जैसा की आप जानते हैं की अभी कुछ दिन पहले ही थाना काठगोदाम थाने के दो सिपाही चालक नंदन बिष्ट व् हमराह ललित मोहन एक दुर्घटना में मारे गये थे और उसी गाडी में सवार दो अन्य अधिकारी थानाध्यक्ष काठगोदाम नंदन रावत समेत महिला दारोगा माया बिष्ट बुरी तरह घायल हुए थे| पूरा का पूरा पुलिस महकमा जैसे हिल सा गया था क्योकि चालक नंदन सिंह बिष्ट बहुत ही सधा हुआ चालक था और गाडी चलाते समय बहुत ही सजग व गंभीर रहता था|
इस दुर्घटना के बाद लोगो में दुःख व पीड़ित परिवार के प्रति गहरी सहानभूति थी क्योकि दोनों मृतक अभी युवा ही थे और दोनों के ही बच्चे अभी बहुत छोटे छोटे ही हैं बाकी दो पुलिस अधिकारी उनकी हालत भी अच्छी नहीं थी व उन्हें क्रमश ब्रिजलाल व कृष्णा में उपचार के लिए भर्ती कराया गया था|
एक और जन्हा लोगो में दुःख था तो दूसरी और एक फेसबुकिया जनरेशन इस मुद्दे में भी पुलिस वालो का दोष तलाश रही थी और उनमे से एक ने तो मानवीय संवेदनाओ को तार तार करते हुए मृतक व घायल पुलिस वालो के बारे कुछ ऐसा लिख दिया की जिससे पूरी भद्रजन व पूरी पुलिस महकमा अचंभित रह गया क्योकि उत्तराखंड की एक संस्कृति रही हैं की जीवित व्यक्ति कैसा भी हो पर मृतात्मा के लिए हमेशा सम्मान की दृष्टि रही हैं और यह लोग तो कर्त्तव्य करने के दोरान दुर्घटनाग्रस्त हुए थे|
शंतिपुरी नंबर 4 के एक युवक सागर सिंह रावत ने तो सभी सीमाओं को लांघते हुए फेसबुक पर कुछ ऐसी बाते कह दी जो लोगो में तुरंत ही वायरल हो गयी और उस पोस्ट पर नकारात्कम व सकारात्त्मा बाते तेजी से पोस्ट होने के कारण वायरल होने लगी|
आजकल फेसबुक में नयी पीढ़ी का बोलबाला हैं जिसे चीजों व संवेदनाओ का पता कुछ नहीं होता लेकिन वो उसपर बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं और इन्ही कारणों से पोस्ट कुछ ही मिनटों में हजारो लोगो तक पहुच गयी और उनमे से कुछ पुलिस वाले भी थी और जल्द ही इस पोस्ट का स्क्रीनशॉट पुलिस महकमे के व्हाटसप ग्रुप में तेजी से वायरल होने लगे|
उनमे से कई लोगो ने सागर सिंह रावत को फ़ोन किया और बताया की उसने किस तरह उनकी भावनाओ को तार तार किया हैं उनमे से एक व्यक्ति जो पुलिस में हैं और उसी क्षेत्र वासी हैं उसने सामाजिक व ग्रामवासी होने के कारण फ़ोन पर बात की जिसे की सागर ने रिकॉर्डिंग ने अपनी अनुभवहीनता व बचपना दिखाते हुए वायरल कर दिया|
जबकि उसने जो गलती की थी उसके लिए उसे लज्जित होना चाहिए था| हालाकि सागर रिकॉर्डिंग में कह रहा है की उसने वो पोस्ट अब डिलीट कर दी है और वो लिखकर देने को तैयार हैं की उससे गलती हुई हैं|
सागर ने जो भी किया हो लेकिन वो क्षमा भी मांग लेगा और पुलिस महकमा उसे क्षमा भी कर देगा पर उसने जो नकारात्कम मानसिकता सामजिक पृष्ठभूमि में फैलाई हैं उससे हमारी संस्कृति व मानवीय संवेदनाये अहित हुई हैं क्या उसे कोई भर पायेगा?
फेसबुक व अन्य मंचो का सृजन लोगो को जोड़ने व सूचनाओ को तत्वरित रूप से सबको पहुचाने के लिए हुआ था लेकिन आजकल यह मंच नकारात्मक चीजों को बहुत तेजी से वायरल कर रहे हैं क्या यह हमारी खोखली होती मानवीय सोच का परिणाम तो नहीं हैं? अगर ऐसा है तो हमें इस विषय में फिरसे सोचना पड़ेगा और आने वाली नस्लों को अतिक्रमण व सीमाओं से परिचित कराना होगा|