P Chidambaram

फरार चिदम्बरम को SC से कोई राहत नहीं

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आईएनएक्स मीडिया मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फरार चल रहे पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदबंरम को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत मिलती नहीं दिख रही। गिरफ्तारी से बचने के लिए अग्रिम जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को अगली सुबह तक इंतजार करना होगा।

जस्टिस रमन्ना ने चिदंबरम की याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार किया और कहा कि आज इस मामले की आज लिस्टिंग नहीं हो सकती। सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता की याचिका को भी दोषपूर्ण बताया।

कांग्रेस सांसद का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने पूर्व वित्त मंत्री की गिरफ्तारी पर रोक लगाने की अपील की। उन्होंने कहा कि मेरे क्लाइंट कहीं भाग नहीं रहे हैं।
हालांकि, इस पर कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता की याचिका दोषपूर्ण है और इसके त्रुटिरहित होने के बाद ही लिस्टिंग के लिए भेजा जा सकता है। जस्टिस रमन्ना ने कहा, ‘इससे अधिक हम और कुछ नहीं कर सकते। याचिकाकर्ता को कम से कम कल सुबह तक का इंतजार करना ही होगा।’

कांग्रेस सांसद के खिलाफ जारी किए गए लुकआउट नोटिस पर भी उनके वकील कपिल सिब्बल ने सवाल उठाया। उन्होंने कोर्ट से कहा, ‘मेरे क्लाइंट कहीं भाग नहीं रहे और न छुपे हैं। इसके बावजूद उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया गया। सीबीआई ने उनके घर के बाहर भी नोटिस चस्पा किया है।’

बता दें कि मंगलवार को हाई कोर्ट ने पूर्व वित्त मंत्री की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद कांग्रेस सासंद ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। हालांकि, कोर्ट से भी फिलहाल उन्हें कोई राहत नहीं मिली है।

विदेशी निवेश की आड़ में FIPB में चल रहे ‘खेल’ का खुलासा 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच के दौरान एयरसेल-मैक्सिस डील की जांच से होनी शुरू हुई। इस डील में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर ही ईडी टीम का ध्यान मैक्सिस से जुड़ी कंपनियों से तत्कालीन वित्त मंत्री चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम से जुड़ी कंपनियों में पैसे आने पर गया। जब ईडी मामले की तह तक पहुंची तो इस केस में घूसखोरी की परतें एक के बाद एक खुलती चली गईं। INX के प्रमोटर इंद्राणी मुखर्जी के सरकारी गवाह बनने के बाद चिदंबरम पर शिकंजा कसना शुरू हो गया।

INX को फॉरन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (FIPB) ने मई 2007 में 4.62 करोड़ रुपये के निवेश के लिए स्वीकृति दी थी। FIPB ने यह स्पष्ट किया था कि कंपनी में ‘डाउनस्ट्रीम इन्वेस्टमेंट’ के लिए अलग स्वीकृति की जरूरत होगी। डाउनस्ट्रीम इन्वेस्टमेंट एक भारतीय कंपनी की ओर से अन्य में सब्सक्रिप्शन या शेयर्स खरीदने के जरिए इनडायरेक्ट फॉरन इन्वेस्टमेंट होता है। कंपनी ने कथित तौर पर डाउनस्ट्रीम इन्वेस्टमेंट किया था और INX मीडिया में 305 करोड़ रुपये से अधिक का फॉरन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट हासिल किया था, जबकि कंपनी को 4.62 करोड़ रुपये के इन्वेस्टमेंट के लिए ही स्वीकृति मिली थी।

पी चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान अनियमितता का आरोप
बता दें कि 15 मई 2017 को केंद्रीय जांच ब्यूरो ने फॉरन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (FIPB) की अनियमितता के आरोप में एफआईआर दर्ज की थी। आरोप था कि FIPB ने आईएनएक्स मीडिया को 2007 में वित्त मंत्री के तौर पर पी चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान विदेश से 305 करोड़ रुपये फंड देने के लिए क्लियरेंस देने में अनियमितता की थी। एफआईआर के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय ने प्रिवेन्शन ऑफ मनी लॉन्डरिंग ऐक्ट के तहत केस दर्ज किया था।

इंद्राणी ने जांच एजेंसी को दिए बयान में कहा कि INX मीडिया की अर्जी फॉरेन इनवेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (FIPB) के पास थी। इस दौरान उन्होंने पति पीटर मुखर्जी और कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी के साथ पूर्व वित्त मंत्री के दफ्तर नॉर्थ ब्लॉक में जाकर मुलाकात की थी। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को दिए अपने बयान में उन्होंने कहा, ‘पीटर ने चिदंबरम के साथ बातचीत शुरू की और INX मीडिया की अर्जी एफडीआई के लिए है और पीटर ने अर्जी की प्रति भी उन्हें सौंपी। FIPB की मंजूरी के बदले चिदंबरम ने पीटर से कहा कि उनके बेटे कार्ति के बिजनस में मदद करनी होगी।’ इस बयान को ईडी ने चार्जशीट में दर्ज किया और कोर्ट में भी इसे सबूत के तौर पर पेश किया गया।

3 फरवरी को केंद्रीय कानून मंत्रालय ने केंद्रीय जांच एजेंसी को चिदंबरम के खिलाफ जांच की इजाजत दे दी थी। ईडी ने कार्ति की 54 करोड़ रुपये की संपत्ति और एक कंपनी भी अटैच कर दी थी। ईडी यह जांच कर रही है कि कैसे FIPB ने ग्रुप को 2007 में क्लियरेंस दे दिया। ईडी का दावा है कि अभी तक की जांच में यह बात सामने आई है कि आईएनएक्स मीडिया के निदेश पीटर मुखर्जी और इंद्राणी मुखर्जी ने सीनियर कांग्रेस नेता से मुलाकात की थी ताकि उनके आवेदन में देरी न हो।

ईडी की जांच में पता चला है कि FIPB से मंजूरी के लिए आईएनएक्स मीडिया के डायरेक्टरों पीटर मुखर्जी और इंद्राणी मुखर्जी ने पी चिदंबरम से मुलाकात की थी। इस मामले में ईडी ने चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम और एक फर्म से जुड़ी 54 करोड़ की संपत्तियों को जब्त किया है।

एफआईआर में CBI ने आरोप लगाया था कि कार्ति ने वित्त मंत्रालय के अधिकारियों पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर INX मीडिया की ओर से किए गए अवैध विदेशी निवेश का मामला दबा दिया था। एफआईआर में बताया गया था कि अधिकारियों ने INX मीडिया को विदेशी निवेश के लिए नई मंजूरी मांगने की अनुमति दी थी, जबकि कंपनी पहले ही यह निवेश अपने कब्जे में कर चुकी थी। INX मीडिया के मालिक इंद्राणी और पीटर मुखर्जी थे।

एयसेल-मैक्सिस मामले की जांच के दौरान पता चला कि केवल 180 करोड़ का निवेश दिखाकर 3,500 करोड़ रुपये का निवेश इसलिए कर दिया गया ताकि मामला निवेश से संबंधित कैबिनेट कमिटी के पास नहीं जाए। दरअसल, एफआइपीबी नियमों के अनुसार, वित्त मंत्री को 600 करोड़ रुपये तक के विदेश निवेश को मंजूरी देने का अधिकार था। इससे अधिक के विदेशी निवेश पर कैबिनेट की मंजूरी जरूरी होती। यानी इस मामले में बाकी का पैसा चोर दरवाजे से आया।