Loan amount on Uttarakhand is increasing because of mismanagement

रावत की ढपली, रावत का बाजा, आमदनी अठन्नी खर्चा हैं ज्यादा

Loan amount on Uttarakhand is increasing because of mismanagement
Loan amount on Uttarakhand is increasing because of mismanagement

उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था आर्थिक अराजकता की और बढ़ रही हैं क्र्योकी उत्तराखंड में आय से ज्यादा खर्चे हो रहे हैं वो भी विलासिता पर| जो सरकार लोगो की सेवा के लिए बनकर आई थी आज वो अपने सुख सुविधाओ के साधनों को साधने में लगी हो| त्रिवेन्द्र सिंह रावत जो की सूबे के मुखिया हैं व संघ की फेक्टरी से पकाकर भेजे गए थे वो आज अपनी सीख पीछे छोड़ सत्ता के मोह में कुर्सी की खातिर उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था पर अनावश्यक आर्थिक बोझ लाद रहे हैं|

उत्तराखंड को बने अभी 19 साल ही हुए हैं और जो सोच लोगो की उत्तराखंड को बनाने को लेकर थी वो पूरी थारह धूमिल हो चुकी हैं और आज सत्ता पर वो लोग काबिज हैं जिन्होंने कभी उत्तराखंड को लेकर विरोध किया था और जो राज्य आन्दोलनकारी रहे हैं उनके घरवालो को सरकार का विरोध करने पर रातोरात घर से उठा लिया जाता हैं

आज उत्तराखंड राज्य पर 5000 करोड़ से ज्यादा का कर्जा चढ़ा हुआ हैं और मजे की बात यह हैं की रावत सरकार अपनी आय बढाने पर ध्यान ना देकर खर्चे बढ़ा रही हैं और विकास के लिए विश्व बैंक, एशिया विकास बैंक व अन्य स्त्रोतों की और देख रही हैं जो की बेहद खर्चीले हैं और बाद में अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महंगे साबित होने वाले हैं| इसी माह सरकार ने फिर 250 करोड़ रूपये वेतन भुगतान के लिए मार्किट से उधार लिए हैं|

जुलाई माह में सरकार ने विधायक व मंत्रियो के लिए दिल्ली में उत्तराखंड भवन व निवास को छोड़ पांच सितारा होटलों में प्रवास के लिए मुहर लगाईं और इतना ही नहीं राज्य घाटे में होने के बावजूद सभी मत्री व अधिकारियों के लिए महंगी गाडियों की खरीद की मंजूरी भी अखबारो के मुखपृष्ठ की खबर बनी|

अभी इन बातो पर लोग चर्चा कर ही रहे थे की पता चला की रावत सरकार ने दर्जा प्राप्त लोगो के वेतन में तिगुना वृद्धि कर दी हैं जिससे की राज्य खजाने पर अतिरिक्त बोझ पढ़ेगा व इस बोझ को पाटने के लिए सरकार फिर से खुली मार्किट से ऋण लेगी जो की राज्य की साख को और धूमिल करेगी|

आज उत्तराखंड में चारो और अराजकता ही अराजकता हैं अस्पतालों में डॉक्टर व दवाईया नहीं हैं, विद्यालयों में शिक्षक नहीं हैं, संसाधनों के लिए बजट नहीं हैं| पहाड़ में अधिकतर विद्यालयों में शिक्षक व अस्पतालों में चिकित्सक गायब हैं, करोडो रुपयों की मशीने धुल फांक रही हैं व सरकार जो ट्रान्सफर एक्ट बनाया था वो आज खुद आज ICU में पड़ा हैं और कब उसे मृत घोषित कर दिया जाएगा किसी को पता नहीं|

अगर अखबारों की माने तो आज उत्तराखंड में लोगो के पास दो दो नौकरिया होनी चाहिए क्योकि हर विभाग में रावत जी ने हजारो रिक्तियों की बात की थी और अरबो रूपये के निवेश के द्वारा लाखो लोगो के रोजगार की| लेकिन हुआ इसका उल्टा क्योकि जो कंपनिया पूर्व में कार्य कर रही थी वो भी उत्तराखंड छोड़ने के लिए मजबूर है क्योकि बिना पैसा चढ़ाये आप उत्तराखंड में काम कर ही नहीं सकते और मार्किट की स्थिति भी कुछ अच्छी नहीं हैं|

अगर ऐसे ही हालत रहे तो उत्तराखंड जल्द ही अपनी साख को देगा व उत्तराखंड की आय का अधिकतर पैसा उन ऋणों के ब्याज में चला जाएगा| आज उत्तराखंड को राजनितिक दीमको ने चट कर डाला हैं जो लोग हाथ जोड़कर सेवा करने आये थे वो माल बटोरने व बचा कहता टटोलने में लगे है| बेहतर होता सरकार अपना आर्थिक प्रबंधन मजबूत करती, खर्चो को घटाती व CSR फण्ड को राज्य को और खीचकर स्वास्थ, शिक्षा व कौशल विकास जैसे विभागों को दिए जाना वाला सरकारी अंशदान कम करती|

अगर सरकार सही में राज्य की वित्तीय स्थिति को पटरी पर लाना चाहती हैं तो उसे शैलेश बगोली, पांडियन,  सेविन बंसल, धिराज गर्ब्र्यल, ब्रिजेश संत, मंगेश घिल्डियाल जैसे कर्मठ व दूरदर्शी लोगो को निवेश, प्रशासन जैसे विभागों की जिम्मेवारी देनी होगी व महा भ्रष्ट लोगो को जबरन रिटायर्मेंट| तभी आमदनी अठन्नी से बढ़ पाएगी|