उत्तराखंड में लोक सभा चुनाव के बाद बदलाव की बहार चल निकली हैं और संकेतो से लग रहा हैं की त्रिवेन्द्र सिंह सरकार को कभी भी जाना पड़ सकता हैं क्योकि मोदी सरकार ने पोखरियाल निशंक को केंद्र में केबिनेट मंत्री बनाकर एक प्रकार से मुख्यमंत्री की होने वाली जंग को ख़त्म किया हैं और अब अनिल बलूनी की ताजपोशी के लिए रास्ता साफ़ हो चूका हैं|
सबको मालूम हैं की त्रिवेन्द्र सिंह रावत सरकार ना तो नरेन्द्र मोदी की अकांक्षाओ को पूरा कर पायी और ना ही लोगो की और आज हालत यह है की नौकरशाही निरंकुश हो गयी हैं और गाहे बाहे मुख्यमंत्री के नजदीकियों की हरकतों ने उनकी परेशानियों को बढ़ाया ही हैं|
आज हर दूसरा विभाग हड़ताल पर जाने की धमकी दे रहा हैं लेखपाल 100 दिनों से हड़ताल पर थे लेकिन त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने उसके लिए भी कुछ नहीं किया वो तो भला हो हल्द्वानी के सामाजिक कार्यकर्ता नवीन कपिल का जिनके प्रयासों के कारण उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने आदेश जारी कर हड़ताल को ख़त्म करवाया| सरकार को जरूरी चीजों को देखते हुए एस्मा लगाना चाहिए था लेकिन सरकार ने ऐसा कोई भी प्रयास नहीं किया जिससे की प्रशासन पर उसकी पकड़ दिखाई दे|
आज उत्तराखंड के हालत यह हैं की बहुत से कर्मचारियों को तीन तीन माह का वेतन ही नहीं मिला हैं क्योकि सरकार ने बिना चेक किये हुए हेदराबाद की कंपनी का बनाया हुआ IFMS सॉफ्टवेर लागू कर दिया जिसमे की बहुत सी गड़बड़िया हैं और उन्हें देखने वाला कोई नहीं हैं|
सरकार की जीरो टोलरेंस निति को खुद त्रिवेन्द्र सिंह रावत सरकार ने धज्जिया उड़ाई हैं क्योकि NH74 के सभी आरोपियों को सरकार ने एक एक करके पद पर नियुक्ति दे दी हैं| कितनी ही फाइलें जिनकी जांच पूरी हो चुकी हैं वो मुख्यमंत्री कार्यालय ने दबा रखी हैं| सूचना तो यह भी हैं की त्रिवेन्द्र सिंह रावत के नजदीकी लोग किसी भी काम को करवाने का दावा कर रहे हैं|
आज पूरा उत्तराखंड के जंगलो में भयंकर आग लगी हैं लेकिन सरकार को चिंता हैं ऐसा लग नहीं रहा हैं| सरकार से ज्यादा तो सामाजिक कार्यकर्ता व क्षेत्रीय लोग चिंतित हैं और उसके लिए जो हो सकता हैं प्रयास कर रहे हैं| नासा भी चेतावनी जारी कर चूका हैं की उत्तराखंड से बहुत ज्यादा गर्मी निकल रही हैं लेकिन रावत जी का व्यवहार बिलकुल नीरो की तरह हैं जो रोम के जलने पर भी निश्चित था|
@drharshvardhan @ndtv @CNBC @aajtak @abpnewstv @NewsX @News18India @ZeeNews Pls report it on priority. pic.twitter.com/u2p3NBu1VU— Janpaksh (@janpaksh) May 29, 2019
अभी अनिल बलूनी उत्तराखंड के कोटे से राज्य सभा में है लेकिन मोदी सरकार को सुब्रमण्यम जयशंकर के लिए एक सीट चाहिए होगी क्योकि उत्तराखंड में अधिकतर विधयक भारतीय जनता पार्टी के हैं और अनिल बलूनी के सीट छोड़ने के बाद जयशंकर को आसानी से राज्य सभा में भेजा जा सकता हैं इसलिए सभी समीकरण इस और इशारा करते हैं की अनिल बलूनी राज्य के मुख्यमंत्री हो सकते है|
अनिल बलूनी की केंद्र से नजदीकिया किसी से छुपी नहीं हैं और वह अमित शाह के सबसे विश्वासपात्रो में से एक हैं| उनकी कार्य करने की शैली की प्रशंसा खुद नरेन्द्र मोदी भी कर चुके हैं| अनिल बलूनी के आने से राज्य को केंद्र से अतिरिक्त सहायता मिल सके व उत्तराखंड को कुशल नेतृत्व भी|