उत्तराखंड में यह त्रिवेन्द्र सिंह रावत सरकार की विफलता ही हैं जो दिनों दिन आयुष्मान योजना में फर्जीवाड़े पकडे जा रहे हैं| सरकार की ढुलमुल निति की वजह से उनको सिर्फ आर्थिक दंड देकर छोड़ा जा रहा हैं जबकि आयुष्मान की उपयोगिता को समझते हुए ऐसे अस्पतालों के लाइसेंस ही रद्द किये जाने चाहिए थे| लेकिन भ्रष्ट अफसरशाही व बेलगाम बाबुओ पर अंकुश पाना अब त्रिवेन्द्र रावत के बूते से बाहर होता जा रहा हैं|
ऐसा पहली बार नहीं हुआ हैं की आयुष्मान योजना में घपला पाया हो| उत्तराखंड के हर निजी अस्पतालों का हाल यही हैं क्योकि उत्तराखंड सरकार सार्वजनिक स्वास्थ योजना को सही तरीके से व्यवस्थित नहीं कर पायी और भ्रष्ट अफसरशाही के लिए यह कमाई का सबसे बड़ा जरिया बन चूका हैं|
इस बार उत्तराखंड सरकार ने हरिद्वार के प्रिया अस्पताल व ऊधमसिंह नगर के जसपुर स्थित मेट्रो अस्पताल को फर्जीवाड़ा की शिकायत पर कारण बताओ नोटिस दिया गया है। जबकि सरकार को सीधी कार्यवाही कर अस्पताल को बंद करने का नोटिस जारी किया जाना चाहिए था| यह वो अस्पताल है जो आयुष्मान योजना से सरकार को चूना लगाते है व लोगो से जबरन पैसे भी वसूलते हैं|
यह तंत्र की विफलता ही है जो इतना कुछ होने के बाद भी राज्य सरकार केवल कुछ चुनिन्दा अस्पतालों पर कार्यवाही की बजाय नोटिस भेज रही अहि जबकि सब जानते है की इन नोटिसो का हाल उत्तरखंड में क्या होता हैं|