पूर्व विदेश सचिव सुब्रमण्यम जयशंकर

एस जयशंकर डायरेक्ट मोदी केबिनेट में, विदेश मंत्री बनना तय

पूर्व विदेश सचिव सुब्रमण्यम जयशंकर
पूर्व विदेश सचिव सुब्रमण्यम जयशंकर

पूर्व विदेश सचिव सुब्रमण्यम जयशंकर यानी एस जयशंकर मोदी सरकार में शामिल होने जा रहे हैं यह तो शाम को उनके प्रधानमंत्री निवास पर पहुंचने के बाद ही पुष्ट हो गया था लेकिन सीधे कैबिनेट मंत्री बनाकर नरेंद्र मोदी ने चौंका दिया है। एस जयशंकर ने राष्ट्रपति भवन में कैबिनेट मंत्री की शपथ ली। मोदी कैबिनेट में सुषमा स्वराज की गैर -मौजूदगी की वजह से उन्हें विदेश मंत्रालय मिलने के कयास लगाए जा रहे हैं।

इससे पहले पूर्व विदेश सचिव उन चुनिंदा लोगों में थे जो आज शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने उनके आधिकारिक आवास 7 लोक कल्याण मार्ग पहुंचे थे। इस मीटिंग में उन लोगों को ही बुलाया गया था जिन्हें मोदी सरकार 2.O में मंत्री बनाया जाना था। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद क्रम में 10 वें नंबर पर शपथ ली।

उनसे पहले शपथ लेने वाले कैबिनेट मंत्रियों में राजनाथ सिंह , अमित शाह , नितिन गडकरी , सदानंद गौड़ा , निर्मला सीतारमण , राम विलास पासवान , नरेंद्र सिह तोमर , रवि शंकर प्रसाद , हरसिमरत कौर बादल शामिल हैं।

एस जयशंकर जनवरी 2015 से जनवरी 2018 तक भारत के विदेश सचिव रहे थे। चीन से डोकलाम विवाद को सुलझाने में उनकी बड़ी भूमिका रही थी। इसके अलावा वर्ष 2007 में यूपीए सरकार के कार्यकाल में अमेरिका से हुई सिविल न्यूक्लियर डील में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। एस जयशंकर को इसी साल पद्मश्री सम्मान से भी नवाजा गया था।

सुब्रमण्यम जयशंकर का जीवनी

लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दूसरे कार्यकाल के लिए गुरुवार को शपथ ली| पूर्व विदेश सचिव सुब्रमण्यम जयशंकर भी मोदी कैबिनेट में शामिल हुए और उन्हें केबिनेट मंत्री बनाया गया| 1977 बैच के आईएफएस अधिकारी सुब्रमण्यम जयशंकर की विदेश मामलों में अच्छी पैठ है और वे काफी तेज-तर्रार अफसर माने जाते हैं| सुब्रमण्यम जयशंकर को जनवरी 2015 में केंद्र सरकार ने विदेश सचिव बनाया था| इससे पहले जयशंकर अमेरिका में भारत के राजदूत थे| कहा जाता है कि जयशंकर ने अमेरिका के साथ एटमी डील का रास्ता साफ करने और ओबामा को गणतंत्र दिवस पर मेहमान बनाने में अहम भूमिका निभाई थी|

सेंट स्टीफेंस कॉलेज से की है पढ़ाई
मूल रूप से तमिलनाडु के रहने वाले एस जयशंकर का जन्म दिल्ली में हुआ| उनके दिवंगत पिता के. सुब्रमण्यम भारत के प्रमुख रणनीतिक विश्लेषकों में से एक माने जाते रहे हैं| सुब्रमण्यम जयशंकर की शिक्षा एयरफोर्स स्कूल और सेंट स्टीफेंस कॉलेज में हुई| उनकी पत्नी का नाम क्योको जयशंकर है और उनके दो पुत्र तथा एक पुत्री हैं| जयशंकर ने पॉलिटिकल साइंस से एमए करने के अलावा एम. फिल और पीएचडी भी किया है| वह इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रेटिजक स्टडी लंदन के भी सदस्य हैं|

1979 में मिली थी पहली पोस्टिंग :
सुब्रमण्यम जयशंकर की पहली पोस्टिंग 1979 से 1981 तक रूस के भारतीय दूतावास में रही| इसके बाद 1981 से 1985 तक वे विदेश मंत्रालय में अंडर सेक्रेटरी रहे| फिर 1985 से 1988 के बीच वे अमेरिका में भारत के प्रथम सचिव रहे और इसके बाद श्रीलंका में भारतीय शांति सेना के राजनैतिक सलाहकार के तौर पर काम किया| 1990 में उन्हें बुडापेस्ट में कॉमर्शियल काउंसलर की पोस्टिंग दी गई| इसके बाद वह स्वदेश लौटे और तीन साल तक पूर्वी यूरोप के मामलों को देखते रहे| 1996 से 2000 तक टोक्यो तथा इसके बाद 2004 तक चेक रिपब्लिक में भारत के राजदूत का पद भी संभाला| चेक रिपब्लिक से लौटने के बाद वह तीन साल तक विदेश मंत्रालय में अमेरिकी विभाग देखते रहे| 2007 में उन्हें बतौर इंडियन हाई कमिश्नर सिंगापुर भेजा गया| फिर 2009 से 2013 तक वह चीन में भारत के राजदूत रहे|

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