डिजिटल इंडिया व नोट बंदी के बाद भी देश में कैश पर निर्भरता लगातार बढ़ ही रही है तो वहीं दूसरी तरफ देश में एटीएम की संख्या में लगातार कमी आ रही है। इसकी वजह एटीएम मशीनों के संचालन के लिए नियमों में लगातार सख्ती व मुद्रा की कमी का होना है। शनिवार को भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक देश में लेनदेन में इजाफा होने के बावजूद एटीएम की संख्या में कमी आई है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिक्स देशों में प्रति एक लाख व्यक्ति पर एटीएम की संख्या के मामले में भारत सबसे पीछे है।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक रिजर्व बैंक की ओर से सुरक्षा नियमों को सख्त करने के आदेशों के चलते बैंकों और एटीएम को जरूरी बदलाव करने पड़ रहे हैं। इसके चलते एटीएम और बैकों को बड़ी राशि खर्च करनी पड़ रही है। ऐसे में एटीएम की संख्या कम करने में ही बैंक अपनी भलाई समझ रहे हैं। मोदी सरकार की ओर से नोटबंदी किए जाने के बाद भी अब भी भारत में कैश ही कारोबार और लेनदेन में प्रमुख है।
जानकारों के मुताबिक एटीएम संचालन की लागत बढ़ी है, जबकि बैंकों को जिस फीस के चलते रेवेन्यू मिलता है, वे उसे बढ़ाने की स्थिति में नहीं हैं। आरबीआई के डेप्युटी गवर्नर आर. गांधी के मुताबिक एटीएम ऑपरेटर उन बैंकों से इंटरचेंज फीस वसूलते हैं, जिनका कार्ड इस्तेमाल किया जाता है। इस फीस का इजाफा न होने के चलते एटीएम की संख्या में कमी आ रही है। यही जमीनी सच्चाई है।