देश में मिलने वाले कच्चे दूध से दोगुना जहरीला है पैकेज्ड दूध। खाद्य नियामक भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई ) ने देशभर में सर्वे के आधार पर यह चौंकाने वाला खुलासा किया है। कई प्रमुख ब्रांड के पैकेज्ड दूध (प्रोसेस्ड मिल्क) और कच्चे दूध के नमूने निर्धारित गुणवत्ता और तय मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं।
प्रोसेस्ड मिल्क के 10.4 फीसदी नमूने सुरक्षा मानकों पर फेल रहे, जो कच्चे दूध (4.8 फीसदी) की तुलना में काफी अधिक हैं। इनमें एफ्लाटॉक्सिन- एम 1, एंटीबायोटिक व कीटनाशक जैसे जहरीले पदार्थ मिले हैं। प्रोसेस्ड दूध में एफ्लाटॉक्सिन अधिक है। एफ्लाटॉक्सिन का पशु आहार में इस्तेमाल होता रहा है।
तामिलनाडु, दिल्ली, केरल, पंजाब, यूपी, महाराष्ट्र और उड़ीसा के लिए सैंपल में एफ्लाटॉक्सिन मिला है। मध्य प्रदेश , महाराष्ट्र, यूपी, आंध्रप्रदेश और गुजरात के सैंपलों में एंटीबायोटिक अधिक मिले हैं।
कई प्रमुख ब्रांड के पैकेज्ड दूध (प्रोसेस्ड मिल्क) और कच्चे दूध के नमूने निर्धारित गुणवत्ता और तय मानकों पर खरे ने नहीं उतरे हैं। खाद्य नियामक भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के अध्ययन में यह खुलासा हुआ है। इसके मुताबिक, गुणवत्ता मानकों पर प्रोसेस्ड दूध के 2,607 नमूनों में से 37.7 फीसदी फेल हो गए।
वहीं, कच्चे दूध के 3,825 नमूनों में से 47 फीसदी मानकों के मुताबिक नहीं थे। सुरक्षा मानकों की बात करें तो प्रोसेस्ड दूध के 10.4 फीसदी नमूने फेल रहे, जो कच्चे दूध (4.8 फीसदी) की तुलना में काफी अधिक है। हालांकि कुल नमूनों में केवल 12 में ही मिलावट पाई गई, जिनमें से ज्यादातर तेलंगाना के थे।
एफएसएसएआई के सीईओ पवन अग्रवाल ने शुक्रवार को कहा, लोग समझते हैं कि दूध में मिलावट ज्यादा गंभीर समस्या है, लेकिन इससे बड़ी समस्या दूध का दूषित होना है। प्रोसेस्ड दूध के 2607 नमूनों में से 37.7 फीसदी नमूनों में फैट, एसएनएफ, माल्टोडेक्सट्रिन और शुगर की मात्रा तय सीमा से ज्यादा मिली।
सुरक्षा मानकों पर प्रोसेस्ड दूध के 10.4 फीसदी फेल पाए गए। इनमें एफ्लाटॉक्सिन-एम1, एंटीबायोटिक्स और कीटनाशक पाया गया। कच्चे दूध की तुलना में प्रोसेस्ड दूध में एल्फाटॉक्सिन की मात्रा अधिक पाई गई। विशेषज्ञों के मुताबिक पशु आहार में एफ्लाटॉक्सिन का लंबे समय से इस्तेमाल हो रहा है, जो कि खतरनाक है।
एफएसएसएआई ने नवंबर 2018 में राष्ट्रीय दुग्ध सर्वे 2018 की अंतरिम रिपोर्ट जारी की थी। इसमें मिलावटी दूध को लेकर कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए थे। शुक्रवार को एफएसएसएआई ने राष्ट्रीय दुग्ध सर्वे 2018 की अंतिम रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को भी सौंप दिया गया है। मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि रिपोर्ट के आधार पर मिलावटी दूध को रोकने के लिए जल्द ही कड़े कदम उठाए जाएंगे।
दिल्ली में 60 से 65 फीसदी पैकेट दूध का इस्तेमाल होता है। बाहरी दिल्ली को छोड़ दें तो मध्य दिल्ली में करीब 95 फीसदी तक पैकेट दूध का ही इस्तेमाल होता है। दिल्ली के 262 नमूने लिए गए थे। इनमें 194 प्रोसेस्ड और 68 त्वरित दूध के नमूने थे। 262 में से 38 नमूनों की जांच में एफ्लाटॉक्सिन एम1 मिला।
इन 38 में से सर्वाधिक 36 नमूने प्रोसेस्ड यानी पैकेट दूध के शामिल हैं। केवल 2 नमूने ऐसे थे, जो कि पशुओं से निकाले गए त्वरित दूध में मिले थे। ठीक इसी तरह चार नमूनों में एंटीबायोटिक्स मिला है। इनमें से तीन नमूने पैकेट दूध के थे।
एम्स के डॉक्टरों का कहना है कि इस रिपोर्ट के आधार पर सरकार को जल्द से जल्द सख्त फैसला लेना चाहिए। देश का हर परिवार इससे जुड़ा है। सरकार को ऐसे रसायनों के पशु आहार में इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।