कभी हाँ कभी ना करते करते आज राज्य सभा में चर्चित तीन तालाक बिल पास हो ही गया। राज्यसभा में कई दलों के वॉकआउट करने व कई के अनुपस्थित रहने की वजह से राज्यसभा में विधेयक का रास्ता और भी आसान हो गया था। जेडीयू, एआईएडीएमके, बीएसपी और टीआरएस जैसे बड़े दलों ने भी वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। एआईएडीएमके और जेडीयू जैसे दलों के वॉकआउट और बीजेडी के समर्थन से बिल पास कराने में सत्ताधारी दल को बड़ी मदद मिली।
राज्यसभा में पर्ची से इस विधेयक के लिए वोटिंग कराई गई। बता दें कि विपक्ष ने बिल को सिलेक्ट कमिटी को भेजना का प्रस्ताव रखा था लेकिन यह प्रस्ताव 100/84 से गिर गया। इसके बाद विधेयक के लिए वोटिंग में इसके पक्ष में 99 वोट पड़े और विपक्ष में 84 वोट ही पड़े। इस तरह राज्यसभा में आसानी से यह बिल पास हो गया।
इस समय राज्यसभा में एआईएडीएमके के 11, जेडीयू के 6, टीआरएस के 6, बीएसपी के 4 और पीडीपी के 2 सांसद हैं। ये सभी सांसद वोटिंग के वक्त राज्यसभा में मौजूद नहीं थे। इसके अलावा एसपी के भी कुछ सांसद वोटिंग में शामिल नहीं हुए। 242 सदस्यों वाली राज्यसभा में बीजेपी के 78 और कांग्रेस के 48 सांसद हैं। बिल को पास कराने के लिए एनडीए को 121 सदस्यों का समर्थन चाहिए था लेकिन बड़ी संख्या में अनुपस्थिति की वजह से सदन में बीजेपी की स्थिति मजबूत हो गई। वोटिंग आम आदमी पार्टी के तीनों सांसदों ने भी बिल के खिलाफ वोटिंग की।
बीजेपी में राज्यसभा में उपस्थित रहने के लिए अपने सांसदों को विप जारी की थी। जेडीयू और एआईएडीएमके के वॉकआउट के बाद बिल का रास्ता और भी सरल हो गया। इन दोनों दलों के वॉकआउट के बाद सदन में 213 सदस्य बचे थे। बाद में टीआरएस, बीएसपी और पीडीपी सांसद भी सदन से बाहर चले गए। वोटिंग के वक्त संसद में 183 सदस्य ही मौजूद थे। बता दें कि पिछली बीजेपी सरकार ने भी बिल को पास कराने की कोशिश की गई थी लेकिन राज्यसभा में अल्पमत में होने की वजह से यह बिल गिर गया था।
राज्यसभा में इस बिल पर लगभग साढ़े चार घंटे बहस चली। कंग्रेस और बीएसपी समते पीडीपी और एआईडीएमके ने भी इस बिल का विरोध किया। एआईएडीएमके ने बिल को सिलेक्ट कमिटी को भेजने की मांग करते हुए सदन से वॉकआउट कर दिया। इसके बाद पीडीपी सांसद मोहम्मद फैयाज ने भी बिल का विरोध किया। बीएसपी के सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि वह बिल के खिलाफ हैं और इसे सिलेक्ट कमिटी को भेजना चाहिए। हालांकि चर्चा में बिल का विरोध करने वाले ये दल वोटिंग के समय सदन से नदारद हो गए।
यह बिल 21 फरवरी को जारी किए गए अध्यादेश की जगह लेगा। लोकसभा में 26 जुलाई को यह बिल पास हो चुका है। इस विधेयक में तीन साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।