आम आदमी पार्टी (आप) का महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में काफी फीका प्रदर्शन रहा। पार्टी को महज 0.1 प्रतिशत वोट मिले जबकि नोटा को भी 1.35 प्रतिशत वोट मिले। आप ने केवल 20 सीटों पर ही उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था। ऐसे में, पार्टी की महाराष्ट्र में प्रवेश की आगे की राह मुश्किल होती दिख रही है। हालांकि, पार्टी इसे शुरुआत के तौर पर देख रही है।
मुंब्रा-कलवा विधानसभा सीट पर आप के उम्मीदवार अबू फैजी ने जरूर दमखम दिखाया। एनसीपी के दमदार चेहरे जितेंद्र आव्हाड के सामने प्रचार के समय से ही फैजी चर्चा में थे। उन्हें 30,520 वोट मिले जो कि कुल मतदान का 17.05 प्रतिशत थे। इस सीट पर प्रचार के लिए कई नेता दिल्ली से आए थे।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी प्रचार के अंतिम चरण में विदर्भ में पार्टी उम्मीदवार परोमिता गोस्वामी के लिए सभा किए थी, लेकिन उन्हें महज 3,596 वोट ही मिले। आप के मुंबई में उतरे उम्मीदवार भी कोई प्रभाव नहीं दिखा पाए।
सोशल मीडिया पर जरूर आप ने प्रभावी उपस्थिति दिखाई। दिल्ली में शिक्षा और स्वास्थ्य के मुद्दे में बेहतरीन काम की झलक दिखाते हुए पार्टी वोटर के बीच गई थी। एक आप समर्थक ने कहा कि पार्टी ने महाराष्ट्र में महज 20 उम्मीदवार उतारे थे। इसके आधार पर नतीजे पर पहुंचना जल्दबाजी होगी। समय के साथ पार्टी अपनी जड़ें मजबूत करेगी। आप प्रवक्ता रूबेन मैसक्रिन्हास ने कहा, ‘हम लोगों की आवाज बनने के उद्देश्य से मैदान में आए हैं। आगे से हम बीएमसी समेत सभी लोकल कॉर्पोरेशन के भी चुनाव लड़ेंगे।’
इधर हरियाणा विधानसभा चुनाव में पहली बार 90 में से हरियाणा विधानसभा की सिर्फ 46 सीटों पर चुनाव लड़ रही दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी पस्त नजर आ रही है। इतना ही नहीं, सभी 46 सीटों पर आम आदमी पार्टी उम्मीदवारों की जमानत जब्त होने की खबर है। इतना ही सबसे बड़ा झटका तो आम आदमी पार्टी के हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष नवीन जयहिंद को लगा है, क्योंकि उन पर AAP मुखिया अरविंद केजरीवाल ने उन पर बड़ा दांव लगाया था।
ऐसा माना जा रहा था कि यदि हरियाणा विधानसभा चुनाव में अगर आम आदमी पार्टी अच्छा प्रदर्शन करती तो इसका सकारात्मक असर दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 पर भी पड़ेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। राजनीति के जानकार भी मानते हैं कि अगर हरियाणा में AAP अच्छा प्रदर्शन करती तो उसका सकारात्मक असर अगले कुछ महीनों में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव पर भी पड़ता।
यहां पर बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी मुखिया अरविंद केजरीवाल मूलरूप से हिसार के रहने वाले हैं। इतना ही नहीं, पिछले कुछ सालों के दौरान उन्होंने कई रैलियां भी कीं थी। इतना ही नहीं, ब्राह्मण कार्ड खेलते हुए अरविंद केजरीवाल ने नवीन जयहिंद को प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर आगे बढ़ाया था।
वहीं नवीन जयहिंद ने भी ब्राह्म्ण कार्ड खेलते हुए इसे भुनाने की कोशिश की थी। इसी कड़ी में वे चुनाव प्रचार में फरसे के साथ नजर आए। हालांकि, उन्हें चुनाव आयोग की ओर हिदायत भी दी थी, लेकिन वह नहीं माने।
उधर पंजाब जन्हा पार्टी मुख्य विपक्षी दल हैं वो 2017 के बाद हुए चुनावों में अपने प्रदर्शनों के सुधार की बजाय और गिरती जा रही हैं| पंजाब में लोकसभा के चुनाव हो या उप चुनाव आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों के लिए अपनी जमानते बचाना भी मुश्किल हो रहा हैं| हालाकि भगवंत मान की रेलियो में लोग खूब आ रहे हैं पर वो लोग सिर्फ और सिर्फ चटपटी बाते सुनकर वोट नहीं देता यह अंदाजा अब आम आदमी पार्टी को होने लगा है|
वीरवार को आये पंजाब उप चुनावों के परिणामो में दाखा, फगवाडा, मुकेरिया और जलालाबाद में मुख्य मुकाबला कांग्रेस व भाजपा -शिरोमणि अकाली दल के बीच ही रहा| दाखा सीट जो आम आदमी पार्टी के फुल्का ने जीती थी और उनके इस्तीफे से खाली हुई थी वो तक पार्टी बचाने में कामयाब नहीं हो पायी हैं व 2018 में हुए उप चुनावों में भी शाहकोट सीट आम आदमी पार्टी हार गयी थी और यंहा तक लोकसभा चुनावों में भी भगवंत सिंह मान को छोड़कर सभी उम्मीदवारो की जमानत तक जब्त हुई थी|