पंचायती चुनाव में लाकुआ विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी का पूरी तरह से सफाया हो गया है| क्षेत्रीय विधायक अपने दोनों चहेते उम्मीदवारों को टिकट दिलवाने के बाद भी उन्हें चुनाव वेतर्नी पार नहीं करा पाए और समीकरण ऐसे बैठे की प्रदेश में सबसे ज्यादा वोट मार्जिन से जीतने वाली विधानसभा में उसके दोनों उम्मीदवार तीसरे नंबर पर आये है|
इन पंचायत चुनावो को त्रिवेद्र सरकार व विधायक के कार्यो का आइना माना जा रहा था| यह चुनाव भाजपा विधायक व सरकार के विकास व मतदाताओ के बीच पकड़ की परीक्षा का था क्योकि आये दिन क्षेत्रीय विधायक के फेसबुक पर लोगो के बीच जाने और विकास काम करने के बड़े बड़े दावे कर रहे थे| अगर वो दावे सही थे तो लोगो ने क्यों उन्हें व उनके उम्मीदवार को क्यों नकार दिया? इन परिणामो को देखकर तो लगता हैं की विकास सिर्फ कागजो और फेसबुक में ही हुआ है धरातल पर नहीं|
लालकुआ विधानसभा क्षेत्र की दोनों पंचायत सीटो से निवेदिता जोशी व मोहन सिंह बिष्ट की जीत ने यह दर्शाया हैं की लोगो ने व्यक्तियों को पार्टी से ऊपर महत्त्व दिया हैं एक और निवेदिता जोशी को उनके पति रवि शंकर जोशी के सामजिक कार्यो का फायदा मिला है तो दूसरी और मोहन सिंह बिष्ट को उनके व्यक्तित्व और सामजिक छवि का फायदा मिला हैं|
मोहन सिंह बिष्ट की पकड़ व छवि होने के बाद भी भारतीय जनता पार्टी द्वारा उनके बड़े भाई को टिकट देकर यह सिद्ध कर दिया था की पार्टी कार्य, कार्यकर्ता व उसकी पकड़ की बजाय चापलूसी पर ध्यान देती हैं वर्ना तो भाजपा के लिए जग्गी बंगर पंचायत क्षेत्र से मोहन सिंह बिष्ट से बेहतर कोई भी नहीं था लेकिन विधायक दुमका के कारण मोहन सिंह बिष्ट को भाजपा ने टिकट नहीं दिया|
आमखेडा चोरगलिया क्षेत्र के परिणामो ने पूरे विधानसभा सहित जिले को चौकाया हैं क्योकि निवेदिता जोशी एक नयी व अनुभवहीन नेता थी और उनका किसी भी पार्टी से कोई लेना देना नहीं था व उनके विरुद्ध कांग्रेस से संध्या डालाकोटी व भाजपा से ममता कार्की थी| दोनों ही नेता अनुभवी, धनी व दमखम रखने वाली थी और कांग्रेस की संध्या डालाकोटी को तो कांग्रेस जिला अध्यक्ष बनाने सोच भी चुकी थी|
धन, बल और शराब के सहारे होने वाले चुनावों में निवेदिता जोशी व पति रवि शंकर जोशी ने बेहद ही सादगी से चुनाव लड़ा उन्होंने कंही कोई बड़े बड़े वादें नहीं किये और न ही लोगो से कहा की वो यह काम करवा देंगे| उन्होंने सिर्फ अपने द्वारा किये गए कामो को लोगो के बीच रखा जबकि विपक्षी दलों के प्रत्याशियों ने वादों की झड़ी सी लगा दी थी| लोगो को उनकी सादगी व उनके कामो और नियत पर विश्वास था इसलिए लोगो ने निवेदिता जोशी को अपना आशीर्वाद व सहयोग देकर विजयी बनाया|