आज विश्व की हालत कोरोना को लेकर किसी से भी छुपी हुई नहीं हैं पूरा का पूरा विश्व आज इस वायरस के कारण अपने अपने घरो में कैद हैं व लोगो से दूरिया बनाए हुए हैं ताकि वो जाने अनजाने में वायरस की चपेट में ना आये| जबकि कुछ समुदाय के लोग तो ऐसे हैं जो चाह रहे हैं की कोरोना की चपेट में पूरा देश आ जाए व उसके लिए वे भरकस प्रयास कर रहे है|
प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने आर्थिक व सामजिक जोखिम उठाते हुए पूरे देश को पूरी तरह लॉक डाउन कर दिया और लगभग रोज लोगो से अनुरोध कर रहे हैं की आप लॉक डाउन में रहे व सामजिक दूरियों का पालन करे| सब कुछ नियंत्रण में था लेकिन दिल्ली में स्थित निज़म्मुदिन के जमातियो ने पूरी मेहनत में पानी फेर दिया और आज देश उनके कारण सहमा हुआ सा हैं की ना जाने उनकी बेवकूफी किस किसपर भारी पड़ जाए|
जो कुछ हुआ वो लोगो की मूर्खता के कारण हुआ लेकिन खबरों के अनुसार जितने भी जमाती सरकारी संरक्षण में हैं वो सभी सरकार से सहयोग करने की बजाये उत्पात मचाने में लगे हैं हद तो तब हो गयी जब गाजिआबाद में रखे गए जमाती महिला नर्सो में सामने नंग धडंग घूमने लगे तो सरकार को मजबूरन इन्हें जेल में भेजना पडा|
यही नहीं इन्दोर में तो लोगो ने स्वास्थ विभाग की टीम पर हमला ही कर दिया जिसके कारण स्वास्थ विभाग की टीम को वंहा से जान बचाकर भागना पड़ा व अंत में मध्य प्रदेश सरकार ने सख्ती दिखाते हुए ने हमला करने वालो पर रासुका लगाकर उन्हें जेल में डाल दिया|
उत्तराखंड के देहरादून से आ रही खबरे भे कुछ सही नहीं हैं जहा पर जमाती हंगामे पर उतारू हैं वह लोग एक बार में 25 रोटियों की मांग रख रहे हैं जबकि नियम यह हैं की मरीज को 4 रोटी, सब्जी व दाल देने का नियम हैं| जमाती चाहते हैं की उन्हें पीने के लिए बड़े बड़े गिलासों में चाय, बिस्कुट व बिरयानी चाहिए अगर उनकी मांगे ना मानो तो वो लोग वार्ड में जगह जगह थूक रहे हैं जिससे स्थिति गंभीर हो सकती हैं|
उत्तराखंड में सरकार को छोड़कर हम सभी को पता हैं की राज्य में स्वास्थ की क्या स्थिति हैं जब अमेरिका व यूरोप जिनकी स्वास्थ व्यवस्था को पूरा विश्व अनुसरण करता हैं वो देश आज कोरोना के कहर में खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं व अमेरिका तो खुद स्वीकार चुका हैं की यदि कोरोना से दो लाख चालीस हजार मरने के आशंका हैं|
अगर यदि हम उसपर नियंत्रण पा ले जबकि यूरोप तो अभी इस स्थिति में भी नहीं हैं की वो इसका आकलन कर सके वंहा तो लाशो को दफनाने का रिवाज हैं लेकिन कोरोना के कारण लाशें ना तो किसी को सौप सकते हैं ना ही दफना इस कारण से सभी शवगृह लाशो से पटे पड़े है|
उत्तराखंड की लाटी रावत सरकार सभी नियमो को ताकपर रखकर अपने लाटेपने का उदहारण देने पर तुली हुई हैं| पूरा विश्व लॉक डाउन के नियमो का पालन कर रहा हैं वही उत्तराखंड देश का एकलोता राज्य हैं जिनसे सुबह 7 बजे से लेकर दोपहर एक बजे तक लोगो को छुट्टा घूमने की छूट दी हैं जिसके कारण सामजिक दूरियों में रहने जैसे नियमो की सरेआम धज्जिया उड़ रही हैं| आज हालत यह हैं की देहरादून, हल्द्वानी, हरिद्वार व उधम सिंह नगर जैसे जिलो में जाम लगने के समाचार आने लगे हैं|
विदित हो की जमातियो के कहर से उत्तराखंड भी अछूता नहीं हैं व इनके कारण हल्द्वानी, हरिद्वार व देहरादून हिट लिस्ट में आ चुका हैं व छूट जैसी सरकारी नीतिया इसे ना जाने महामारी बना दे पता नहीं व उसपर प्रशासनिक चूक इसे क़ब लाशो से पाट दे कोई नहीं जानता|
हालत यह हैं की सरकार ने केंद्र सरकार के आदेशो का पालन ना करते हुए PPE किट की जगह HIV किट कुमाऊँ के अस्पतालों में बटवा दी हैं| जबकि हर कोई जानता हैं की HIV व COVID 19 के प्रसार में बहुत अंतर हैं| इसलिए सूट के साथ साथ चेहरे को ढकने के लिए पारदर्शी गिलास भी जरूरी हैं| कोरोना से बचाव के लिए स्वास्थ कर्मियों को आम मास्क की जगह N95 मास्क चाहिए|
उत्तराखंड में अगर कोई शख्स गंभीर हैं तो वो मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह हैं जो अपनी सूझ बूझ व् अनुभव से प्रशासनिक अमलो को सक्रिय रहे हुए हैं व आगे आने वाली विपत्तियो की तैयारियों में जोर शोर से जुटे हुए हैं|
जबकि मुख्यमंत्री अपने चाटुकार सचिवो के साथ मीटिंग कर अपने आपको स्थिति ले प्रति गंभीर दिखाने की वीडियो समाचार माध्यमो से प्रसारित करवा रहे हैं| जबकि अगर किसी को गंभीरता की परिभाषा सीखनी हैं तो उसे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी से सीखे| उन्होंने 24 घंटे में ऐसा कर दिया की सभी जमाती लाइन पर आ गए व क़ानून का पालन करने लगे है|
इस विपत्ति की घडी में फेसबूकिये समाजिक कार्यकर्ताओ की बाढ़ सो आ चुकी हैं जो इस समय अपने आपको सर्वश्रेष्ठ सिद्ध करने में लगे हैं और इसको लेकर कानून ने भी आखे मूंद ली हैं| होना तो यह चाहिए था की जिलाधिकारी को ऐसे संगठनो व लोगो को चोकी थाने के अनुसार वर्गीकृत कर उन्हें बोलना चाहिए था का आप सभी सामान इस जगह पर छोड़ आये हम लोग व्यवस्थित ढंग से इसे बटवा देंगे| अभी हो क्या रहा हैं की कुछ को तो इतना मिल रहा हैं की फैकना पड़ रहा हैं और किसी को कुछ भी नहीं|
इस प्रक्रिया का पालन करने से सभी को भोजन मिल पायेगा व लोग भी सुरक्षित रहेंगे| अगर पुलिस इस प्रक्रिया का पालन करेगी तो कानून व्यवस्था का पालन करने में उन्हें भी आसानी होगी और लोगो के बीच उनका मेल जोल भी बढेगा|
इसके अलावा पुलिस व प्रशासन को युवा व संगठनो की सहायता लेनी होगी व उन्हें प्रशिक्षण देना होगा ताकि अगर समस्या विकराल हो जाए तो वो लोग अलग अलग जगहों पर प्रशासन की मदद कर सके क्योकि सरकारी अमला सिमित हैं व संभव नहीं है की वो लोग 24 x 7 काम कर सके| यह कार्यकर्ता ही उन्हें उस बोझ से मुक्ति दिलाएंगे|
डबल इंजिन का छलावा हमपर भारी पड़ने लगा हैं व अब लगने लगा हैं क्योकि पहाड़ में इस समय केवल और केवल बुजुर्ग लोग ही घरो में रह गए हैं व अगर कोरोना एक बार यहाँ पहुच गया तो पूरा का पूरा पहाड़ खाली करके ही जाएगा और ना जाने कितनी लाशें इस बंद के कारण अपने अपनों की बाट जोहते हुए सड सड कर पंचतत्व में विलीन हो जायेगी|