दिल्ली की अदालत ने अपने एक आदेश में कहा हैं की यदि पत्नी अगर काम करने और अपनी जिम्मेदारी उठाने में सक्षम है तो वह अपने पति से गुजारा भत्ता नहीं मांग सकती। दिल्ली में अदालत ने एक महिला की याचिका खारिज करते हुए यह बात कही जिसने अलग हो चुके पति से अंतरिम भत्ते की मांग की थी।
कोर्ट ने कहा, ‘याचिकाकर्ता इतनी सक्षम है कि वह अपनी जिम्मेदारी खुद उठा सके। याचिकाकर्ता के मुताबिक, वह 2016 तक काम कर रही थी और उसने यह वजह नहीं बताई है कि अब काम क्यों नहीं कर रही। यह तय कानून है कि अगर पत्नी भी काम करने के योग्य है और खुद अपना निर्वाह कर सकती है तब उसे पति से भत्ता नहीं मिलेगा।’
प्रॉटेक्शन ऑफ विमन फ्रॉम डोमेस्टिक हिंसा कानून, 2005 की धारा 23 के तहत महिला ने अपने वकील के जरिये अपील दायर की थी जिसमें उसने अंतरिम भत्ते की मांग की थी। उसने कहा था कि उसकी शादी 11 मई, 2018 को हुई थी लेकिन शादी के तुरंत बाद से उसे प्रताड़ित किया जाने लगा। उसने कोर्ट को बताया कि वह 2016 तक 10,000 रुपये मासिक तनख्वाह पर नौकरी कर रही थी।
महिला के मुताबिक, उसके पति की शादी के वक्त पहली पत्नी से तलाक हो चुका था और वह हर महीने 70,000 रुपये कमाता है। महिला ने बताया कि उसके पति ने उसका कई बार ब्लड टेस्ट कराया ताकि मामूली यूरिन इनफेक्शन को शादी तोड़ने की वजह बना सके। वहीं, पति ने महिला के आरोपों को गलत बताया है।
इसके उलट, पति के वकील प्रभजीत जौहर ने उसके मुवक्किल 35 हजार रुपये कमाते हैं और उतना नहीं जितना पत्नी ने दावा किया है। जौहर ने बताया, ‘शिकायत कर रही महिला फिलहाल एक प्रतिष्ठित कंपनी में एचआर प्रफेशनल है जैसा कि उसने अपनी मैट्रिमॉनियल प्रोफाइल में लिख रखा है। वह जानबूझकर गलत जानकारी दे रही है कि वह अपना निर्वाह करने में सक्षम नहीं है।’
पति ने यह दावा भी किया कि महिला उसके साथ सिर्फ 40 दिन रही और फिर उसे छोड़कर चली गई। पति के वकील ने कोर्ट के सामने कुछ दस्तावेज रखे जिसके मुताबिक, महिला इस तरह से पहले भी मेट्रोमॉनियल साइट पर फर्जी प्रोफाइल बनाकर मासूम लोगों को फंसाती रही है। कोर्ट ने सारी दलीलों को सुनने के बाद पति के पक्ष में फैसला सुनाया।