उत्तराखंड रोडवेज की बस खरीद प्रक्रिया सवालों के घेरे आ गई। प्राइवेट ऑपरेटर अपनी बसों से जिन उपकरणों को कई साल पहले हटा चुके थे, रोडवेज ने ऐसे उपकरणों वाली बसें खरीदी हैं जिसका नतीजा यह हुआ हैं कि रोडवेज चालक तो परेशान हो ही रहे है व आगे की सीट पर बैठने वाले यात्री भी दिक्कतें हो रही हैं।
यही नहीं रोडवेज की नई बसों के गियर लीवर से चालकों को भी काफी परेशानी हो रही है। इन नयी बसों में पहले दिन से ही चालक इस पर सवाल उठा रहे हैं। वर्कशॉप के एक वरिष्ठ कर्मचारी ने बताया कि कॉम्पेक्ट गियर बॉक्स बिल्कुल कार के गियर सिस्टम की तरह होता है।
ड्राइवर आसानी से गियर बदल सकता है मगर इसका रॉड गियर से ड्राइवर का ध्यान बंटता है इतना ही नहीं नई बसें अपनी गियर रॉड और तकनीकी खामियों की वजह से सुर्खियों में हैं व हाल ही में बीच सफर में ही नई बसों के गियर रॉड चुके हैं।
अब सवाल उठता है कि आज के दौर में जब तकनीक दिन ब दिन बदल रही है तो रोडवेज के अधिकारियों ने 90 के दशक की तकनीक वाली बसें खरीदी ही क्यों?
हमारे प्रतिनिधि को हल्द्वानी-दिल्ली रूट वाली एक बस के चालक ने बताया कि पहले तक छोटे लीवर से गियर डालने में कम जोर लगता था। मगर, नई बसों में गियर बदलने में ही ज्यादा ताकत लगानी पड़ती है। दूसरे चालक का कहना है कि लीवर ड्राइवर सीट के बहुत पास है।
इसकी वजह से हाथ भी टकरा रहा है। अल्मोड़ा-दिल्ली रूट के एक चालक ने बताया कि नयी बसों में गियर लीवर के ड्राइवर की पिछली सीट के करीब होने के कारण यात्रियों का पैर लगाने का खतरा है।
इसके साथ गियर डालने के लिए दोबारा क्लच दबाना पड़ रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि एक बार क्लच दबाने पर काफी आवाज भी आ रही है। गियर लीवर टूटने की खबर आने के बाद से लोगों ने रोडवेज की नयी बसों में बैठने परहेज करते दिखे खासकर पहाड़ी रूट पर|
जानने वाली बात हैं की वर्षो पहले रॉड लीवर गाडियों में आने बंद हो चुके हैं लेकिन सरकार व अधिकारियो ने किस मंशा से पुरानी तकनीक की गाडिया खरीदी हैं यह किसी को भी समझ में नहीं आ रहा है|
नई बसें खरीदते वक्त रोडवेज के अफसरों भी ज्यादा गंभीर नहीं रहे। कंपनी नाम और यूरो-फोर मानक सुनकर उन्होंने पड़ताल बंद कर ली। कंपनी ने शुरू की बसों की जांच: गियर लीवर टूटने और तकनीकी खराबी की शिकायतें मिलने पर कंपनी ने उत्तराखंड को बेची गई बसों की जांच शुरू कर दी।
एक-एक बसों को जांचा जा रहा है। इस बारे में जीएम संचालन का कहना है कि गियर रॉड टूटने की घटना के साथ ही कंपनी प्रबंधन से इसकी शिकायत कर दी गई थी।
देश में जन्हा 2020 से भारत मानक 6 की धूम रहेगी वही वर्षो पुरानी तकनीक और भारत मानक 4 की बसों की खरीद पर सरकार की नियत व गतिविधियों पर उंगलिया उठ रही हैं| आपको बता दे की सर्वोच्च न्यायालय ने 1 अप्रेल 2020 से भारत स्टेज 04 की बसों पर बिक्री से रोक लगा दी हैं|
नीचे की सूची देखकर आपको पता लग जायेंगा की भारत उत्सर्जन नियम व यूरो उत्सर्जन नियम क्या हैं? वैसे ही उत्सर्जन नियम अन्य देशो से कम ही हैं उसके बाद भी आधुनिक तकनीक की बसे ना खरीदना सीधा सीधा भ्रष्टाचार की और इशारा करता हैं|
पेट्रोल
Emisson Norms (उत्सर्जन नियम ) | CO | HC | NOX | HC+Nox | PM |
BS-4 | 1.00 | 0.10 | 0.08 | – | – |
Euro | 1.00 | 0.10 | 0.06 | – | 0.05 |
डीजल
Emisson Norms (उत्सर्जन नियम ) | CO | HC | NOX | HC+Nox | PM |
BS-4 | 0.50 | – | 0.25 | 0.30 | 0.025 |
Euro | 0.50 | – | 0.06 | 0.17 | 0.005 |