हाल में त्रिवेन्द्र सिंह रावत व तीरथ सिंह रावत सरकार की विदाई के बात भाजपा ने कुमाऊ के रोष को थामने व यूवाओ को ध्यान में रखते हुए खटीमा के विधायक पुष्कर सिंह धामी को प्रदेश की कमान दी है जिसके कारण कद्दावर नेता कोप भवन में चले गए थे व समझोतों के तहत कुछ मुख्य मलाई विभाग उन लोगो को देने पड़े थे|
पूरे साढ़े चार साल राज करने के बाद नेताओ को समझ में आया की जनता सत्ता परिवर्तन का मन बना चुकि हैं तो सरकार के नए नवेले उर्जा मंत्री ने अधिक उर्जावान होते हुए कह दिया की वो प्रदेश में बिजली मुफ्त देंगे पर कैसे? यह उन्हें नहीं मालूम था?
गाल बज चुका था, कुछ तो करना हि था तो मंत्री महोदय ने अपने विभाग के अधिकारियो को इस काम में लगा दिया वो भूल चुके थे की वो प्रदेश के उस विभाग को काम सोप रहे है जो अपने आपको आजतक खुद घाटे से नहीं उबार पाया हैं अपितु घाटा दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा हैं व आकड़ो की माने तो पिछले वर्ष तक उत्तराखंड में 20% चोरी या लाइन लोस में चली जाती थी जबकि इसे 14% होना चाहिए था|
UPCL ने बिजली चोरी को कम करने व अपनी साख को बचाने के ग्राम सभाओ को स्ट्रीट लाइट को काटना शुरू कर दिया हैं जिसके कारण जंगलो से सटे क्षेत्रो में लोग जानवरों से असुरक्षित महसूस कर रहे हैं| UPCL की इस कार्यवाही से हल्द्वानी, लालकुआ व पन्त नगर जैसे क्षेत्रो की सडको में अन्धेरा ही अँधेरा हैं व लोगो का शाम को घरो से निकलना दूभर हो चुका हैं|
आपको हम आकड़ो के द्वारा समझाते है माना की UPCL ने 1 करोड़ की बिजली दी व उसे केवल 80 लाख का ही भुगतान आया तो वो 20% घाटे को अगले साल बिजली के बिलों में बढ़ोतरी करके पूरा करेगी जो की कभी हो ही नहीं पायेगा| क्योकि 20% घाटे को कम करने के लिए तो कोई प्रयास ही नहीं हुआ वो हर साल 20% रहेगा व हर साल यह लोस आपकी जेब से वसूला जायेगा|
आप माने या ना माने सबसे ज्यादा बिजली चोरी में विभाग व रसूखदार लोग ही मिले होते हैं व पूर्व में जनपक्ष द्वारा लगाईं गयी RTI से यह मालूम हुआ था की प्रदेश में सबसे ज्यादा बिजली की चोरी देहरादून के पाश इलाके से होती हैं जन्हा मंत्री व प्रदेश के उच्चाधिकारी लोग रहते हैं|
आपको हम बता दे की उत्तराखंड सरकार को प्रदेश में बनने वाली बिजली का 12.5 प्रतिशत उत्पादन निशुल्क मिलता हैं जो की अन्य किसी प्रदेश को नहीं मिलता हैं| जो भी मुख्यमंत्री बना उसने UPCL को लूट की ही छूट दी हैं तो ऐसे में कैसे प्रबंधन कैसे उत्थान करेगा विभाग का उसे भी मालूम हैं की उत्तराखंड में “बने रहो नुल व तनखाह लो फुल” की निति ही चलती हैं|
इन हालातो में जब सरकारों को विकास व आय के बारे में सोचना चाहिए वह केवल और केवल चुनाव की चिंता में लगी हुई हैं और यह ही कारण हैं की आय ना होने के बावजूद भी सरकार कर्ज लेकर घी पी रही हैं यानी की लोक लुभावन नीतियों में पैसा खर्च कर रही है|
पिछले ही माह उत्तराखंड सरकार ने 700 करोड़ रुपया भारतीय रिज़र्व बैंक से ऋण लिए हैं ताकि वो कर्मचारियों को वेतन दे सके| सरकार चुनाव के दबाव में बड़ी बड़ी घोषणाये कर रही हैं, शिलान्यास हो रहे हैं लेकिन कोई नहीं जानता है की इसके लिए पैसा कंहा से आएगा जबकि तीसरी लहर की दस्तक हो चुकी हैं व कर संग्रहण के मामले में सरकार पिछड़ चुकी हैं ऐसे में सरकार इन घोषणाओं को पूरा करने के लिए पैसा कंहा से लाएगी यह किसी को भी नहीं पता लेकिन गाल बजाने में कोई पीछे नहीं हैं|
लेखक :- जीवन पन्त | 05946 222224 (Phone/Whatsapp)