देश में सरकारे बेहतर प्रशासन देने की बजाय नए नए लोक लुभावन प्रलोभनों में व्यस्त हैं| पता नहीं क्यों सरकारों को यह लगता हैं की यदि लोगो को चीज़े फ्री दे दी जाये तो वो चुनावो में सरकारों को जीता देगे और होता भी यही हैं और इसी कारण जो पैसा देश व अर्थव्यवस्था की बेहतरी में प्रयोग होना चाहिए था वो अन्य स्त्रोतों में जाया हो रहा हैं और हम और पिछड़ते जा रहे हैं|
इस बार आम आदमी पार्टी ने लोक सभा चुनावो में मिली करारी हार से सबक लेते हुए अपनी पुरानी निति बिजली हाफ और पानी माफ योजना को सफलतापूर्वक संचालित होने के बाद अब दिल्ली सरकार महिलाओं को मेट्रो और सरकारी बसों में मुफ्त यात्रा कराने जा रही है। यानी आने वाले समय में दिल्ली में मेट्रो व बसों में यात्रा करने के लिए महिलाओं को टिकट नहीं लेना पड़ेगा। कोई तकनीकी अड़चन नहीं आई तो छह माह में योजना लागू हो जाएगी। दिल्ली सरकार ने इसके लिए मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) से जल्द प्रस्ताव लाने को कहा है।
आम आदमी पार्टी सरकार ने दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन से पूछा है कि वह इस योजना को कैसे लागू करा पायेगा? मुफ्त पास की व्यवस्था होगी या कोई अन्य विकल्प होगा? अनुमान है कि योजना को लागू करने पर सरकार पर प्रति वर्ष करीब 1200 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। दिल्ली विधानसभा चुनाव-2020 के मद्देनजर अरविंद केजरीवाल का यह मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है।
वैसे इस योजना में कई अडचने हैं जैसे की सरकार मेट्रो कार्ड में पैसे रिचार्ज करेगी या मेट्रो स्टेशन पर महिलाओ के लिए अलग से एंट्री/एग्जिट रखेगी| अगर मेट्रो कार्ड में पैसा डालेगी तो वो कार्ड का प्रयोग कोई भी कर सकता हैं और अगर महिलाओ के लिए अगर से एंट्री व एग्जिट गेट अलग से बनायेंगे तो सुरक्षा की समस्या पैदा होगी|
बसों और मेट्रो में एक साथ लागू होगी योजना
दिल्ली सरकार की मंशा इस योजना को बसों और मेट्रो में एक साथ लागू करने की है। डीटीसी व क्लस्टर स्कीम की बसों में इसे लागू करने में सरकार के सामने कोई अड़चन नहीं है, मगर मेट्रो में सुरक्षा की दृष्टि से इसे लागू कर पाना थोड़ा टेढ़ा काम है। परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने शुक्रवार को मेट्रो के अधिकारियों को बुलाकर इस योजना को लेकर चर्चा की।
दिल्ली सरकार करेगी भुगतान
कैलाश गहलोत ने मेट्रो के अधिकारियों से कहा है कि यह योजना हर हाल में हमें लागू करनी है। मेट्रो में महिलाओं की मुफ्त यात्रा पर आने वाले खर्च को दिल्ली सरकार उठाएगी। इसके लिए वह डीएमआरसी को भुगतान करेगी। बसों व मेट्रो में कुल यात्रियों में 33 फीसद महिलाएं होती हैं। इस हिसाब से जो अनुमान लगाया गया है उसके अनुसार, प्रति वर्ष करीब 200 करोड़ रुपये का खर्च बसों को लेकर सरकार पर आएगा।
मेट्रो में महिलाओं की मुफ्त यात्रा पर करीब एक हजार करोड़ का खर्च प्रति वर्ष आएगा। हालांकि, यह मात्रा एक अनुमान है। मेट्रो के अधिकारियों का कहना है कि बसों की अपेक्षा मेट्रो में महिलाएं अधिक यात्रा करती हैं। यदि योजना लागू होती है तो यह दिल्ली की अपनी तरह की अलग योजना होगी।