आज और कल अल्मोड़ा और नैनीताल जाना हुआ और देखकर बहुत ही दुःख हुआ की बाहरी तत्वों के कारण पहाड़ की पहचान आज खतरे में है वो लोग ना केवल सडको पर अराजकता फैला रहे हैं बल्कि हमारे मंदिरों को भी पर्यटक स्थलों के रूप में अपने व्यवहार से दूषित कर रहे हैं|
कल अल्मोड़ा स्थित चितई मंदिर में श्रद्धालू कम पर्यटक ज्यादा थे जो बिना पंक्ति के मंदिर में घुसना चाह रहे थे उस समय एक ही पंक्ति थी और आगे आने की चाह में पर्यटकों ने दूसरी पंक्ति भी जबरदस्ती बना ली और लड़ने मरने पर उतारू हो गए क्योकि उन्हें तय समय में अन्य जगहों पर भी जाना था| मैं आश्चर्यचकित था की हमारे लोग शांतिपूर्वक उसे देख रहे थे और अपनी बारी का बस इंतज़ार कर रहे थे| अभी भी समय हैं हमें अपने अधिकारों को संरक्षित करने के लिए आवाज उठानी होगी|
जो लोग पहाड़ में आ रहे हैं वो शायद यह भूल जाते हैं की यंहा पर लोग भी रहते हैं और उनकी कोई पद्दति व संस्कृति भी होगी और हमें उसे समझना ही नहीं चाहिए बल्कि उन लोगो के साथ सहयोग भी करना चाहिए| आज इन लोगो के कारण सड़क पर दुर्घटनाये व व्यवस्था भी भंग हो रही हैं क्योकि ना तो यह लोग यंहा के नियम जानते हैं और ना ही स्थिति उन्हें तो सिर्फ यह पता हैं की यह एक पर्यटक स्थल है और हम यंहा केवल मनोरंजन के लिए आये है|
जो भी लोग पहाड़ में आ रहे हैं उन सभी से मेरा विनम्र निवेदन हैं की आप लोग उत्तराखंड में कुछ चीजों का पालन जरूर करे इससे आप भी सुरक्षित रहेंगे और स्थानीय लोगो को भी परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा और अकारण तिल का ताड़ बनने से बच जाएगा|
सुरक्षति गाडी चलाने के नियम|
पहाड़ में सड़के अन्य जगहों की तरह कम चौड़ी व घुमावदार होती है इसलिए यंहा पर सारी गाडिया केवल दाए ही चलती हैं इसलिए अपनी गाडी को केवल दाए ही रखे और 40 किलोमीटर से अधिक ना चलाये और जंहा तक हो सके मोड़ो पर ना तो पास दे और ना ही ले|
शाम को या बरसातो में नदियों से दूर रहे
गर्मियों के मौसम में शाम को अक्सर जंगली जानवर व सरीसृप पानी के लिए नदी नालो के पास आते हैं इसलिए शाम को नदी में जाने से बचे और सूरज डूबने के बाद तो बिलकुल ही नहीं जाए|
बरसात के मौसम में या घने बादल छाने के बाद नदी में बिलकुल ही नहीं जाये क्योकि पर्वतों के पार हो सकता हैं बारिश हुई हो और उससे नदी का जलस्तर एकदम बढेगा जिससे की पानी के वेग में बह भी सकते हैं और कोई अप्रिय घटना भी हो सकती|
मंदिरों में नियमो का पालन करे
हर क्षेत्र की एक अपनी पद्दति, नियम व संस्कृति होती हैं और हमें उसका पालन करना चाहिए| यदि आप पहाड़ में घूमने आये हैं तो आप मंदिरों में जाने से बचे क्योकि यंहा समय जरूर लगेगा और यदि आपके पास समय है तो मंदिरों में पर्यटक व बाबू की जगह श्रद्धालु बनकर आये व नियमो का पालन जरूर करे| इससे अन्य लोगो को असुविधा भी नहीं होगी व व्यवस्था भी बनी रहेगी|
पहाड़ हमारे लिए हमारी जड़े और संस्कृति हमारी आत्मा कृप्या इससे खिलवाड़ ना करे|
इसी अनुरोध के साथ उत्तराखंड में आपका स्वागत है |
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