केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा की अगुवाई वाले राजग को राज्यसभा में बहुमत नहीं होने के कारण तमाम विधेयकों को पारित कराने में जो मशक्कत करनी पड़ रही है, उससे निजात पाने के लिये सत्तापक्ष को अगले साल अप्रैल में उच्च सदन की रिक्त हो रही 52 सीटों पर चुनाव का इंतजार है। अगले साल दो एवं नौ अप्रैल को राज्यसभा में 15 राज्यों के 52 सदस्य सेवानिवृत्त होंगे।
इनमें राजग के घटक दलों में 15 भाजपा, तीन जदयू और चार अन्नाद्रमुक के हैं। इसके अलावा राजग में शामिल नहीं होने के बावजूद सदन में सत्तापक्ष का साथ दे रहे बीजद के भी दो सदस्य इसी समय सेवानिवृत्त होंगे। वहीं, विपक्षी दलों में कांग्रेस के 13, तृणमूल कांग्रेस के चार और राकांपा के दो सदस्य अपना कार्यकाल पूरा करेंगे।
उल्लेखनीय है कि 245 सदस्यीय उच्च सदन में हाल ही में विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों के इस्तीफे के कारण आठ सीटें रिक्त हैं। भाजपा को रिक्त सीटों के लिये जल्द होने वाले उपचुनाव में भी पांच सीट जीतने का भरोसा है।
इनमें उत्तर प्रदेश से सपा के तीन सदस्यों (नीरज शेखर, सुरेन्द्र नागर और संजय सेठ) के इस्तीफे के बाद शेखर को भाजपा ने उपचुनाव के लिये अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। समझा जाता है कि पिछले सप्ताह उच्च सदन की सदस्यता से त्यागपत्र देने वाले असम से कांग्रेस के भुवनेश्वर कालिता और सपा छोड़ने वाले नेताओं को भी भाजपा उपचुनाव में उम्मीदवार बना सकती है। उच्च सदन में सपा के अब दस सदस्य बचे हैं।
राज्यसभा में भाजपा के सदस्यों की संख्या फिलहाल 78 है। सदन में बहुमत के लिये उसे 223 सदस्यों की जरूरत है। गत सप्ताह समाप्त हुये मानसून सत्र में ‘तीन तलाक’ और जम्मू कश्मीर से जुड़े अहम विधेयकों पर सत्तापक्ष को बीजू जनता दल, तेलंगाना राष्ट्र समिति और वाईएसआर कांग्रेस के प्रत्यक्ष समर्थन के अलावा सहयोगी दल जनता दल यू, अन्नाद्रमुक तथा विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों की मतदान में अनुपस्थित मददगार साबित हुयी।
अप्रैल में रिक्त हो रही 52 सीटों में सर्वाधिक सात महाराष्ट्र से, छह तमिलनाडु, पांच-पांच सीट पश्चिम बंगाल और बिहार से, चार चार सीट गुजरात और आंध्र प्रदेश से तथा तीन तीन सीट राजस्थान, ओडिशा और मध्य प्रदेश से शामिल हैं। इन राज्यों की विधानसभा में दलीय स्थिति को देखते हुये भाजपा, जदयू एवं बीजद को राज्यसभा में अपनी सीटें बरकरार रखने का भरोसा है।
इसके इतर हरियाणा से खाली हो रही दोनों सीटों पर भाजपा की नजर है। इनमें अगले साल दो अप्रैल को सेवानिवृत्त हो रहे इनेलो के राम कुमार कश्यप पहले ही भाजपा में शामिल हो चुके है जबकि विधानसभा में बहुमत को देखते हुये भाजपा, कांग्रेस की कुमारी शैलजा की रिक्त हो रही सीट अपनी झोली में डालने की कोशिश करेगी।
उधर, पश्चिम बंगाल विधानसभा में तृणमूल कांग्रेस का बहुमत होने के कारण पार्टी को राज्यसभा में रिक्त हो रही अपनी चारों सीटें बरकरार रखने का भरोसा है जबकि भाजपा, निर्दलीय सदस्य रीताब्रता बनर्जी की सीट वामदलों के पास जाने से रोकने की कोशिश करेगी। इसी प्रकार तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक को रिक्त हो रही अपनी चार और द्रमुक को एक सीट पर कब्जा बरकरार रखने का भरोसा है। दोनों दलों की नजर माकपा की रिक्त हो रही एक सीट (टी के रंगराजन) पर टिकी होगी।
भाजपा को महाराष्ट्र और बिहार से बढ़त मिलने की उम्मीद है। महाराष्ट्र की रिक्त हो रही सात सीटों में राजग के घटक दल आरपीआई के रामदास अठावले और शिवसेना की एक सीट (राजकुमार धूत) उनके पास ही बरकरार रहने की उम्मीद है। राज्य विधानसभा में बहुमत प्राप्त भाजपा की नजर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी : राकांपा: की रिक्त हो रही दो सीट (शरद पवार और माजिद मेमन) तथा कांग्रेस की एक सीट (हुसैन दलवई) पर होगी।
बिहार में खाली हो रही पांचों सीट सत्तारूढ़ जदयू भाजपा (हरिवंश, कहकशां परवीन, रामनाथ ठाकुर और सीपी ठाकुर एवं आर के सिन्हा) के पास ही रहने की उम्मीद है जबकि झारखंड से राजद के प्रेमचंद गुप्ता और निर्दलीय परिमल नाथवानी की सीट भाजपा अपने पाले में करने की कोशिश करेगी।
आंध्र प्रदेश में भी कांग्रेस को अपनी रिक्त हो रही दो सीट (सुब्बीरामी रेड्डी और मोहम्मद अली खान) तथा तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) को एक सीट (थोटालक्ष्मी सीतारमण) बचाने का संकट होगा। हाल ही में लोकसभा चुनाव के साथ हुये राज्य विधानसभा चुनाव में वाईएसआर कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिलने के बाद इन सीटों पर सत्तारूढ़ दल का स्वाभाविक दावा होगा। तेदेपा के छह में से चार राज्यसभा सदस्यों ने लोकसभा चुनाच के बाद ही भाजपा का दामन थाम लिया था।
उच्च सदन में बहुमत की ओर बढ़ने के क्रम में भाजपा हिमाचल प्रदेश, मेघालय और मिजोरम की रिक्त हो रही एक एक सीट पर भी नजर रखे हुये है। इनमें हिमाचल प्रदेश से सेवानिवृत्त हो रही कांग्रेस की विप्लव ठाकुर की सीट राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा के खाते में जाना तय है।
अगले साल अप्रैल में राज्यसभा का कार्यकाल पूरा कर रहे प्रमुख नेताओं में कांग्रेस के मधुसूदन मिस्त्री (गुजरात), मोतीलाल वोरा (छत्तीसगढ़) और दिग्विजय सिंह (मध्य प्रदेश), भाजपा के विजय गोयल (राजस्थान) प्रभात झा (मध्य प्रदेश) और सत्यनारायण जटिया (मध्य प्रदेश) तथा मनोनीत सदस्य केटीएस तुलसी शामिल हैं।
अगले साल अप्रैल के बाद जून में पांच सीट (चार कर्नाटक और एक अरुणाचल प्रदेश) और नवंबर में 10 सीट (नौ उत्तर प्रदेश और एक उत्तराखंड) रिक्त होंगी। इनमें सपा के रामगोपाल यादव सहित पार्टी के चार अन्य सदस्य शामिल हैं। जबकि बसपा के दो और कांग्रेस के पीएल पूनिया तथा भाजपा के हरदीप सिंह पुरी के अलावा उत्तराखंड से कांग्रेस के राज बब्बर की सीट भी रिक्त होगी। दोनों राज्यों में सत्तारूढ़ भाजपा इनमें से कम से कम आठ सीटें अपने पाले में करने की कोशिश करेगी।