इंडिया इंक के कॉर्नर ऑफिस से इस साल पिछले 14 साल में सबसे अधिक सीईओ और एमडी ने चेकआउट किया है। प्राइम डेटाबेस के nseinfobase.com के जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक, एनएसई पर लिस्टेड सभी कंपनियों में से 2019 के पहले सात महीनों में 58 सीईओ/एमडी ने पद छोड़े हैं, जबकि 2009 में इनकी संख्या 22 और 2006 में 27 थी।
आंकड़ों के मुताबिक, इनमें से ज्यादातर लोगों के नौकरी छोड़ने की वजह इस्तीफे रहे हैं। हालांकि ये इस्तीफे अलग-अलग परिस्थितियों में दिए गए। अलग-अलग वर्षों में इनके पद छोड़ने की दर अलग-अलग रही है, लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि कई क्षेत्रों पर दबाव, उच्चस्तर पर अंडरपरफॉर्मेंस बर्दाश्त नहीं करने, परफॉर्मेंस सुधारने के दबाव और किसी तरह की गड़बड़ी पर सख्ती के कारण इस साल कंपनियों से अधिक संख्या में सीईओ और एमडी बाहर निकले हैं।
मैरिको के चेयरमैन हर्ष मारीवाला ने बताया कि बिजनस एनवाइरन्मेंट चुनौतीपूर्ण हो गया है। उन्होंने बताया कि ग्रोथ सुस्त पड़ने, लक्ष्य हासिल करने या डिसरप्शन के कारण आज सीईओ का काम और चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है। प्राइम डेटाबेस ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर प्रणव हल्दिया ने बताया कि इस भूमिका में जिम्मेदारियों के कारण सैलरी पैकेज में बढ़ोतरी हो रही है, लेकिन इसके साथ अधिक जोखिम भी जुड़े हैं। इससे कंपनी में शीर्ष पद पर बने रहना मुश्किल हो गया है। उन्होंने कहा, ‘सीईओ पर आज बहुत दबाव है। उन्हें बोर्ड, निवेशकों और शेयरहोल्डर्स सबके दबाव का सामना करना पड़ रहा है। अगर आप अच्छा परफॉर्म नहीं कर रहे हैं तो आपको पद छोड़ना पड़ेगा।’
पिछले 14 वर्षों में सबसे अधिक सीईओ 2018 में बदले गए थे। तब साल के पहले सात महीनों में 59 सीईओ और एमडी ने पद छोड़े थे और पूरे साल में इनकी संख्या 108 रही थी। प्राइम डेटाबेस के मुताबिक, यह ग्लोबल ट्रेंड के मुताबिक है, जहां 2018 में इस तरह के मामले में 19 साल के शिखर पर पहुंच गए थे। यह जानकारी हालिया PWC स्ट्रैटिजी ऐंड सीईओ सक्सेस स्टडी से मिली है। इस स्टडी में दुनिया की 2,500 लिस्टेड बड़ी कंपनियों में से 17.5 पर्सेंट को शामिल किया गया था और इनमें सीईओ बदलने की दर 3.6 पर्सेंट थी। इस स्टडी के इतिहास में नैतिकता संबंधी मामलों के कारण पिछले साल सबसे अधिक सीईओ निकाले गए। ब्राजील, भारत और रूस में 2018 में सीईओ टर्नओवर 21.6 पर्सेंट पर पहुंच गया था, जो औसत से अधिक था।
प्रॉक्सी अडवाइजरी फर्म इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर अडवाइजरी सर्विसेज (IIAS) के मैनेजिंग डायरेक्टर अमित टंडन ने बताया कि सीईओ का कार्यकाल छोटा होता जा रहा है। उन्होंने इसकी दो वजहें बताईं। पहली, सीईओ से स्टेकहोल्डर्स काफी उम्मीद कर रहे हैं। दूसरी, सीईओ चैलेंजिंग रोल की तलाश में हैं। वे अपना बिजनस शुरू कर रहे हैं या स्टार्टअप ईकोसिस्टम से जुड़ रहे हैं। टंडन ने बताया, ‘जिन फैमिली बिजनस में प्रोफेशनल मैनेजमेंट है, वे परिवार के किसी सदस्य की तुलना में पेशेवर मैनेजमेंट से अधिक उम्मीद कर रहे हैं। परिवार के किसी सदस्य के शीर्ष पद पर रहने के दौरान खराब प्रदर्शन की वजह से उन्हें हटाया नहीं जाता था।’