उत्तराखंड मे धामी सरकार नियमो को ताक पर रखकर नीतियो मे अमूल चूल परिवर्तन कर रही हैं व वर्तमान खनन नीति इसका उधारण हैं क्योकि पूरा का पूरा सरकारी अमला सरकार की नीतियो को लागू करवाने मे व्यस्त हूँ।
धामी सरकार की नई खनन नीति के अनुसार नदियो से खनन का ठेका कुछ चहेती कंपनीयों को जारी किया हुआ जो की सभी से हाथ पर्ची से बिना तोल के रॉयल्टी वसूलेगी जो की बाबा आदम के जमाने की विधि हैं पर असल मे यह कवायद कुछ निजी कंपनियो को लाभ पाहुचाने की हैं।
सरकार के इस फैसले से ना केवल राज्य को अपितु लोगो को भी घाटा हैं क्योकि बड़े बड़े ठेकेदारो ने लंबे लंबे ट्रको को खुदान के लिए लगाया हैं जो की राजस्व की चपत लगा रहे हैं।
धामी सरकार की यह नीति किसी के भी गले नहीं उतर रही हैं क्योकि इस नीति से ना केवल राज्य सरकार अपितु पर्यावरण की भी हानि होगी जिसकी चिंता धामी सरकार को बिलकुल भी नहीं है।
पहले ही खनन मे भयंकर घोटाला हैं क्योकि नीतियो को देखा जाये तो गौला व अन्य नदियो मे “चुगान” की अनुमति दी जाती हैं यानि की आपको नहीं मे जाकर रेता बाजरी को एकत्र करना हैं वो भी बिना किसी खुदाई के जबकि होता इसका उल्टा हैं व यही कारण हैं की लालच ने नदी के किनारे तक खोद डाले हैं व हल्द्वानी काठगोदाम मे रेलवे की पटरियो का बह जाना उसकी का परिणाम था।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री धामी खनन प्रेमी रहे व खनन मे होने वाली कमाई से वो भली भाति वाकिफ हैं तभी तो धाकड़ धामी के आदेश के कारण पूरा जिला प्रशासन खनन कारोबारियो पर दबाव बनाकर किसी भी हालत मे खनन को शुरू कराना चाहते हैं।
हाल यह हैं की सरकार की बिना तोल बिना मोल नीति को सफल बनाने के लिए आयुक्त स्तर पर मॉनिटरिंग हो रही हैं व खनन गेटो पर भारी पुलिस बल के साथ उप जिलाधिकारी भी सरकार को खुश करने के लिए लोगो के विरोध के बावजूद जी जान से दिन व रात लगे हुए हैं।
पूर्व मे दिये गए आदेशो के अनुसार हाथी कॉरीडोर के क्षेत्र मे खुदाई प्रतिबंधित थी लेकिन इस बार सरकार ने दरियादिली दिखाते हुए नदी की सफाई के नाम पर एक ठेका जारी किया हैं जो की बड़ी बड़ी मशीनों से हाथी कॉरीडोर की सफाई करेंगे व सभी जानते हैं की हाथी कॉरीडोर मे रेत नहीं सोना हैं सोना जो बिना तोल बिना मोल के अपने चहेतों को बेच चुकी हैं।
हम हैरान हैं की पूरा पुलिस प्रशासन खनन कराने मे व्यस्त हैं जबकि उन्हे अपने प्रशासनिक कार्य मे लगे होना चाहिए था। मजे की बात तो यह हैं आज जब खनन कारोबारियों ने हल्द्वानी मे हड़ताल का आव्हान किया था तो पुलिस ने पूरे जिले मे घेरेबंदी कर रखी थी जिसके कारण कई किलोमीटर तक जाम लगा हुआ था व पुलिस केवल खनन के लिए केवल ट्रको को गलत दिशा से हल्द्वानी/ खनन गेटो की ओर जाने दे रही थी।
आज हालत यह हैं की सरकार ने छुट्टी वाले दिन एक आदेश निकाला हैं जिसमे उन्होने वन निगम से इलेक्ट्रिक कांटो को लगाने व जब तक कांटे नहीं लग जाते तब तक मेनुयल निकासी को प्राथमिकता दे जो की कोर्ट के नियमो की भी अवहेलना हैं व सरकार चाहे तो कांटे 2 दिन मे लगाए जा सकते हैं व यदि सरकार के पास वैकल्पिक व्यवस्था नहीं थी तो उन्होने पूर्व मे लगाए कांटे क्यो हटाये?
हम सरकार की नीतियो की घोर भर्त्सना करते हैं व नियमो मे हुई गडबड़ियों की उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हैं। क्योकि सरकार के इस आदेश से ना केवल पर्यावरण की हानि होगी अपितु स्थानीय लोग रोजगार से भी वंचित हो जाएँगे। इससे सरकार को राजस्व की भी चपत लगेगी।
लेखक:- जीवन पंत | फोन 05946 222222