हल्द्वानी। शहर में इन दिनों यातायात व्यवस्था पूरी तरह पटरी से उतर गयी है। शहर की सड़के जाम के झाम जूझ रही है तो फुटपाथ अतिक्रमण की भेट चढ़ गए है। जिसके चलते पैदल चलने वालो को भी समस्या से दो चार होना पड़ रहा है। रही सही कसर सड़क पर चलने वाले थ्री व्हीलर पूरी कर रहे है, इनके लिए मानो यातायात के नियम एक मजाक है। कही भी किसी भी रुट पर चलने से इन्हें कोई रोक नही सकता। चलते चलते ये कहा पर ब्रेक लगा दे इसका भी अनुमान लगाना बेहद मुश्किल है। यही वजह है की शहर के किसी न किसी रुट पर इनका किसी न किसी टू व्हीलर या फोर व्हीलर वाले से विवाद होना अक्सर देखा जाना आम बात हो चला है।
बात अगर बैटरी से चलने वाले टुकटुक की करे तो इन दिनों शहर की सड़को ही नही गली मोहल्लों पर भी इनका इकतरफा राज है। लोगों को एक बात समझ नही आ रही है की बैटरी से चलने वाला यह वाहन टूकटूक सवारियां ढोने के लिए है या सामान ? क्योकि सवारियों के आलावा इसमें अक्सर भारी माल लदा भी देखा जाने लगा है। गौर फरमाने वाली बात यह है की टूकटुक की संज्ञा दिए गए इस वाहन को नाबालिक चालक भी सड़को पर फर्रराटे से दौड़ा रहे है, मानो यह सवारी वाहन नही बल्कि वीडियों गेम खेलने की मशीन हो। अब बात करते है सड़क पर दौड़ने वाले यमराजो की।
हल्द्वानी की सड़को में दौड़ने वाले उपखनिज से लदे डंपरों को यमराज के नाम से भी संबोधित किया जाता है। आरटीओ कार्यालय से फिटनैस का सर्टिफिकेट प्राप्त यह अनफिट डम्पर कब कहा किसे ठोक दे, रौद दे, पलट जाए , डिवाइडर पर चढ़ जाए कुछ कहा नही जा सकता। इसके पीछे इन्हें चलाने वाले चालक पर अतिरिक्त प्रेशर का होना बताया जाता है, मजे की बात तो यह है की हल्द्वानी में अधिकांश चालको को एक ही दिन में एक नही बल्कि 3 से चार डम्पर चलाने में महारथ हासिल है। बात थोड़ी अजीब जरूर लग रही होगी लेकिन यह एक दम सत्य है। एक एक चालक एक से अधिक डंपरों को इस लिए ड्राइव करता है।
सुबह सुबह पहले एक वाहन को नदी में उपखनिज भरने के छोड़ कर आता है और नदी से ही आने वाले किसी अन्य वाहन से लिफ्ट लेकर फिर बाहर खड़े दुसरे वाहन पर पहुचकर उसे नदी में ले जाता है, तब तक पहला वाहन उपखनिज से लद चूका होता है जिसे वह लेकर क्रेशर की और खाली करने को निकलता है। जब उक्त वाहन को वह क्रेशर में अनलोड करके पुनः नदी में पहुचता है तो उसे वह दूसरा वाहन भी तैयार मिलता है , ड्राइवर उसे लेकर फिर से क्रेशर की और निकल जाता है और यह सिलसिला गेट बन्द होने तक युही चलता रहता है। यहाँ सवाल यह उठता है कि जिम्मेदार अधिकारी इस और क्यों आँखें मुंदे है?
Thanks to Sh. Girish Chandola, Haldwani.