Free 24x7 Kitchen for tourist

उत्तराखंडी लोगो की असहाय पर्यटकों पर दरियादिली

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जन्हा लोग लोगो की मजबूरियों को भुनाने में लगे रहते हैं वही उत्तराखंड में लोग अपने व्यवहार से लोगो को दिल जीतने में लगे हुए हैं| सभी जानते हैं की चार धाम यात्रा में भीड़ होने के कारण बड़ा लंबा जाम लगा हुआ हैं पेट्रोल पंप में पेट्रोल डीजल नहीं हैं और दुकानदार पर्यटकों को लूटने में लगे हुए हैं वही कुछ लोग ऐसे भी है जो अपने दुःख, तकलीफ काम व लालच छोड़कर भीड़ में फसे लोगो के लिए अपने पैसो से निशुल्क 24 घंटे रसोई चला रहे हैं|

बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थिति नंदप्रयाग के पास एक छोटा सा गांव पुरसाड़ी। पांच दिन से 22 परिवारों वाले गांव का दृश्य बदला हुआ है। सड़क के एक ओर टेंट लगाकर बनी रसोई में दस से ज्यादा गांवों की महिलाएं भोजन बनाने में जुटी हैं। इनमें से कई 15 से 20 किलोमीटर पैदल चलकर यहां पहुंच रही हैं।

रसोई में तीन शिफ्ट में दो हजार लोगों के लिए 24 घंटे खाना पकाया जा रहा है। भोजन बदरीनाथ राजमार्ग पर फंसे यात्रियों के लिए है। सिर्फ पुरसाड़ी के आसपास ही नहीं, खाना यंहा से 10 किलोमीटर दूर चमोली तक पहुंचाया जा रहा है। वह भी निशुल्क।

दरअसल, मुसीबत की इस घड़ी में पहाड़ का हर घर दुखियारों की मदद में जुटा है। महिलाओं ने घर और खेत के काम छोड़कर यात्रियों के लिए खाना बनाने में जुटी हैं। यह धान की रोपाई का वक्त है, लेकिन ग्रामीण खेतों में जाने की बजाए पीड़ितों के आंसू पोछने निकल पड़े हैं। इसी कड़ी में बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग के आसपास बसे तेफना, सुनाली, राजबगठी, मंगरोली, झूलाबगड़, कंडारा, चमाली समेत दस से 15 गांवों की महिलाओं ने निर्णय लिया कि इस माह धान की रोपाई का काम छोड़ रसोई बनाई जाए। इस निर्णय के बाद शुरू हुआ यात्रियों की सेवा का कार्य। रसोई में प्रशासन के पास से पहुंची भारी मात्रा में जमा खाद्य सामाग्री का इस्तेमाल किया जा रहा है।

पुरसाड़ी से 12 किलोमीटर दूर राजबगठी गांव से पैदल चलकर भोजन बनाने आई पुरणी देवी बताती हैं कि ‘काम तीन शिफ्ट में चल रहा है। एक समूह प्रात: चार बजे नाश्ता तैयार करता है तो दूसरा समूह दस बजे से दोपहर का भोजन तैयार किया जाता है। वहीं तीसरा समूह चार बजे से रात्रि का भोजन तैयार करने में जुट जाता है।’

खाना बनाने में जुटी गौचर निवासी राजेश्वरी नेगी और मंगरोली गांव की कमला देवी बताती हैं कि खाना चमोली तक पहुंचाने के लिए ग्रामीणों ने अपने खर्च पर एक वाहन किराए पर लिया है। ताकि इससे थके मांदे लोगों को समय पर भोजन दिया जा सके