दिल्ली की एक अदालत ने अच्छा रिटर्न देने का वादा कर हजारों लोगों से ठगी करने के वाली दो कंपनियों के तीन निदेशकों को तीन से पांच साल की सजा सुनाई है। निवेशकों को 20 साल की कानूनी लड़ाई के बाद इंसाफ की आस बंधी है।
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पवन सिंह रजावत ने मुजीब-उर-रहमान, उसकी पत्नी शाइस्ता नुसरत और हबीब-उर-रहमान को भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) और 420 (धोखाधड़ी) के तहत सजा सुनाई और दोषियों पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।
अभियोजन के मुताबिक, दोषियों ने 1995 में एम/एस हबीब इंवेस्टमेंट लिमिटेड और एम/एस हबीब मर्कंटाइल लिमिटेड नाम की दो कंपनियां बनाईं। उनका मकसद बचत को बढ़ावा देना था। उन्होंने बिना इजाजत निवेश प्राप्त किया।
अदालत ने कहा कि वह ‘बिना किसी शक…इस बात से संतुष्ट’ है कि दोषियों ने इन दो कंपनियों के जरिए लोगों के साथ धोखा किया है और उन्हें अच्छा रिटर्न देने का झूठा वादा किया था।
अदालत ने अपराध दंड संहिता के तहत अपील लंबित रहने तक सजा पर रोक लगाने की दोषियों की अपील को खारिज कर दिया। न्यायाधीश ने हाल के अपने आदेश में कहा, ‘अधिकतर निवेशकों को अपना पैसा वापस नहीं मिला है और मैं इस बात से संतुष्ट हूं कि अगर दोषियों को छोड़ा जाता है तो वे निवेशकों के पैसे को बांटने की प्रक्रिया में रोड़ा अटकाने की कोशिश कर सकते हैं। इसलिए उनकी सजा पर रोक लगाने का कोई आधार नहीं है। सीआरपीसी की धारा 389 के तहत आवेदन खारिज किया जाता है।’
न्यायाधीश ने उन्हें तिहाड़ जेल भेज दिया। दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई के मुताबिक, कंपनियों और निदेशकों ने 17 अन्य के साथ मिलकर निवेशकों के साथ तीन करोड़ रुपये से ज्यादा की धोखाधड़ी की है।