उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत सच में राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं क्योकि वो जानते हैं की केवल शब्द लोगो को नहीं जोड़ते उन्हें जोड़ने के लिए स्वाद भी एक जरिया हो सकता हैं| इसलिए आजकल हरदा पहाड़ी व्यंजनों को परोसकर चटखारे वाली राजनीति कर रहे हैं| हरदा जानते हैं की पहाड़ में एक कहावत बहुत प्रचलित हैं कि ” पहाड़ी यार किसके खाए पिए और खिसके”।
आज हरीश रावत ने हल्द्वानी में ककड़ी रायता पार्टी का आयोजन किया। हरीश रावत की इस पार्टी में पूरी पार्टी एकजुट दिखाई दी व सबने इस ककड़ी रायता पार्टी का जमकर आनंद भी लिया। अक्सर हरीश रावत के कार्यक्रमों से दूर रहने वाली उनकी धुरविरोधी नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश भी काकड़ी रायता पार्टी खाने पहुंची। इसके अलावा राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व जागेश्वर से विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल सहित कांग्रेस के कई दिग्गज नेता इस राजनितिक ककड़ी पार्टी में मौजूद रहे।
हरदा लंबे समय से उत्तराखंडी उत्पादों का पार्टी के आयोजनों के माध्यम से दिल्ली, देहरादून सहित राज्य के कोने-कोने में प्रचार करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस बार भी उन पहाड़ी उत्पादों को पार्टी के मैन्यू में रखा जिसे लोग भूलते जा रहे हैं। हल्द्वानी में आयोजित इस पार्टी में गेठी के गुटके, ककडी रायता, मशरूम, गडेरी, कचरी सहित कई पहाड़ी व्यंजन परोसे गए और ककड़ी रायता पार्टी में शिरकत करने आए सैकड़ों लोगों ने इन पहाड़ी व्यंजनों का स्वाद बड़े चटखारे लेकर चखा।
हरदा ककड़ी रायता पार्टी के बहाने पहाड़ी व्यंजनों को हजारों लोगों तक पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं व इस अवसर पर उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की पारंपरिक खेती से होने वाले उत्पाद को बढ़ावा देना और उनकी पहचान को बनाए रखने के साथ उनके संवर्धन के लिए वह निरंतर प्रयासरत हैं। इसीलिए हर जगह पहाड़ी उत्पादों को प्रचारित व प्रसारित कराते रहते हैं। जैसे उत्तराखंड की मूल संस्कृति और विरासत को बचाए रखना हमारी जिम्मेदारी है। उसी तरह पहाड़ी उत्पादों और व्यंजनों को देश-दुनिया तक पहुंचाना हमारा कर्त्तव्य होना चाहिए।
ऐसा तो हो नहीं सकता है कि हरीश रावत किसी पार्टी का आयोजन करें और उसके सियासी मायने ना निकले, हल्द्वानी में भी ककड़ी रायता पार्टी के सियासी मायने से यह निकल कर आया कि पूरी कांग्रेस पार्टी एकजुट हैं व अक्सर हरीश रावत गुट से दूरी बनाए रखने वाले नेता भी हरीश रावत की इस पार्टी में पहाड़ी व्यंजनों का आनंद लेते नजर आए। बरहाल अब देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस क्या पार्टियों में ही एकजुट नजर आएगी या धरातल में भी कंधे से कंधा मिलाकर उत्तराखंड में फिर से लोगो का विश्वास जीत पाएगी|
इधर क्षेत्रीय सांसद अजय भट्ट ने हरीश रावत की इस पार्टी पर चुटकी लेते हुए कहा कि हरीश रावत के पास आजकल कोई खास कामकाज भी नहीं है, और वह यह भी मानते हैं की पार्टी को हरीश रावत के अनुभव से सीख लेने की जरूरत है, क्योंकि आप अगर पार्टी में काम करने वाले आदमी को काम नहीं दोगे तो अपने अस्तित्व को बचाने के लिए आदमी कुछ तो काम तलाशेगा, लिहाजा अब हरीश रावत रायता खिलाएं यह रायता फैलाएं यह उन पर निर्भर करता है, और राजनीति में यह सब आम बाते हैं|
लेकिन उन्हें इस बात का कष्ट जरूर है कि कभी भी अजय भट्ट को हरीश रावत में अपनी किसी भी पार्टी में निमंत्रण नहीं दिया, हालांकि हरीश रावत उनके बड़े भाई हैं और वह कोई भी गलत टिप्पणी उनके ऊपर नहीं करेंगे, क्योंकि यह भी हो सकता है कि हरीश रावत का जनता के बीच जाने का और जुड़ने का यह अपना स्टाइल है क्योंकि राजनीति में हर आदमी अपनी तरीके से जनता से जुड़ता है।