भाजपा ने उत्तराखंड पंचायत चुनावो में लगभग अपने सभी उम्मीदवारों के नाम तय कर लिए हैं और सूची देखकर लगता हैं की लोगो को विधायको की नजदीकी का फायदा मिला हैं जिससे की कर्मठ व काम करने वाले कार्यकर्ता मायूस हैं और उनमे से कई तो पार्टी के खिलाफ भी खड़े हो चुके हैं|
ऐसा ही कारनामा नैनीताल की जग्गी बांगर जिला पंचायत की टिकट को लेकर हुआ हैं जिसके कारण दो सगे भाई आमने सामने आ गए हैं| इन्दर सिंह बिष्ट व मोहन बिष्ट दोनों ही हल्दुचोड़ जग्गी के निवासी हैं तथा दोनों ही सालो से भाजपा के कार्यकर्ता हैं जन्हा इन्दर सिंह बिष्ट पूर्व प्रधान भी रह चुके हैं व मोहन बिष्ट को पार्टी ने UCDF के चेयरमैन जैसे पद से भी नवाजा था|
इन्दर और मोहन वैसे हैं तो सगे भाई लेकिन दोनों के व्यक्तित्व में जमीन आसमान का अंतर हैं| इसका अंतर हमें तब पता लगा जब हमारे प्रतिनिधि हल्दुचोड़ जग्गी में किसी सम्बन्धी के यंहा गए थे और यहाँ पर उन्होंने देखा की UPCL के न्यूट्रल में करंट आ रहा था और जब उसे अच्छे से जांचा गया तो पाया की वो करंट 140 वाल्ट के आसपास था| उन्होंने उसकी शिकायत जब तत्कालीन मुख्य अभियंता कुमाऊ श्री हेमंत कुमार गुर्रानी से की तो उन्होंने तुरंत अपने अधीनस्थ को आदेश दिया की तुरंत इसकी जांच की जाए|
अगले ही दिन UPCL कर्मचारी दलबल के साथ हल्दुचौड जग्गी में पधारे और उन्होंने पाया की जग्गी गाँव में केवल एक ही फेस पर बिजली का वितरण हो रहा था और ट्रांसफोर्मर पर भी अर्थ नहीं था| तत्काल ही उन्होंने पूरे गाँव को तीन फेस में तब्दील किया और ट्रांसफोर्मर को भी अर्थ से जोड़ दिया| जिससे की पूरे गाँव में बिजली की वोल्टेज भी बढ़ी और न्यूट्रल में से करंट भी चला गया|
जिस दौरान गाँव में यह काम हो रहा था उसी दोरान गाँव में प्रत्येक घर में जा जा कर इन्दर जी यह बताते नहीं थक रहे थे की यह तीन फेस का काम उनके द्वारा किया जा रहा हैं जिसकी सूचना गाँव में रह रहे रिश्तेदार द्वारा हमारे प्रतिनिधि को भी मिली|
दूसरी और मोहन बिष्ट हैं जो की एक धनि शख्शियत के मालिक हैं| यह उनका व्यक्तित्व ही हैं की उन्होंने रिश्तो को हमेशा वरीयता दी| ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं की कुछ दिनों पहले हल्दुचोड़ जग्गी में एक विख्यात मोबाइल कंपनी का टावर गाँव के ही किसी व्यक्ति के यंहा लग रहा था व उसकी सभी प्रक्रिया पूरी भी हो चुकी थी लेकिन किन्ही कारणों से उक्त व्यक्ति ने मना कर दिया|
उस कंपनी की मोबाइल टीम ने गाँव के ही मोहन बिष्ट से संपर्क किया| जब मोहन बिष्ट को पता लगा की यह टावर किसी और के यंहा लग रहा था तो उन्होंने उस व्यक्ति को फ़ोन करके कान्हा की “दाजू अगर आप मोबाइल टावर लगवा रहे हो तो मैं नहीं लगवाता” लेकिन उक्त व्यक्ति ने मन कर दिया की मोहन जी आप लगवा लीजिये| लेकिन इस प्रक्रिया में ज्यादा दिन लग जाने के कारण वो मोबाइल टावर वंहा नहीं लग सका|
यह दोनों ही वाकये दोनों व्यक्तियों की कार्यशेली के विषय में बताती हैं की बेहतर कौन हैं व कौन सही में क्षेत्र की समस्या का हल कर सकता हैं| बेशक एक ही घर से होने के कारण दोनों भाइयो को लोगो के तानो से भी दो चार होना पड़ेगा| लेकिन मोहन बिष्ट के व्यक्तित्व के सामने अन्य प्रत्याशी व पार्टी बहुत पीछे हैं|