प्रभु हनुमान शादी के बाद भी ब्रह्मचारी थे : रावत

प्रभु हनुमान शादी के बाद भी ब्रह्मचारी थे : रावत

प्रभु हनुमान शादी के बाद भी ब्रह्मचारी थे : रावत
प्रभु हनुमान शादी के बाद भी ब्रह्मचारी थे : रावत

सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि बाल ब्रह्मचारी भगवान हनुमान की भी शादी हुई थी। हनुमान जी में समर्पण का गुण प्रबंधन का सबसे बड़ा गुण था। शादी होने के बाद भी वह बाल ब्रह्मचारी ही रहे। उन्होंने भगवान श्री राम की भक्ति को ही अपना सबकुछ मान लिया था। हनुमान जी के हिसाब से राम ही राष्ट्र थे, राम ही आराध्य हैं। सीएम ने कहा कि प्रबंधन के लिए समर्पण का गुण सबसे बड़ा गुण है।

मुख्यमंत्री रावत रविवार को आइआइएम के उत्तिष्ठ-2019 समारोह को संबोधित कर रहे थे। सीएम रावत ने कहा कि हनुमान बाल ब्रह्मचारी हैं। लेकिन शास्त्रों के अनुसार हनुमान जी की शादियां हुई हैं। कहा कि हनुमान जी ने भगवान सूर्य देव को अपना गुरु माना था। गुरु के कहने पर वह शादी के लिए राजी हुए। सूर्य देव से जब हनुमान शिक्षा ग्रहण कर रहे थे तो सूर्य देव उन्हें पांच दिव्य विद्याएं सिखा चुके थे, लेकिन चार विद्याएं तभी सीखी जा सकती थीं कि जब वह शादीशुदा होते। शादी भी एक विद्या है।

हमारा लाटा कभी कुछ भी कह देता हैं इसलिए हमने इस तथ्य को जाचने का फैसला किया और पाया की त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने इस बार सही कहा हैं क्योकि पराशर संहिता में भगवान हनुमान के विवाह का प्रसंग हैं और उन्होंने अपनी विध्याओ में पारंगत होने के लिए किया था व आन्ध्र प्रदेश के खम्मन जिले में श्री हनुमान के विवाहित रूप में एक मंदिर हैं और कहा जाता हैं की अगर आपके वैवाहिक जीवन में सुख नहीं हैं तो आप इस मंदिर में पूजा करे तो आपका वैवाहिक जीवन में आ रहे विकार व कलेश स्वत ख़त्म हो जायेंगे|

पवनपुत्र का विवाह भी हुआ था और वो बाल ब्रह्मचारी भी थे, कुछ विशेष परिस्थियों के कारण ही बजरंगबली को सुवर्चला के साथ विवाह बंधन मे बंधना पड़ा। हनुमान जी ने भगवान सूर्य को अपना गुरु बनाया था। हनुमान, सूर्य से अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे थे, सूर्य कहीं रुक नहीं सकते थे इसलिए हनुमान जी को सारा दिन भगवान सूर्य के रथ के साथ साथ उड़ना पड़ता और भगवान सूर्य उन्हें तरह- तरह की विद्याओं का ज्ञान देते।

लेकिन हनुमान जी को ज्ञान देते समय सूर्य के सामने एक दिन धर्मसंकट खड़ा हो गया, कुल 9 तरह की विद्याओं में से हनुमान जी को उनके गुरु ने पांच तरह की विद्या तो सिखा दी लेकिन बची चार तरह की विद्या और ज्ञान ऐसे थे जो केवल किसी विवाहित को ही सिखाए जा सकते थे।

हनुमान जी पूरी शिक्षा लेने का प्रण कर चुके थे और इससे कम पर वो मानने को राजी नहीं थे। इधर भगवान सूर्य के सामने संकट था कि वो धर्म के अनुशासन के कारण किसी अविवाहित को कुछ विशेष विद्याएं नहीं सिखा सकते थे। ऐसी स्थिति में सूर्य देव ने हनुमान जी को विवाह की सलाह दी और अपने प्रण को पूरा करने के लिए हनुमान जी भी विवाह सूत्र में बंधकर शिक्षा ग्रहण करने को तैयार हो गए।

लेकिन हनुमान जी के लिए दुल्हन कौन हो और कहा से वह मिलेगी इसे लेकर सभी चिंतित थे, ऐसे में सूर्यदेव ने अपने शिष्य हनुमान जी को राह दिखलाई। सूर्य देव ने अपनी परम तपस्वी और तेजस्वी पुत्री सुवर्चला को हनुमान जी के साथ शादी के लिए तैयार कर लिया।

इसके बाद हनुमान जी ने अपनी शिक्षा पूर्ण की और सुवर्चला सदा के लिए अपनी तपस्या में रत हो गई। इस तरह हनुमान जी भले ही शादी के बंधन में बांध गए हो लेकिन शाररिक रूप से वे आज भी एक ब्रह्मचारी ही हैं। पराशर संहिता में तो लिखा गया है की खुद सूर्यदेव ने इस शादी पर यह कहा की – यह शादी ब्रह्मांड के कल्याण के लिए ही हुई है और इससे हनुमान जी का ब्रह्मचर्य प्रभावित नहीं हुआ।

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