देश में ठगी के नए नए तरीके सामने आ रहे है तकनीक के साथ साथ ठग और ठगी और भी परिष्कृत होती जा रही हैं| एक तीन हजार रुपये के सेकंड हैंड मोबाइल की कीमत एक शख्स ने 7 लाख रुपये चुकाई। उसके 7 लाख रुपये भी गए और बदले में उसको वह 3 हजार रुपये वाला फोन भी नहीं मिला। ठगों ने उससे कहा कि कंपनी पॉलिसी के तहत पैसा लिया जा रहा है, बाद में वापस कर दिया जाएगा।
युवक ने एक दो बार तो अपनी इच्छा से पैसे दिए, लेकिन उसके बाद पैसे देना मजबूरी हो गई। दूसरी तरफ बैठे ठगों ने कहा कि अगर पैसे नहीं दोगे, तो पुराने पैसे भी लैप्स हो जाएंगे। ऐसे में युवक पैसे देते रहा और एक समय ऐसा आया, जब उसने महज तीन हजार रुपये का फोन खरीदने के चक्कर में 7 लाख रुपये सिक्यॉरिटी के नाम पर जमा कर दिए।
युवक का कहना है कि वह उधार लेकर लोगों से पैसे उन्हें इस आस में देते रहे कि ठगों के पैसे लौटाए जाने पर वह उधारी की रकम चुका देंगे। लेकिन ना तो उन्हें मोबाइल मिला और ना ही ठगे गए पैसे। सारा पैसा ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के जरिए दिया गया। पुलिस ने युवक की शिकायत पर एफआईआर दर्ज कर ली है।
करीब दो महीने तक ठगों के बहकावे में रहने वाले युवक की उम्मीद आखिर में टूट गई और मामले की सूचना सब्जी मंडी थाना पुलिस को दी। सब्जी मंडी पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली, तो वहीं जिला साइबर सेल को भी मामले की जांच में लगाया गया। पुलिस के मुताबिक रवि रावत परिवार के साथ सब्जी मंडी इलाके में रहते हैं। अप्रैल में उन्होंने क्विकर ऐप से एक मोबाइल खरीदा। उसकी कीमत 3 हजार रुपये थी।
मोबाइल खरीदने के कुछ समय बाद एक फोन कॉल आया, जिस पर 2 युवकों ने बात की। अपना नाम अजय और राहुल बताने वाले ठगों ने कहा कि फोन खरीदने के बाद एक एनओसी लेनी जरूरी होती है। उसके लिए पैसे देने होंगे। रवि उनकी बातों में आ गए। आरोपियों ने रवि से अलग-अलग बहानों से पैसे लेना शुरू कर दिया। कभी रजिस्ट्रेशन फीस, तो कभी सिक्यॉरिटी डिपॉजिट के नाम पर ठगी का खेल दो महीने तक चलता रहा। आरोपियों ने जब और पैसे मांगे, तो रवि ने पैसे न होने की बात कही। वहीं रवि ने अपना पैसा वापस मांगा, तो आरोपियों ने कहा कि प्रक्रिया पूरी हुए बिना पैसा वापस नहीं होगा। अगर आगे रवि ने पैसा नहीं दिया, तो अबतक लिया हुआ पैसा भी फंड में जमा हो जाएगा। इसके बाद रवि को ठगे जाने का एहसास हुआ और सूचना पुलिस को दी।
रवि ने बताया कि उन्होंने सबसे पहले अपने पिता से पैसे लिए, लेकिन वह पैसे ठग लिए गए। उनको अपने पिता के पैसे लौटाने थे और उसका एक ही तरीका था कि ठग उनके पैसे वापस कर दें। बस वह पैसे वापस लेने के चक्कर में ही और पैसे देते रहे और ठगों को पैसा देने के लिए अपने दोस्त, रिश्तेदार सबसे पैसे उधार ले लिए। रवि हिंदू राव अस्पताल में लैब टेक्निशन का काम करते हैं। उन्होंने 18 मई को पुलिस को जानकारी दी थी। हालांकि पुलिस ने शुरुआती जांच के बाद 7 जून को एफआईआर दर्ज की।