उत्तराखंड की माली हालत क्या हैं वो किसी से भी छुपी हुई नहीं है और हर तिमाही में लाटी सरकार रिजर्व बैंक के पास राज्य की वित्तीय हालत का रोना रोकर विकास के नाम पर पैसा उधार मांगती हैं| उसके बावजूद भी कई विभाग ऐसे हैं जिन्हें महीनो से वेतन ही नहीं मिला हैं लेकिन सरकार हैं जो खजाना खाली होने के बावजूद भी अपने को रेवडिया बाटने में लगी हुई हैं|
एक और जन्हा राज्य में कर्मचारियों को वेतन के लाले पड़े हुए हैं क्योकि राज्य का खजाना खाली है वही दूसरी और चहेतों को दबाकर मलाई बाटी जा रही हैं | ताजा मामला APN news से सम्बंधित हैं जिसे लाटी सरकार ने क्षेत्रीय समाचार चेनल न्यूज़ स्टेट, एबीपी गंगा, न्यूज़ news18 इंडिया/ उत्तराखंड और जी न्यूज़ जैसे चैनल से अधिक वरीयता देते हुए विज्ञापन के लिए 72 लाख रूपये जारी कर दिए है| जबकि इस चैनेल का राज्य में कोई भी आधार नहीं हैं|
हमारे द्वारा जब इस चैनल की जांच पड़ताल की गयी तो पाया गया की इस चेनेल की वेबसाइट में जो बुकिंग के समय डाटा दिया गया हैं वो किसी पनामा शहर का हैं जबकि राज्य सरकार के विज्ञापन देने के नियमो में साफ़ कहा गया हैं की चेनेल की वेबसाइट में उसकी पूरी जानकारी होनी चाहिए और वेबसाइट का डोमेन वर्ष 2016 में बुक किया गया हैं जबकि अन्य चेनेल इससे कई साल पहले से कार्य कर रहे हैं|
यह तो वेबसाइट की बात थी और जब हमने इस चैनेल की व्यूवर्शिप के विषय में पड़ताल Broadcast Audience Research Council (BARC)पर की जो की देश का सबसे प्रतिष्ठित संस्थान हैं और चनेलो को इस सप्ताह कितने लोगो ने देखा तो पाया की इस चैनेल का नाम तो दूर दूर तक नहीं था| तो फिर ऐसा क्या था जो की प्रदेश की लाटी सरकार ने इस चैनेल को राज्य में इतना बड़ा विज्ञापन का ठेका दे दिया?
असल में बात यह थी की APN live news लाटी सरकार के मुखिया के औद्योगिक सलाहकार के एस पंवार का हैं जिहोने हाल ही में इस चैनेल की राज्य शाखा का प्रबंधन अपने हाथ में लिया हैं| तभी तो इस चैनेल पर बिना किसी भी मेहनत व आकडो के राज्य सरकार ने विज्ञापनों की बौछार कर दी हैं वो भी डेढ़ करोड़ रुपयों की जिसमे से 72 लाख के विज्ञापन तो जारी भी हो चुके हैं|
राज्य सरकार यह भूल गयी की राजनीति में कुछ नियमो का पालन किया जाता हैं जिसमे राज्य सरकार व उससे सम्बंधित अधिकारी, सलाहकार अपने पद का दुरूपयोग नहीं करेंगे या राज्य की नीतिओ को अपने लाभ के लिए प्रयोग नहीं करेंगे|
लेकिन लाटी सरकार ने सभी नियमो व शुचिता को ताक पर रखकर जिस प्रकार से यह विज्ञापन का ठेका दिया हैं उससे पता चलता हैं की राज्य में 0 टोलेरेंस को सरकार कितना गंभीरता से लेती है| यह जीरो टॉलरेंस तो केवल निरीह कर्मचारियों व जनता के लिए हैं जिनका कोई माई बाप नहीं हैं|