मुख्यमंत्री पद से हटने की चर्चाओं के मध्य आजकल त्रिवेन्द्र सिंह रावत एक्शन में दिखाई दे रहे हैं शायद उन्हें भी लगने लगा हैं की लोग उनसे नाराज़ हैं व आलाकमान से मिले संकेतो के बाद उन्होंने लोगो से संवाद करना शुरू भी कर दिया हैं|
जैसे आज ही त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक विडियो अपनी फेसबुक पेज पर चार धाम के सम्बन्ध में डाला हैं अन्यथा आजतक जितनी भी फोटो उन्होंने डाली थी वो कभी प्रधानमंत्री मोदी की अगुवानी वाली या चाटुकारिता से सम्बंधित थी| राज्य से सम्बंधित उनकी फोटो देखे लोगो को अरसा हो गया था| लोगो को समझ में नहीं आ रहा था की हमने राज्य का मुख्यमंत्री चुना हैं या कोई ऐसा व्यक्ति जो हमेशा केंद्र के मंत्रियो की अगुआई में ही लगा रहता हैं|
आज राज्य की केबिनेट ने एक प्रस्ताव पास किया है जिसमे 2000 लोगो की नियुक्तियों की बात कही गयी हैं| समझने वाली बात यह हैं की त्रिवेन्द्र सिंह रावत जी को आज ही क्यों याद आ रहा हैं यह सब क्या यह सब रिक्तिय आजकल में ही पैदा हुई हैं या एक डर हैं जो फटाफट काम करवा रहा हैं|
त्रिवेन्द्र सिंह रावत जो स्थानांतरण की निति पर बात करते हैं जो की पूरी तरह से भेदभावपूर्ण हैं वो आज 10% स्थानान्तरण की बात कर रहे हैं इस प्रकार से तो दुर्गम में गए व्यक्ति का नंबर 10 साल बाद आयेंगा जबकि उत्तराखंड में स्थानांतरण की निति इसके विपरीत हैं| इस निति की एक खामी यह भी हैं की जिन लोगो को स्थानांतरण से परेशानी हैं उसपर के कमिटी फैसला करेगी जबकि होना यह चाहिए था की यदि कोई इससे छूट चाहता हैं तो उसका आवेदन ऑनलाइन डाला जाए जन्हा लोग उसपर अपनी प्रतिक्रिया देंगे जिससे की राजनीति छूट पर लगाम लगेगी व पारदर्शित भी आएगी|
वैसे त्रिवेन्द्र सिंह रावत जी को क्या पता की दुर्गम का दुःख क्या होता हैं क्योकि उनकी अर्धांगनी ने आजीवन अपनी नौकरी सुगम में देहरादून के पास जो की हैं|
हम भगवान् का धन्यवाद देना चाहेंगे जिन्होंने लोगो की सुन ली व उत्तराखंड में समय पर बारिश व ओलावृष्टि करवा दी वर्ना तो पूरा का पूरा तंत्र राजकीय आपदा को छोड़ केंद्रीय नेताओ की चाटुकारिता में व्यस्त था और यह जतलाने की कोशिश कर रहा था की राज्य की पाचो की पाचो सीटे केवल और केवल उनके प्रयासों से ही आई हैं लेकिन एक उत्तराखंडी जानता हैं की उन्होंने यह वोट त्रिवेन्द्र सिंह रावत के कारण नहीं नरेन्द्र मोदी के कारण भारतीय जनता पार्टी को दिए हैं|
लोक निर्माण विभाग जो मुख्यमंत्री का अपना विभाग हैं उसमे हजारो अभियंता संविदा पर काम कर रहे हैं उनके विषय में सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया हैं उनके वेतन की फाइल जो मुख्यमंत्री ने खुद एक साल से दबाकर रखी हुई हैं जिसमे कनिष्ठ अभियंता का वेतन 35000 प्रतिमाह करने का सुझाव दिया हुआ हैं| अभी यह अभियंता केवल 15000 मासिक ही प्राप्त कर रहे हैं| क्या त्रिवेन्द्र सिंह रावत नहीं जानते की 15000 में इस महंगाई में जीवन यापन कितना कठिन हैं|
राज्य परिवहन निगम की हालत किसी से भी छुपी हुईं नहीं हैं व लचर व्यवस्था के कारण कितने लोगो ने अपनो को खोया हैं| सरकारी तंत्र की नाकामी के कारण बसों का बुरा हाल हैं व जो नयी बसे आनी थी उनका भी कुछ पता नहीं हैं| पिछली सरकार ने जो नयी बसों की खरीद का घोटाला किया था उसे भी त्रिवेन्द्र सिंह सरकार ने पचा लिया|
आज हल्द्वानी कांग्रेसी पूर्व केबिनेट मंत्री व कांग्रेस से आये वर्तमान केबिनेट मंत्री की नाक की लड़ाई का दंड भुगत रहा हैं जिसके कारण करोडो रूपये बर्बाद होने के बाद भी गोलपार का अंतरराज्जीय बस अड्डा आजतक नहीं बन पाया हैं| इस बस अड्डे को बनाने के लिए कितनी ही टीम हल्द्वानी के तीन पानी क्षेत्र में आई लेकिन आज तीन साल बीतने को हैं उस बस अड्डे का कंही भी अत पता नहीं है|
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