व इतना ही नहीं उप्पल चड्ढा द्वारा जीडीए के साथ हस्ताक्षरित अनुबंध की क्रम संख्या 7 में उल्लेख हैं की विकासकर्ता को वितरण के लिए नियामक आयोग से एक लाइसेन्स लेना होगा। जिसके लिए उप्पल चड्ढा हाई टेक ने नियामक आयोग में वर्ष 2014 में आवेदन भी किया था।
सुनवाई के दौरान आयोग ने उप्पल चड्ढा के अधिकारियों से पूछा था की क्या इस क्षेत्र में पीवीवीएनएल बिजली वितरण नहीं कर रहा हैं तो उप्पल चड्ढा के अधिकारियों द्वारा आयोग को सूचित किया गया की पीवीवीएनएल उस क्षेत्र में बिजली दे रहा हैं।
उसके बाद आयोग ने उनसे प्रश्न किया की क्या आप क्षेत्र में पीवीवीएनएल के समानान्तर लाइसेन्स चाहते हैं? तब उप्पल चड्ढा के अधिकारियों ने इस प्रश्न के उत्तर के लिए आयोग से कुछ समय मांगा व उसके बाद अपना आवेदन यह कहकर वापिस ले लिया की बाद में नए तथ्यो के साथ आयोग में आवेदन करेंगे।
उप्पल चड्ढा द्वारा आज तक आयोग में आवेदन नहीं किया गया हैं क्योंकि उसने वर्ष 2011 में पीवीवीएनएल के अधिकारियों के साँठ गाँठ करके पिछले दरवाजे से सिंगल पॉइंट कनैक्शन ले लिया था। हम साँठ-गाँठ इसलिए कह रहे हैं क्योंकि जो विभाग 50 गज के मकान पर किसी व्यक्ति को कनैक्शन देने में दर्जनो आपत्तीया लगा देता हैं उसी विभाग द्वारा बिना तथ्यो व हाई टेक टाउनशिप नीति, विकास अनुबंध व एमओयू को देखे बिना 4500 एकड़ की टाउनशिप को सिंगल पॉइंट कनैक्शन जारी कर दिया जो अपने आप में दर्शाता हैं की भ्रष्टाचार विभाग में उच्चतम स्तर पर हुआ होगा।
इतना ही नहीं विभाग द्वारा वर्ष 2011 में अपने ही जारी किए हुए पत्र की शर्तो को आजतक नहीं लागू किया हैं पत्रांक संख्या 7134 /मु०अ०गा०क्षे०/वा० /प्रशा० अनु०/ दिनाक 31 अक्तूबर 2011 की शर्त संख्या एक के अनुसार उपभोक्ता को विधुत आपूर्ति सम्पूर्ण इनफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करने के उपरांत ही की जाएगी पर आज विभाग के अधिकारी स्वय कह रहे हैं की वेव सिटी में इनफ्रास्ट्रक्चर अपूर्ण हैं इसलिए हम मल्टी पॉइंट कनैक्शन नहीं दे सकते तो विभाग ने कैसे वेव/उप्पल चड्ढा को नियमो की धज्जिया उड़ाते हुए कनैक्शन जारी कर दिया व आज भी अपने निर्णय को सही ठहराने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं?
गाजियाबाद क्षेत्र में केवल वेव सिटी ही नहीं आसपास की सोसाइटी जैसे सिटी अपार्टमेंट, अर्बन होम, महागुन, लेंडक्राफ्ट, अंसल इत्यादि में भी नियमो की धज्जिया उड़ाई जा रहीं हैं इतना ही नहीं नियामक आयोग के फैसले के विरुद्ध बिजली के बिलो के साथ साथ CAM (मेंटेनेंस चार्ज़) भी वसूला जा रहा हैं। विभाग के अधिकारी सब जानते हैं पर व्यक्तिगत लोभ के कारण चुप है।
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