आखिरकार लचर व्यवस्था व लाटे की अधूरी तैयारियों के बीच उत्तराखंड कोरोना नित नए आयामों को छू रहा हैं जो काम प्रदेश में पिछले दो महीनो में नहीं हुआ वो दो दो दिनों में आने वाली प्रवासियों की ट्रेनों ने कर दिया हैं और उसपर बाज़ार को पूरी छूट ने आग में घी का काम किया है| नियम क़ानून तो ऐसे है की हमने ” अंधेर नगरी चौपट राजा, टके भाजी, टके सेर खाजा” चरितार्थ होते हुए इसी जन्म में देख लिया है।
आज हालत यह हैं उत्तराखंडी लाटे ने यू टर्न में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविदं केजरीवाल का भी रिकॉर्ड तोड़ दिया हैं। क्योकि जो फैसले सचिवालय में सुबह होते हैं वो शाम होते होते ही पलट जा रहे है। प्रशासनिक पकड़ की तो बात ही निराली हैं क्योकि मुख्यमंत्री कार्यालय मुख्य सचिव को भी कुछ भी नहीं समझता व प्रशासनिक कार्यो में निरंतर दखलंदाजी करता रहता है और उसका प्रमाण अमनमणि त्रिपाठी प्रकरण से दिखता हैं।
प्रवासियों से बढ़ सकता हैं पहाडो में कोरोना का प्रकोप – जनपक्ष
आज मुख्यमंत्री कार्यालय सबसे ज्यादा जायदा चर्चित है क्योकि कभी वो किसी को उत्तराखंड घूमने के फरमान जारी कर देता हैं तो कभी मुख्यमंत्री के ख़ास सिपहसालार जमीन हथियाने के आरोपों में पाए जाते हैं। इन्ही चर्चाओं के बीच कुछ दिन पहले ही लाटे ने अपने सबसे चाहते व विश्वासपात्र सचिव को बदलकर श्री अरविन्द हयांकी को अपना प्रमुख सचिव चुना हैं। क्योकि कोरोना के कारण अब बजट मिलना मुश्किल ही हैं इसलिए लोकनिर्माण विभाग भी ओम प्रकाश से ले लिया हैं ताकि लोगो को लगे की मुख्यमंत्री ने अमनमणि त्रिपाठी प्रकरण में कठोर कार्यवाही की हैं।
पिछले दिनों हुए बाबुओ के स्थानांतरण में सरकारी तंत्र के पास मौका था की वो व्यवस्थाओ पर पकड़ बनाने के लिए अपने सबसे काबिल अफसरों को प्रमुख विभागों में लेकर आते। जैसे की सबसे भ्रष्ट व निक्कमा स्वास्थ विभाग जो की नितेश झा के पास था और पिछले तीन सालो में इस विभाग ने पूरी स्वास्थ व्यवस्था को बेपटरी कर दिया है।
लाटे के पास बृजेश संत, पांडियन, शैलेश, सविन बंसल, मंगेश घिल्डियाल, धीरज गब्रयाल जैसे बाबू थे वो उन्हें स्वास्थ विभाग का अगुआ बना सकते थे। लेकिन अमित नेगी को स्वास्थ विभाग का अगुआ बनाकर ताबूत में कील गाड़ने का काम किया हैं। सरकार खुद नहीं चाहती की स्वास्थ विभाग अपनी बदहाली से निजात पा सके।
आज उत्तराखंड में भ्रष्टाचार चरम पर हैं और हालत यह हैं की भ्रष्ट व कभी फरार घोषित बाबुओ की सरकार बहाली कर रही हैं लेकिन जब जन आक्रोश बढ़ने लगता हैं तो एक स्टेटमेंट आता हैं की यह कार्यवाही लाटे के बिना संज्ञान में लाये हुए की गयी। ताकि यह दर्शाया जा सके की सरकार खुद अनजान हैं इन इन सभी घटनाओ से जो की सिर्फ नौटंकी के अलावा कुछ नही हैं।
क्योकि सरकार आज तक किसी भी घोटाले की जांच ना तो पूरी कर पाए हैं और ना ही पिछली जांचो पर कोई कार्यवाही। वो तो भला हो पांडियन व अधिवक्ता करगेती जी का जो उन्होंने इन घोटालो पर कार्यवाही के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी और उसी का परिणाम है की आज यह दोनों केस अपने अंजाम पर हैं।
उत्तराखंड की लाटी सरकार ने पांडियन को राष्ट्रीय राजमार्ग 74 पर तत्वरित व निष्पक्ष कार्यवाही के इनाम स्वरुप हाशिये पर डाल दिया हैं क्योकि इस प्रकरण में सरकार के ही कुछ लोग प्रमुखता से शामिल रहे हैं। आज हालात यह हैं की उक्त प्रकरण में छुट्टी पर भेजे गए दो बाबू चंद्रेश यादव व पंकज पांडेय को कुछ समय की छुट्टी के बाद फिर से बहाली दे दी गयी व आज हालत यह हैं की पांडियन को इनाम स्वरुप नेप्थ में भेज दिया गया है।
आज अगर उत्तराखंड में हालत सामान्य हैं तो उसके लिए हमें उन जुझारू समाजसेवियों व उच्च न्यायालय का धन्यवाद देना चाहिए जिनके प्रयासों से आज उत्तराखंड में हालात कुछ कुछ सामान्य हैं यदि आज उत्तराखंड उच्च न्यायालय सरकार को ICU व वेंटिलेटर लगाने के लिए कडा निर्देश नहीं देती तो शायद स्वास्थ सेवाओं में इतना सुधार नहीं आ पाता।
उत्तराखंड उच्च न्यायालय का नया आदेश प्रदेश की लाटी सरकार के लिए गले की हड्डी बना हुआ हैं जिसमे राज्य को आदेश दिया गया हैं की प्रवासियों को राज्य की सीमा पर ही कुरेन्टीन करे। जिससे की कोरोना जैसी महामारी पहाड़ में विकराल रूप ना ले ले। लेकिन सरकार ने इस आदेश को लेकर हाथ खड़े कर दिए हैं क्योकि सरकार का कहना हैं की उसकी क्षमता 25000 लोगो की ही हैं और प्रवासियों की आमद उससे कई गुना ज्यादा।
जब कोरोना पहाड़ में अपनी अपनी जड़े जमा ही रहा था तो सरकार ने सरकारी दूध की (मदिरा) की दुकानों को अनुमति देकर लॉक डाउन में चोरी छिपे बेचे गए दूध को एडजस्ट करने का सुनहरा मौक़ा दे दिया जिससे की मुनाफाखोरों पर कोई आंच ना आये। दो महीने बाद खुली दूध की दुकानों में लोग टूट पड़े जिससे की नियमो की धज्जिया उड़ने लगी। लेकिन लाटे के आदेश के कारण पुलिस व प्रशासन आँख बंद किये चुपचाप खड़ा रहा।
यही नहीं सरकार ने इन दूध की दुकानों का दो माह के भुगतान में भी छूट दे दी जिससे की दूधियो को कोई दिक्कत ना हो और मजे की बात तो यह हैं की इन लोगो ने इसके बावजूद भी सोमवार से हड़ताल शुरू की तो लाटे ने मंगलवार को उनकी मांगो को लगभग सहमति दे दी। जबकि इसके उलट लोग क्वारंटीन सेंटरों में सुविधा की मांग कर रहे हैं तो लाटे के कान में जूँ तक नहीं रेंगी।
सरकार का सीमा पर 25000 लोगो कुरेन्टीन करने का दावा हास्यास्पद ही हैं क्योकि हम सभी लोग जानते हैं की यह सिर्फ और सिर्फ गाल बजाने वाली बाते है। व्यवस्था का आलम तो यह हैं की कंही सांप तो कंही सरकारी नाग लोगो को ड़स रहे हैं।
कल ही की बात हैं की बेतालघाट के कुरेन्टीन सेंटर में कुव्यवस्था के कारण लोगो को जमीन पर सुलाया गया था जिसमे दिल्ली से आया एक परिवार था जिसे कल ही क्वारंटाइन अवधि पूरी करके अपने गांव जाना था लेकिन सुबह 5 बजे उनकी 6 साल की बिटिया को साप ने काट लिया जिसके कारण उसकी मौत हो गयी।
वही उधमसिंह नगर जिले में किच्छा तहसील में पुलभट्ठा स्थित सूरजमल कॉलेज में नियुक्त सरकारी नाग ने एक विवाहिता की अस्मत पर हाथ डालने की कोशिश करी वह भी तब जब उसका पति भी उसी क्वारंटीन सेंटर में ही था बाकायदा सिपाही उसके पति के सामने यह कहकर ले गया की महिलाओ के लिए अलग से सेल बनाया गया हैं इसलिए उन्हें वँहा रहना होगा। मजे की बात तो देखिये की सरकारी नाग ने उस महिला को दीवार फांदकर उस सुनसान जगह पर जाने को कहा और खुद दूसरी जगह से जाकर उसमे प्रवेश लिया व उस महिला को डसने लगा। म
महिला ने शोर मचाया और दीवार फांद दी जिसके कारण उसकी अस्मत उस सरकारी नाग से बच सकी। जब लोगो ने सिपाही को पकड़कर विडिओ बनाई और जब वीडियो वायरल हुए तो उच्चाधिकारियों को हरकत में आना पड़ा जिसके कारण उस सरकारी नाग को बर्खास्त व जेल में डाला गया। जांच में बताया जा रहा हैं की उक्त सरकारी नाग ने लाटी सरकार की दुकानों से लाकर दूध पिया था। यहाँ पर दूध और नाग का आशय तो आप समझ ही गए होंगे।
उत्तराखंडी लाटा जब जानता हैं की उत्तराखंड में कोरोना का यह प्रथम चरण हैं तो इसका मतलब वो इसके सभी चरणों के विषय में जानता हैं तो क्या लाटे ने कभी बताया की इसके कितने चरण है व इसको लेकर सरकार की क्या क्या तैयारियां हैं? सही कहे तो प्रवासी तो एक बहाना हैं असल में सरकार का ध्यान तो केंद्र से और पैसा पाना हैं क्योकि स्थिति जितनी विकराल होगी केंद्र उसी प्रकार से अनुदान देगा।
शायद किसी ने लाटे बोल दिया हैं की अभी 100 लोग थे तो केंद्र ने 468 करोड़ दिए हैं यदि यही हजार भी हो जाते है तो इस हिसाब से हमें 2 से 3 हजार करोड़ तो केंद्र से मिल ही सकता हैं। आज भी हमारे लोग होटलो पर कब्ज़ा करके क्वारंटीन सेंटर बनाये हुए हैं और उन्ही लोगो को उनके खाने पीने की जिम्मेवारी दे रखी है। अगर नहीं करेंगे तो 188 के तहत चालान काट देंगे व ग्राम में ग्रामसभा व ग्राम प्रधान हैं ही।
हाल ही में शिक्षकों व प्रधानाचार्यो को भी आदेश दे ही दिया हैं की वो अपने अपने विद्यालय में प्रबंधन को देखे अगर जान प्यारी होगी तो वो अपने बचने के लिए सब जुगाड़ कर ही लेंगे। इसलिए हमें कुछ भी खर्चने व करने जरूरत नहीं हैं और वैसे भी आजतक किसी घोटाले की जांच पूरी हुई हैं जो इसकी होगी।
हमें तो नहीं लगता की सरकार प्रशासन व लोगो की समस्याओ के प्रति गंभीर हैं। यदि सरकार सच में गंभीर हैं तो उसे उत्पल सिंह, बृजे’श संत, पांडियन, शैलेश, सविन बंसल, मंगेश घिल्डियाल, धीराज गब्रयाल, मिनाक्षी सुंदरम, जयराज, संजीव चतुर्वेदी जैसे लोगो को मिलाकर एक “अस्तित्व” नाम से विभाग बनाना चाहिए व उत्तराखंड के सभी विभागों की बजटिंग, प्लानिंग, रिपोर्टिंग, मॉनिटरिंग व ACR इन्ही विभागों के द्वारा कराई जानी चाहिए। इन विभागों के पास गुप्तचर इकाई की रिपोर्टिंग भी होनी चाहिए ताकि वो वस्तुस्थिति को जान सके व नियंत्रित कर अपने हिसाब से चला सके।
इस विभाग में नयी पौध जैसे नमामि बंसल, नरेंद्र भंडारी, नितिका खंडेलवाल, गौरव कुमार, हिमांशु खुराना सरीखे लोगो को इस दल में काम करने का मौक़ा दे जिससे की आने वाले समय में बाबुओ में नेतृत्व क्षमता विकसित हो सके व वह एक कुशल प्रोफेशनल की तरह काम कर सके। अगर सरकार जिलाधिकारी को एक सीईओ की तरह काम करने का मौका प्रदान करे जिससे की जिले के आय/व्यय के अंतर को पाटने में उनकी कुशलता का प्रयोग किया जा सके और राज्य को स्वावलबी बनाया जा सके।
Writer:- Jeevan Pant Ji
Whatsapp:- 05946 222 224
पाए व्यापार के लिए आसान मुद्रा लोन मुद्रा बैंक से