खनन में सरकार 150 करोड़ लक्ष्य से पीछे

खनन में सरकार 150 करोड़ लक्ष्य से पीछे

खनन में सरकार 150 करोड़ लक्ष्य से पीछे
खनन में सरकार 150 करोड़ लक्ष्य से पीछे

उत्तराखंड में इस वर्ष खनन में राजस्व को बढ़ाना विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आया है। हालात यह हैं कि वित्तीय वर्ष शुरू हुए छह माह बीत चुके हैं, लेकिन विभाग निर्धारित राजस्व लक्ष्य का एक चौथाई भी हासिल नहीं कर पाया है। विभाग ने इस वर्ष 750 करोड़ का राजस्व लक्ष्य रखा है। इसके सापेक्ष विभाग सितंबर अंत तक केवल 150.12 करोड़ का लक्ष्य ही हासिल कर पाया है। खनन में कम राजस्व वसूली को देखते हुए अब मुख्य सचिव स्वयं इसकी समीक्षा करेंगे।

प्रदेश में खनन राजस्व का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। इसके तहत रिवर बैड मैटेरियल यानी आरबीएम के अलावा खडिय़ा के खनन से सरकार को अच्छा खासा राजस्व मिलता है। इस वर्ष सरकार ने पहले छह माह में 350 करोड़ के राजस्व लक्ष्य का निर्धारण किया था। इसके सापेक्ष अभी तक विभाग 150 करोड़ ही वसूल पाया है, जबकि वर्ष 2018-19 में इसी अंतराल में विभाग ने 207 करोड़ रुपये वसूल लिए थे।

जब इसकी समीक्षा की गई तो यह बात सामने आई कि वन के साथ ही अन्य विभागों से पर्यावरणीय व अन्य अनुमति न मिलने के कारण खनन शुरू नहीं हो पाया है। इस कारण ये दिक्कतें आई हैं। इसके अलावा विभिन्न ऐसे भी मसले हैं जहां या तो पट्टे नीलाम नहीं हुए हैं, जहां नीलाम हुए हैं तो वहां विभिन्न कारणों से खनन शुरू नहीं हो पाया है। इस कारण विभाग राजस्व लक्ष्य से काफी पीछे चल रहा है। कुछ समय पहले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने खनन की समीक्षा बैठक में इस पर चिंता जताते हुए राजस्व में तेजी लाने के निर्देश दिए थे।

वहीं, कुछ दिनों पूर्व एक कार्यशाला में खनन व्यापारियों ने एक अक्टूबर से खनन शुरू होने के बावजूद वर्क आर्डर जारी न किए जाने पर एतराज जताया था। इसे देखते हुए अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने भी सभी जिलाधिकारियों के साथ बैठक कर खनन के मामलों में अनुमति देने में आ रही दिक्कतों के संबंध में चर्चा की थी। अब बीते रोज ही शासन ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के क्रम में नदी व पुल के एक किमी के दायरे में खनन पर किया गया प्रतिबंध समाप्त कर दिया है। इससे भी विभाग अब खनन शुरू होने की उम्मीद कर रहा है।

खनन विभाग की राजस्व वसूली की अभी तक की कम रफ्तार को देखते हुए अब मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने भी विभागीय बैठक बुलाई है, ताकि राजस्व बढ़ाने में आ रही दिक्कतों पर चर्चा कर इन्हें दूर किया जा सके।

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