प्रताप चंद्र सारंगी

राजनीति केवल देश की सेवा करने का माध्‍यम: सारंगी

प्रताप चंद्र सारंगी
प्रताप चंद्र सारंगी

ऐसे समय में जब देश के चुनावी परिदृश्‍य में धनबल और बाहुबल का जोर है प्रताप चंद्र सारंगी जैसे व्‍यक्ति का सांसद चुनकर आना भारतीय लोकतंत्र में जनता के विश्‍वास को मजबूत करता है। ओडिशा की बालासोर लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर आए सारंगी को नरेंद्र मोदी सरकार में सूक्ष्म एवं लघु उद्योग राज्य मंत्री भी बनाया गया है। सारंगी ने इसे अपना सौभाग्‍य समझा है।

अगर मोदी मंत्रिमंडल के सभी मंत्रियों को उनकी खूबियों के आधार पर आंका जाए तो प्रताप चंद्र सारंगी सबसे गरीब मंत्री ठहरेंगे। उनकी जमापूंजी कुल 13 लाख रुपये है। मंत्री पद की शपथ लेने के बाद सारंगी ने कहा, ‘मैं भाग्‍यशाली हूं कि पीएम मोदी ने मुझ पर भरोसा किया। मेरे लिए राजनीति देश की सेवा करने का माध्‍यम है। हमारी पार्टी का सिद्धांत है- देश पहले, पार्टी उसके बाद और हम सबसे बाद में। मैं मोदी जी और आम जनता का विश्‍वास जीतने की पूरी कोशिश करूंगा।’

मोदी के करीबी माने जाते हैं
एकदम साधारण वेशभूषा और सामान्य जनजीवन वाले प्रताप सारंगी चुनाव जीतने के बाद से ही काफी चर्चा बटोर रहे हैं। उन्हें ‘ओडिशा का मोदी’ भी कहा जा रहा है।

सांसद चुने जाने से पहले प्रताप चंद्र सारंगी ओडिशा के नीलगिरी विधानसभा से 2004 और 2009 में विधायक चुने जा चुके हैं। इससे पहले वह 2014 के लोकसभा चुनाव में भी खड़े हुए थे लेकिन तब उन्‍हें हार मिली थी। प्रताप सारंगी को नरेंद्र मोदी का करीबी माना जाता है। बताया जाता है कि मोदी जब भी ओडिशा आते हैं तो सारंगी से मुलाकात जरूर करते हैं। सफेद दाढ़ी, सिर पर सफेद कम बाल, साइकिल और बैग उनकी पहचान है। गरीब परिवार से ताल्‍लुक रखने वाले प्रताप सारंगी का जन्‍म नीलगिरी में ही गोपीनाथपुर गांव में हुआ।

बीजेडी के रबिन्द्र कुमार जेना को हराया चुनाव
बता दें कि प्रताप चंद्र सारंगी ने बीजेडी के रबिन्द्र कुमार जेना को 12,956 वोटों से हराया है। बालासोर सीट से 1951, 1957 और 1962 में कांग्रेस को कामयाबी मिली थी। 1967 में यह सीट कांग्रेस के हाथ से निकली और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को मिली। साल 1971 के चुनाव में कांग्रेस ने फिर इस सीट पर कब्जा जमा लिया। 1977 में फिर कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया यहां से जीती। इसके बाद के दो चुनावों 1980 और 1984 में यहां से कांग्रेस जीत हासिल की। 1991 और 1996 में भी इस सीट पर कांग्रेस को जीत मिली थी। 1989 में इस सीट से जनता दल को कामयाबी मिली। 1998 के चुनाव में बीजेपी यहां से पहली बार जीती और इसके बाद 1999, 2004 में उसने अपनी कामयाबी को दोहराया। 2009 में कांग्रेस के श्रीकांत कुमार जेना चुनाव जीते थे। 2014 में यहां बीजेडी के रबींद्र कुमार जेना जीते थे।

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