भारत ने सात आधार इकाइयों में से चार- किलोग्राम, केल्विन, मोल और एंपीयर- को फिर से परिभाषित करने के वैश्विक प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। इस कदम के पाठ्यपुस्तकों में बदलाव समेत दूरगामी प्रभाव होंगे।
पैरिस में पिछले साल 16 नबंवर को हुए अंतरराष्ट्रीय बाट एवं माप ब्यूरो (बीआईपीएम) की जनरल कॉन्फ्रेंस ऑन वेट्स ऐंड मेजर्स (सीजीपीएम) में 60 देशों के प्रतिनिधियों ने सात आधार इकाइयों में से चार को फिर से परिभाषित करने के प्रस्ताव को पारित किया। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के महानिदेशक शेखर मांडे ने कहा कि इसे हालांकि दुनियाभर में 20 मई से लागू कर दिया गया।
100 से ज्यादा देशों ने माप की मीट्रिक प्रणाली को अपनाया जिसे इंटरनैशनल सिस्टम ऑफ यूनिट्स (एसआई) के तौर पर भी जाना जाता है जो 1889 से चलन में है। अन्य आधार इकाइयां सेकंड, मीटर और कंडेला हैं।
देश के प्राचीनतम वैज्ञानिक संस्थानों में एक नैशनल फीजिकल लैबरेटरी (एनपीएल) ने बताया कि उसने इन प्रस्तावित बदलावों को भारतीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (NCERT) को वर्तमान पाठ्यक्रमों में लागू करने की सिफारिश की है। उसके अलावा, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE), भारतीय तकनीकी संस्थान (IITs), राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान (NITs) समेत अन्य शैक्षिक संस्थानों को भी अपने-अपने पाठ्यक्रमों में ये बदलाव करने की सिफारिश की।