पूरा विश्व करोना की विभीषिका से जूझ रहा हैं व विकसित देशो में तो लाशो की बाढ़ सी आ गयी हैं| यह वो देश हैं जो स्वास्थ व जागरूकता में मामले में हमेशा से विश्व में अग्रणी रहे हैं| आज वो भी कोरोना की मार से बेदम हैं|
यही कारण हैं की लोग व सरकारे लोगो से घरो में ही रहने के लिए आग्रह कर रहे हैं क्योकि इस महामारी का केवल और केवल एक ही इलाज हैं की लोग कुछ समय तक आपस में मिलन बंद कर दे|
भारत में भी कोरोना धीरे धीरे अपना पाँव फैला रही हैं और इसी को देखते हुए भारत की मोदी सरकार ने लोगो से एक दिन का जनता से निषेधाज्ञा का आग्रह किया लेकिन लोगो ने इसको उतनी गंभीरता से नहीं लिया जिसके बाद मजबूरन मोदी सरकार को लोगो को बचाने व इसके प्रसार को रोकने के लिए 21 दिनों का आपातकालीन रोक लगाने की घोषणा करनी पड़ी| ताकि लोगो को इस महामारी से बचाया जा सके|
हम सभी को पता हैं की भारत की स्वास्थ के मामले में क्या स्थिति हैं व अगर यह महामारी फैली तो हमारे पास अपनी जनता को तड़प तड़प मरते हुए देखने के सिवाय कोई चारा नहीं होगा|
मोदी सरकार लोगो के बारे में जितना चिंतित हैं उतना ही उत्तराखंड की लाटी सरकार लापरवाह क्योकि मोदी सरकार लोगो को घरो में रहने के लिए हर संभव उपाय आजमाने में व्यस्त हैं वही लाटी सरकार ने मोदी सरकार की नितियो का माखोल उड़ाते हुए लोगो को सुबह 7 बजे से दिन के 1 बजे तक खरीदारी करने की छूट दी हैं|
इस समय सरकार को लोगो को भीड़ भाड़ वाले क्षेत्रो में जाने से बचाना चाहिए व लोगो को सिमित संसाधनों से जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रेरित करना चाहिए था| लेकिन इसके विपरीत लाटी सरकार ने छूट देकर लोगो को इकठा होने का मौक़ा दे दिया जो की मोदी सरकार की कोशिशो पर एक करार तमाचा हैं|
यही नहीं इस प्रकार की छूट पुलिस प्रशासन को भी व्यवस्था कायम करने में परेशानियों का सामना करना पड़ेगा| 24 घंटे निषेधाज्ञा का पालन कराना आसान हैं और इस प्रकार छूट प्रशासन का काम और बढ़ा देती है वो भी तब जब पुलिस प्रशासन दिन में 24 घंटे काम पर लगा हो|
इससे हुआ यह की लोग खरीदारी करने के लिए बाज़ार में टूट पड़े हैं इससे मोदी सरकार के उपायों की अवहेलना हो रही हैं व् लोगो में संक्रमण का खतरा भी| अगर गलती से भी एक व्यक्ति भी कोरोना से ग्रसित हुआ तो इस माहोल में वो सेकड़ो लोगो को संक्रमित कर देगा और वो सेकड़ो हजारो को अपना निशाना बनायेगे|
हम जानते है की उत्तराखंड की लाटी सरकार प्रशासन व दूरदर्शिता के मामले में नगण्य हैं और उत्तराखंड की स्वास्थ व्यवस्था दिनोदिन उन्नत होने की बजाये गिर रही रही| आज उत्तराखंड के पहाड़ो में अधिकतर आबादी उम्रदराज लोगो की हैं व अगर इन्हें वो बिमारी सर गयी तो ना तो हमारे पास संसाधन हैं और ना ही इलाज ताकि इन्हें बचाया जा सके|
आज उत्तराखंड के लोग राज्य में संसाधनों के आभाव में अन्य राज्यों में नौकरी के लिए मजबूर हैं और जब पूरे देश में लॉक डाउन हैं तो उनकी स्थिति सही नहीं हैं क्योकि व्यवसाय ठप्प होने के बाद तक़रीबन सभी मालिको ने उन्हें निकाल दिया हैं और वह अपने अपने राज्यों में फस गए हैं|
जहा इस समय उत्तराखंड सरकार को इन लोगो की मदद के लिए सामने आना चाहिए था वही सरकार ने दिल्ली के लिए एक फ़ोन नंबर जारी करके अपना पल्ला झाड लिया और वो फ़ोन नंबर भी काम नहीं कर रहा था| जिसके बाद सरकार ने दो और नंबर जारी किया जो बंद ही मिले|
जबकि अन्य राज्यों की सरकार ने अपने राज्य के नागरिको के लिए हर प्रदेश के लिए अलग अलग अधिकारियो की नियुक्ति की जिससे की उनके लोग विपत्ति व सहायता के लिए उन नम्बरों पर संपर्क कर सके व अधिकारिओ पर भी भार ना पड़े|
आप सभी लोगो से विनम्र निवेदन हैं की लाटी सरकार के तुगलकी फरमानों को देखते हुए आप सभी लोग अपने अपने घरो में ही रहे व सिमित संसाधनों में अपनी दिनचर्या का पालन करे|
अगर संभव हो तो आस पड़ोस में संगठित होकर बारी बारी से हर घर से एक व्यक्ति बाजार जाए व सभी पड़ोसियों के लिए उनकी जरूरत का सामान लेकर आये| इससे जरूरते भी पूरी होंगी व लोग संक्रमण से भी बचे रहेंगे|
आप सभी से अनुरोध हैं की यदि आप के पास किसी भी व्यक्ति के विषय में कोई भी जानकारी हैं जो विपत्ति में है तो आप नीचे दिए गए नम्बरों पर संपर्क कर सकते हैं| हम केवल जीवन यापन की सहायता कर पायेंगे लाने ले जाने की नहीं क्योकि 16 अप्रेल तक सभी यात्रा के साधन बंद हैं|
यदि आप किसी भी प्रकार की सहायता करना चाहते हैं तो आप हमसे इन्ही नम्बरों पर संपर्क कर सकते हैं|
दिल्ली:- 05946 222224
हैदराबाद / बैंगलोर :- 080 2845 3845
Whatsapp Helpline (जनपक्ष) 080 2444 2444