उत्तराखंड में सरकार की लचर प्रशासनिक व्यवस्था ही हैं जिसके कारण लोगो में प्रशासनिक भय ही नहीं हैं ताजा मामला आजकल बिक रहे तम्बाकू उत्पाद हैं जिसका ना “उत्तराखंडी” हैं और यह उत्पाद पूरे उत्तराखंड में खुल्ले से सरकार की नाक के नीचे बेचा जा रहा हैं|
इस प्रकार के उत्पादों में इस प्रकार का नाम हमारी संस्कृति के साथ खिलवाड़ हैं यह सरकारी कार्यप्रणाली की अक्षमता को दर्शाती है की इतने विभागों के होने के बाद भी इस प्रकार के उत्पादों को अनुमति भी मिल गयी और कोई हल्ला भी नहीं हुआ| अगर यही नाम किसी पेय पदार्थ होता तो सरकार की मशीनरी उसे कभी अनुमति नहीं देती क्योकि पान व गुटके में खूब चढ़ावा जो आता हैं|
सच मे हद हैं कोई भी उत्तराखंड को बदनाम करता रहेगा और @tsrawatbjp मुँह में दही जमाये रहेंगे? यह गुटखा व पानमसाला पूरे ऊत्तराखण्ड में धड़ल्ले से बिक रहा हैं किसकी अनुमति से? इसे किस विभाग ने अनुमति दी। @anil_baluni @DrRPNishank @BJP4UK @AjayTamtaBJP @AjayBhatt_BJP @harishrawatcmuk pic.twitter.com/raemdGDF3E— जनपक्ष (@janpaksh) May 31, 2019
उत्तराखंड के बुद्धिजीवी लोग इस पान मसाले के नाम को लेकर आक्रोशित हैं व आशा छोड़ चुके हैं की त्रिवेन्द्र सिंह रावत सरकार में इस प्रकार के उत्पादों पर रोक लग पाएगी इसलिए वो संगठित होकर केंद्रीय स्वास्थ मंत्री व प्रधानमन्त्री को पत्र लिख रहे हैं ताकि इसपर रोक लग सके|
पूरा का पूरा सोशल मीडिया इस उत्पाद की आलोचनाओ से भरा पडा हैं लेकिन सरकार इसको लेकर पूरी तरह से बेखबर हैं| क्योकि सरकार की प्राथमिकता खनन व शराब हैं और जिस प्रकार से त्रिवेन्द्र सिंह रावत का व्यवहार दिखाई देता हैं उससे तो लगता हैं की सरकार के बस कुछ ही दिन क्षेष हैं|