उत्तराखंड सरकार ने परिवहन नए नियमो को अपनाकर जो साख बने थी वो बाबुओ के निकम्मेपन के कारण मजाक बनकर रह गयी है और दर्शाती हैं की उत्तराखंड में दोहरा कानून काम करता है आम जनता के लिए कुछ और नेताओ अधिकारियो के लिए कुछ और| ऐसा एक बार नहीं कई बार देखा जा चूका है वो तो भला हो न्याय व्यवस्था का जिसके कारण उत्तराखंड में कानून व प्रशासनिक व्यवस्था बनी हुई है|
पूरे भारतवर्ष में आप बिना प्रदुषण प्रमाणपत्र व इंश्योरेंस के गाड़ी नहीं चला सकते और यह कानून भारत के सभी व्यक्तियों पर एक साथ लागू होता हैं लेकिन उत्तराखंड में यदि आप नेता, बाबू या मंत्रियो से पहचान है आपको सब माफ़ है| आप बिना इंश्योरेंस व प्रदुषण प्रमाणपत्र के अपनी गाडी कंही भी दोडा सकते है और मजाल हैं की कोई पुलिस वाला आपको रोककर पूछ सके की आपके पास कागज़ हैं उलटा सलाम और ठोकेगा अगर गलती से आपको कोई उल्टी दिशा या वन वे में रोक भी ले तो आप मंत्री को बोलकर उसको जंगल में फिकवा सकते हैं|
केंद्र में नितिन गडकरी ने जब नए कानूनों को लागू किया था तो उन्होंने कहा था की यह कानून लोगो में गंभीरता लाने के लिए है| उत्तराखंड में लोगो ने भी इसे गंभीरता से लिया और घंटो धूप में खड़े होकर प्रदूषण प्रमाण पत्र बनवाये पर उत्तराखंड की लाटी सरकार की हरकतों ने इसे तार तार कर दिया| क्योकि उत्तराखंड सरकार के अपने विभाग ने ना तो अपने वाहनों का प्रदुषण परिक्षण कराया है और ना ही उनके पास उनके वाहनों का सालो से कोई इंश्योरेंस हैं|
यह सारी की सारी गाड़िया प्रदेश के मुखिया त्रिवेन्द्र सिंह रावत, मुख्य सचिव, राज्यपाल व अन्य मंत्रियो से सम्बन्ध रखती है| जो इस प्रकार हैं यूके 07 जीडी 0011, यूके 07 जीडी 0077, यूके 07 जीडी 0099, यूके 07 जीबी 0777, यूके 07 जीडी 0777, यूके 07 जीए 2566, यूके 07 जीए 2567, यूके 07 जीए 2568 , यूके 07 जीए 2569, यूके 07 जीए 2570, यूके 07 जीए 2571, यूके 07 जीए 2661, यूके 07 जीए 2662, यूके 07 जीए 1256
अब प्रश्न यह उठता है की क्या उत्तराखंड पुलिस व परिवहन विभाग इस विषय पर कोई कार्यवाही करेगा या निरीह जनता जो मंदी की मार से वैसे ही मरी हुई हैं उसपर बड़े बड़े चालान करके अपने कर्त्तव्य की इतिश्री करते रहेंगे|