उत्तराखंड में नेत्रत्व परिवर्तन को लेकर जो सुगबुगाहट है वो मात्र अफवाह नहीं वो लोगो की जनभावना हैं| क्योकि त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने जो लोगो आकांक्षाओ व विशवास को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया हैं| आज उत्तराखंड में हर दूसरा विभाग हड़ताल की धमकी दे रहा हैं विभागों में कर्मचारियों को तीन महीने से वेतन के लाले पड़े हुए हैं|
भ्रष्टाचार पर प्रहार का दावा करने वाली सरकार ने NH74 जो की राज्य का सबसे बड़ा घोटाला था और उन्होंने खुद उसकी सीबीआई जांच की संस्तुति की थी आश्चर्यजनक रूप से एक एक करके सभी आरोपियो को नियुक्ति दे दी| हल्द्वानी काठगोदाम में ADB के सहयोग से बने टेंको की जांच की फाइल जांच पूरी होने व सम्बंधित लोगो पर पुलिस कार्यवाही की फाइल दबा ली हैं और यही नहीं वन विभाग में नियमो का उलंघन करके जबरदस्त लूट मचाई हुई हैं|
आज फेसबुक में किसी भी पोस्ट को उठाकर देख लीजिये की लोग त्रिवेन्द्र रावत सरकार के बारे में क्या कहते हैं| लोगो में त्रिवेन्द्र सिंह के खिलाफ बहुत गुस्सा हैं क्योकि हर मोर्चे पर सरकार फेल हुई हैं| मुख्यमंत्री का खुद का स्वास्थ विभाग हाशिये पर हैं| राज्य में दवाये नहीं हैं, चिकित्सको का अभाव हैं जो हैं भी वो पहाड़ चढ़ना नहीं चाहते| MCA लगातार चेता रहा हैं की वो मेडिकल कॉलेज की मान्यता रद्द कर देगा क्योकि प्रवक्ता ही नहीं हैं और सरकार हर बार MCA की जांच के दौरान आसपास के अस्पतालों के डाक्टरों को बुलाकर झूठा प्रचार करती है की प्रवक्ता पूरे है|
पूरे माह से पूरा पहाड़ जल रहा हैं लेकिन सरकार को देखकर लगता नहीं ही नहीं हैं की उन्हें कोई चिंता भी हैं| जिस दिन रावत जी केंद्रीय नेतृत्व को जनता के पैसे से बधाई देने दिल्ली गए थे उस दिन उत्तराखंड में 1700 जगहों पर आग लगी थी हमारे देश में इसकी कोई चिंता नहीं थी लेकिन अमेरिका की संस्था नासा ने इस विषय में एक चेतावनी जारी कर दी की उत्तराखंड से बहुत ज्यादा गर्मी निकल रही हैं|
परिवर्तन की मांग करना लोकतंत्र का एक हिस्सा हैं सरकार विश्वास व योजनाओ पर चलती हैं पर त्रिवेन्द्र सिंह रावत के पास ना विशवास रहा हैं ना योजनाये| आज उत्तरखंड में जो भी योजनाये आई हैं वो तंत्र की कुव्यवस्था की भेट चढ़ चुकी है आज प्रदेश के सभी अस्पतालो ने आयुष्मान योजना को लूट का जरिया बना लिया हैं व दबा के लूटा जा रहा हैं व सरकार इक्के दुक्के अस्पतालों को नोटिस देकर अपने कर्त्तव्य की इतिश्री कर रही हैं|
शनिवार को अनिल बलूनी व भगत सिंह कोश्यारी जी ने यह कहा है की त्रिवेन्द्र सिंह रावत जी ने उत्तराखंड की पाचो सीटे जीतकर अपना नेतृत्व सिद्ध किया हैं| हम पूछना चाहते हैं की कर्नाटक, मध्य प्रदेश व राजस्थान में तो विपक्षी दलों की सरकारे थी जो की सिर्फ 4 माह पूर्व ही चयनित हुई थी क्या वहा की सरकारों ने मोदी सरकार लिए काम किया था? यह चुनाव सिर्फ और सिर्फ नरेन्द्र मोदी के नाम पर लड़ा गया था इसमें किसी भी सरकार का कोई प्रभाव नहीं था|
आज जब भारतीय जनता पार्टी सभी सीटे जीत चुकी है तो उसके लिए जनभावना की कोई कीमत नहीं हैं| आप सभी के विचारो का स्वागत हैं|
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