जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने सोमवार को देश के 47वें चीफ जस्टिस (सीजेआई) पद की शपथ ली। जस्टिस बोबडे कई ऐतिहासिक फैसलों में अहम भूमिका निभाई और हाल ही में अयोध्या के विवादित स्थल पर राम मंदिर बनाने का रास्ता साफ करने के फैसले में भी वह शामिल रहे हैं।
63 वर्षीय न्यायमूर्ति बोबडे ने पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई का स्थान लिया। वह 17 महीने तक पद पर रहेंगे और 23 अप्रैल 2021 को रिटायर होंगे।
न्यायमूर्ति गोगोई ने अदालतों में भर्तियों और आधारभूत संरचनाओं की कमी पर संज्ञान लिया और सभी राज्यों तथा संबंधित उच्च न्यायालयों को जरूरी कदम उठाने के निर्देश देने के साथ खुद निगरानी भी की।
अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद पर फैसला देकर 1950 से चल रहे विवाद का पटाक्षेप करने वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ में न्यायमूर्ति बोबडे शामिल रहे थे। अगस्त 2017 में तत्कालीन सीजेआई जे एस खेहर की अध्यक्षता में नौ न्यायाधीशों की पीठ ने एकमत से, निजता के अधिकार को भारत में संवैधानिक रूप से संरक्षित मूल अधिकार होने का फैसला दिया था। इस पीठ में भी न्यायमूर्ति बोबडे शामिल थे।
न्यायमूर्ति बोबडे महाराष्ट्र के वकील परिवार से आते हैं और उनके पिता अरविंद श्रीनिवास बोबडे भी मशहूर वकील थे। वरिष्ठता क्रम की नीति के तहत निवर्तमान प्रधान न्यायाधीश गोगोई ने उनका नाम केंद्र सरकार को अपने उत्तराधिकारी के तौर पर भेजा था।
न्यायमूर्ति बोबडे को सीजेआई पद पर नियुक्त करने के आदेश पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दस्तखत किए जिसके बाद विधि मंत्रालय ने उन्हें भारतीय न्यायपालिका के शीर्ष पद पर नियुक्त करने की अधिसूचना जारी की।
न्यायमूर्ति बोबडे की अध्यक्षता में ही उच्चतम न्यायालय की तीन सदस्यीय समिति ने सीजेआई गोगोई को, उन पर न्यायालय की ही पूर्व कर्मी द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोप में क्लीन चिट दी थी। इस समिति में न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा भी शामिल थीं।
न्यायमूर्ति बोबडे 2015 में उस तीन सदस्यीय पीठ में शामिल थे जिसने स्पष्ट किया कि भारत के किसी भी नागरिक को आधार संख्या के अभाव में मूल सेवाओं और सरकारी सेवाओं से वंचित नहीं किया जा सकता।
हाल ही में न्यायमूर्ति बोबडे की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) का प्रशासन देखने के लिए पूर्व नियंत्रक एवं महालेखाकार विनोद राय की अध्यक्षता में बनाई गई प्रशासकों की समिति को निर्देश दिया कि वे निर्वाचित सदस्यों के लिए कार्यभार छोड़े।
न्यायमूर्ति बोबडे का जन्म 24 अप्रैल 1956 में महाराष्ट्र के नागपुर में हुआ। उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से कला एवं कानून में स्नातक की उपाधि हासिल की। वर्ष 1978 में महाराष्ट्र बार परिषद में उन्होंने बतौर अधिवक्ता अपना पंजीकरण कराया।
बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ में 21 साल तक अपनी सेवाएं देने वाले न्यायमूर्ति बोबडे वर्ष 1998 में वह वरिष्ठ अधिवक्ता बने। न्यायमूर्ति बोबडे ने 29 मार्च 2000 में बंबई उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में शपथ ली।
16 अक्टूबर 2012 को वह मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने। 12 अप्रैल 2013 को उनकी पदोन्नति उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में हुई।