उत्तराखंड में रावत सरकार के राज में पुलिस प्रशासन आँखों को मूंदकर राजनितिक आदेशो का पालन कर रहा हैं व मुख्यमंत्री कार्यालय में चाटुकारों की फ़ौज ने कब्ज़ा कर लिया हैं जो मुख्यमंत्री रावत की हां में हां मिलाकर पूरे के पूरे तंत्र व प्रशासन का बैंड बजा रहे हैं आज के समय में उत्तराखंड में प्रशासन व् पुलिस नाम की ही हैं और अक्षमता का सारा का सारा दोष अनिल बलूनी व विरोधियो पर लगाया जा रहा हैं|
आज उत्तराखंड की स्थिति यह हैं की त्रिवेन्द्र सिंह रावत खुद ही चोर खुद ही क़ाज़ी की भूमिका में आ गए हैं| आपको ढेंचा बीज प्रकरण तो मालूम ही होगा जिसमे राज्य सरकार को करोडो की चपत लगी थी और इसकी जांच के लिए शासन ने एक दलीय जांच आयोग बिठाया था जिसे श्री एस सी त्रिपाठी जी द्वारा पूरा किया गया और उसकी रिपोर्ट वर्ष 2014 में राज्य सरकार को सौप दी गयी|
इस रिपोर्ट के 8 खंड में बताया गया हैं की कैसे तत्कालीन कृषि मंत्री ने राज्य सरकार को चपत लगवाई गयी थी| रिपोर्ट के अनुसार त्रिवेन्द्र सिंह रावत द्वारा तत्कालीन कृषि निदेशक के खरीफ 2010 में ढेंचा बीज के क्रय व वितरण के प्रस्ताव को नयी मानो के प्रस्ताव की प्रक्रिया सुनिश्चित किया बिना अनुमोदन करना उत्तर प्रदेश कार्य नियमावली 1975 का उलंघन प्रतीत होता हैं और यही प्रणाली उत्तराखंड में भी लागू हैं| इस खंड में त्रिवेन्द्र सिंह रावत पर और भी कई गंभीर आरोप लगे हैं|
उस समय के मुख्यमंत्री बहुगुणा ने इस रिपोर्ट पर कार्यवाही का मन भी बना लिया था पर उस समय के कृषि मंत्री हरक सिंह रावत के अड़ जाने के कारण इस रिपोर्ट पर कोई भी कार्यवाही नहीं हुई| इसके बाद वर्ष 2015 में श्री जय प्रकाश डबराल द्वारा इस विषय पर उत्तराखंड उच्च न्यायालय में एक याचिका डाली गयी जिसके फलस्वरूप न्यायालय द्वारा इस मुद्दे को संज्ञान में लिया गया और कार्यवाही शुरू की जा सकी|
वर्ष 2017 पुनः डबल इंजिन सरकार के रूप में भाजपा की सरकार उत्तराखंड की सत्ता में आई और भाजपा नेतृत्व की नजदीकियों के कारण इन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया| त्रिवेन्द्र सिंह रावत सरकार ने आते ही ढेंचा बीज प्रकरण पर कार्यवाही शुरू कर दी व अपने को इस घोटाले से विमुक्त करते हुए 27 जुलाई 2017 में उच्च न्यायालय में स्थाई अधिवक्ता को इस सम्बन्ध में एक पत्र जारी कर दिया गया ताकि भविष्य में कम से कम सत्ता में रहते हुए उनपर किसी भी प्रकार की कार्यवाही की तलवार ना लटकी रहे|
जब इंजिन की खराब हो तो डब्बे तो गड़बड़ करेंगे ही और यही हालत उत्तराखंड की भी हैं| चारो और लूटपाट का माहोल हैं| सत्ता के दलाल एक फ़ोन में अफसरों का तबादला करवा रहे हैं| पुलिस पूरी तरह राजनितिक दबाव में काम कर रही हैं आम लोगो पर रोज छोटी सी छोटी चीजो के लिए केस दर्ज हो रहे हैं वही सत्तारूढ़ दल के कार्यकर्ता दंगा भी करते हैं तो पूरा का पूरा प्रशासन आँख व कान मूँद लेता हैं|
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1. Aayog Report 2. State Govt. letter to UK HC