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घर में नहीं दाने, धामी चले भुनाने

चुनावी साल हैं तो रेवडिया बटनी थी ही कुछ दिन पहले ही धामी सरकार ने भी रेवड़ियो बरसात शुरू कर दी है व घोषणा के तहत उत्तराखंड के सरकारी विद्यालयों में कक्षा 10 से 12 तक के सभी बच्चो को टैब बाटे जायेंगे जिसका खर्चा लगभग 4 अरब आएगा व लोगो के लिए यह एक अच्छी पहल है व भाजपा भी लोगो की इसी मानसिकता को भुनाने में लगी है|

किसी ने भी आकड़ो के आगे गौर नहीं किया की इन टेबो से आखिर होगा क्या? सभी जानते हैं की उत्तराखंड में सरकारी विद्यालयों की क्या स्थिति हैं खुद केंद्र सरकार के आकडे कहते हैं की उत्तराखंड के विद्यालयों  में अभी भी शोचालय, पानी व बिजली का अभाव हैं व जन्हा है भी तो उनमे से अधिकतर प्रयोग के यौग्य नहीं हैं ऐसे में प्रश्न यह उठता हैं की सरकार इन अतिआवश्यक कार्यो को छोड़कर इन विलासिता की चीजों पर इतना पैसा क्यों खर्च रही हैं? जबकि पूरा पहाड़ संचार तरंगो के आभाव से त्रस्त हैं?

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आज सरकार उन हालातो में रेवडिया बाँट रही हैं जब की उसपर पहले ही 68 हजार करोड़ का ऋण हैं व हर तिमाही वो रिज़र्व बैंक से 700 करोड़ अतिरिक्त ऋण वेतन व आवश्यक कार्यो के लिए ले रही हैं| उत्तराखंड राज्य में 50 प्रतिशत से ज्यादा आय वेतन/ भत्तो में ही निकल जाती हैं व सरकार खुद को कर्ज का घी पीकर सेहतमंद दिखा रही हैं और यह कर्ज जल्द ही उत्तराखंड का नासूर बनने वाला हैं क्योकि राजनेताओ को राज्य की आय के रूप में खनन व शराब के आलावा कुछ और नज़र ही नहीं आता व माफिया व राजनितिक संरक्षण के कारण उसमे भी 50 प्रतिशत तक की ही आय आ पाती हैं|

सरकार ने जो निविदा जारी की हैं उसके आकडे देखकर बहुत ही आश्चर्य होता हैं क्योकि सरकार 3,82,82,00,000 ( तीन अरब, ब्यास्सी करोड़, ब्यास्सी लाख) रुपयों में 3GB RAM, 32 GB HDD, wifi/4G के साथ 8 इंच के 2,64,015 ( दो लाख चोसठ हजार पंद्रह) टेब खरीद रही हैं जिसकी ओसत कीमत 15,000 (पंद्रह हजार) प्रति टैब बैठ रही है जबकि यदि आप ऑनलाइन देखोगे तो इस तरह के टैब आपको 10,000 में आसानी से मिल सकते हैं व इतने टैब लेने पर तो कीमत में 40% तक की कमी हो सकती हैं व 15 हजार तक में कई कंपनिया लैपटॉप तक दे सकती हैं जो की टैब से ज्यादा लाभकारी होगा|

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सरकार ने जो टैब मंगाए हैं उनमे wifi\4G की सुविधाए होंगी पर प्रश्न हैं की पहाड़ में बिजली व मोबाइल सिग्नलों के आभाव में यह टैब क्या कोई मदद कर पायंगे? उत्तराखंड में बच्चो को तकनिकी शिक्षा व मूलभूत सुविधाओ की आवश्यकता हैं ना की तकनिकी वस्तुओ की व क्या गारंटी हैं की बच्चे इन टेबो को मिलने के बाद पढ़ना नहीं छोड़ेंगे? आप एक सर्वे करा लीजिये की ऑनलाइन पढ़ाई के बाद कितने बच्चे अब मोबाइल एडिक्ट हो चुके हैं? इससे समाज में मानसिक विकृति बढ़ ही रही हैं व पोर्न हब के अनुसार भारत में पोर्न देखने वालो की तादाद दिनभर दिन लगातार बढती जा रही हैं व भारत शीर्ष 10 देशो में आता हैं|

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हमारा मानना हैं की सरकार को उल जुलूल चीजों पर सरकारी धन को बर्बाद करने की बजाय तकनिकी विशेषज्ञों को बुलाकर राज्य की शिक्षा निति को बेहतर व रोजगारपरक बनाना चाहिए व उनके लिए मूलभूत सुविधाओ का विस्तार करना चाहिए| राष्ट्र वही बेहतर बनता हैं जिसके विद्यार्थियों व युवाओ में जिज्ञासा व कर्मठता हो|

इन टेबो से किसी का भला हो ना हो पर कंपनी व राजनेता इससे जरूर लाभान्वित होंगे व उत्तराखंड भविष्य उज्जवल हो ना हो पर इनका भविष्य जरूर उज्जवल हो जाएगा|

लेखक:- जीवन पन्त
फोन :- 05946 222 222
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