तेजी से बढ़ रहे ई रिक्शा मार्केट में काइनेटिक, हीरो इलेक्ट्रिक और महिंद्रा ऐंड महिंद्रा जैसी बड़ी कंपनियों को कारोबार शुरू किए हुए दो साल से अधिक हो चुके हैं। हालांकि, इन कंपनियों को इस सेगमेंट में अपना सिक्का जमाने में अभी और समय लगेगा। इलेक्ट्रिक वीइकल्स को लेकर भारत में दिलचस्पी बढ़ रही है। देश में बैटरी वाले लगभग 15 लाख रिक्शा चल रहे हैं। 2015 से साइकल रिक्शा की जगह बैटरी से चलने वाले रिक्शा की बिक्री बढ़ी है। भारत में ई-रिक्शा की बिक्री 20 पर्सेंट सालाना की दर से बढ़ रही है।
हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसका बड़ा हिस्सा अनऑर्गनाइज्ड सेक्टर से आ रहा है। इससे बड़ी कंपनियां अपनी रणनीति बदलने पर मजबूर हुई हैं। वाहन पोर्टल डेटा के मुताबिक, असंगठित कारोबारी एक महीने में 10,000 ई-रिक्शा की बिक्री कर रहे हैं, जबकि ऑर्गनाइज्ड कंपनियों की मासिक बिक्री 1,500-2,000 यूनिट की है।
काइनेटिक ग्रीन एनर्जी ऐंड पावर सॉल्यूशन की सीईओ सुलज्जा फिरोदिया मोटवानी का कहना है, ‘असंगठित कारोबारी कम क्वॉलिटी वाले ई-रिक्शा बेच रहे हैं। इनमें लेड एसिड बैटरी लगी होती है जिसे हर 6-8 महीने के बीच बदलना पड़ता है। इनके साथ कोई वॉरंटी भी नहीं होती है। इनसे सुरक्षा को खतरा है और ये चलते फिरते ताबूत की तरह हैं।’
ई-रिक्शा की बिक्री विशेष तौर पर उत्तर भारत में उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और बिहार में होती है। इन जगहों पर यह ट्रांसपॉर्टेशन के बेहतर और सस्ते जरियों में शामिल हैं। असंगठित क्षेत्र में ई-रिक्शा की कीमत 40,000 रुपये से शुरू होती है, जबकि बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनियां एक लाख रुपये से अधिक के दाम पर ई-रिक्शा बेच रही हैं। कीमत में इस अंतर के चलते असंगठित क्षेत्र की ई-रिक्शा की बिक्री बढ़ी है।
पिछले साल ट्रेओ रेंज लॉन्च करने वाली महिंद्रा इलेक्ट्रिक के सीईओ महेश बाबू ने कहा, ‘ई-रिक्शा लोगों के लिए किफायती और सुविधा वाला साधन है और इससे ड्राइवर की आमदनी में भी इजाफा होता है जो इस सेगमेंट के बढ़ने का प्रमुख कारण है। 2018 में ई-रिक्शा रेगुलेशन नोटिफाइड होने से पहले असंगठित क्षेत्र में लेड एसिड बैटरी से चलने वाले ई-रिक्शा ही बिकते थे।’
महिंद्रा ने वित्त वर्ष 2020 में अभी तक लिथियम-आयन बैटरी वाले ट्रेओ की केवल 1,500 यूनिट ही बेची हैं। बाबू ने कहा कि कंपनी ने लेड बैटरी से चलने वाले ई अल्फा की 15,000 यूनिट की बिक्री की है। हालांकि, चिंता लिथियम ऑयन बैटरी वाले ई-रिक्शों को लेकर है, जिनकी बिक्री बढ़ने में कुछ वक्त लगेगा।
हीरो इलेक्ट्रिक के सीईओ और सोसाइटी ऑफ मैन्युफैक्चरर्स ऑफ इलेक्ट्रिक वीइकल्स इंडिया के डायरेक्टर जनरल, सोहिंदर गिल ने बताया, ‘असंगठित क्षेत्र के बहुत से कारोबारी रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं, जिससे इन्हें बड़े मार्केट में आने का मौका मिलेगा।’