रोज अजब गजब केस देखने को मिलते हैं एक अपनी ही तरह का अनूठा केस आया हैं जिसमे तलाक के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रही 35 वर्षीय महिला ने अपने अलग रह रहे पति से दूसरे बच्चे को पैदा करने के लिए पारिवारिक अदालत का दरवाजा खटखटाया है। महिला का कहना है कि उसके मां बनने की उम्र के खत्म होने से पहले उसे अलग रह रहे पति के साथ या तो वैवाहिक संबंध बहाल करके या इनविट्रो फर्टिलाइजेशन के जरिए गर्भ धारण करने की अनुमति दी जाए।
अदालत ने इस सप्ताह दिए अपने आदेश में निजी स्वायत्तता और प्रजनन स्वास्थ्य पर अंतरराष्ट्रीय कानूनों और संधियों का हवाला देकर पत्नी के ‘प्रजनन के अधिकार’ को ‘मानव का मूलभूत अधिकार’ बताया। अदालत ने पति और पत्नी दोनों को 24 जून को मैरिज काउंसलर के पास जाकर सलाह लेने और एक महीने के अंदर आईवीएफ विशेषज्ञ के साथ मुलाकात करने के लिए निर्देश दिया है।
उधर, पति ने महिला की याचिका को अवैध, एक झांसा और सामाजिक मानकों के खिलाफ बताया है। अपने आदेश में नांदेड़ की फैमिली कोर्ट की जज स्वाति चौहान ने लिखा, ‘तकनीक की मदद से बच्चा पैदा करना किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं है और ना ही लिखित या अलिखित सामाजिक मानकों का उल्लंघन है। प्रतिवादी तकनीक की मदद से बच्चे को पैदा करने को अपनी सहमति नहीं दे सकता है लेकिन बिना वाजिब तर्क के उसके मना करने पर उसे कानूनी और तार्किक परिणामों का सामना करना पड़ सकता है।’
जज स्वाति चौहान ने कहा, ‘बच्चे के प्रजनन या वंश वृद्धि को केवल कानून या कानूनी प्रक्रिया से हल नहीं किया जा सकता है….प्रजनन के मुद्दे को क्लिनिकली हल करना होगा।’ उन्होंने कहा कि आईवीएफ विशेषज्ञ डॉक्टर से मुलाकात के बाद वह डॉक्टर एक गोपनीय रिपोर्ट बाद में कोर्ट को सौंपेगा। हालांकि पति की इस पूरी प्रक्रिया में सहमति बेहद महत्वपूर्ण है।
बता दें कि पति और पत्नी दोनों ही काम करते हैं और उनका एक नाबालिग बच्चा पहले से है। मुंबई में रहने वाले पति ने वर्ष 2017 में क्रूरता का आरोप लगाकर तलाक के लिए अर्जी दाखिल की है। वहीं पत्नी ने भी नांदेड़ की अदालत का दरवाजा खटखटाया है। दोनों के मामले अभी लंबित हैं। इस बीच वर्ष 2018 में पत्नी ने दूसरे बच्चे के लिए अर्जी दाखिल की। पत्नी ने कहा कि दूसरा बच्चा उसके बुढ़ापे के लिए जरूरी है।