अप्रत्याशित लाभ कमाने के चक्कर में फोरे स्कूल ऑफ मैनेजमेंट पर ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन की तय सीमा से ज्यादा छात्रो को प्रवेश देने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने संख्या से अधिक छात्रों को प्रवेश देने के मामले में बेहद सख्त कदम उठाया है। दिल्ली स्थित फोरे स्कूल ऑफ मैनेजमेंट पर ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन के फैसले के उल्लंघन का दोषी करार देते हुए 23 करोड़ का जुर्माना लगाया है। छात्रों की तय संख्या का उल्लंघन कर 42 छात्रों को प्रवेश देने के लिए संस्थान पर भारी जुर्माना लगाया गया है। इसे दूसरे मैनेजमेंट स्कूलों के लिए भी चेतावनी के तौर पर देखा जा रहा है।
एआईसीटीई के निर्देशों के बाद भी ज्यादा से ज्यादा संख्या में छात्रों के प्रवेश लेने पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई। कोर्ट ने कुतुब इंस्टिट्यूशनल एरिया में स्थित फोर स्कूल ऑफ मैनेजमेंट पर कुल 23 करोड़ का जुर्माना लगाया। संस्थान ने 4 करोड़ रुपये पेनल्टी के तौर पर पहले ही सुप्रीम कोर्ट में जमा कराए थे, अब 19.1 करोड़ की रकम और जमा करनी है। सुप्रीम कोर्ट की वकेशन बेंच जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस सूर्य कान्त ने संस्थान को तत्काल रकम जमा कराने का आदेश दिया।
फैसले पर टिप्पणी करते हुए जस्टिस गुप्ता ने कहा, ‘एक बार फिर कोर्ट ने यह नोटिस किया है कि शैक्षिक संस्थान छात्रों की निश्चित संख्या के मानकों का उल्लंघन करते हुए बड़ी संख्या में छात्रों का प्रवेश देते हैं। यह स्टूडेंट्स के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। मौजूदा केस में हम किसी छात्र का प्रवेश निरस्त नहीं कर रहे क्योंकि यह एक बहुत कठोर सजा हो जाएगी। साथ ही संस्थान की गलतियों की सजा निर्दोष छात्रों को भुगतना पड़ेगा।’
एआईसीटीई ने वकील हरीश पांडेय और अनिल सोनी ने सुप्रीम कोर्ट के सामने नियमों और प्रावधानों के तहत यह साबित किया कि संस्थान पर 23.1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जाना चाहिए। संस्थान ने 42 छात्रों को 11 लाख रुपये की फीस ली। इस आधार पर 42 छात्रों से ली 11 लाख की कुल फीस का 5 गुना जुर्माने के तौर पर वसूल करने का सुझाव दिया।