Trivendra Singh Rawat

हमारा CM तो लाटा ठहरा

Trivendra Singh Rawat
Trivendra Singh Rawat

आजकल उत्तराखंड विकास की राह बिलकुल भूल ही चुका है सरकारी नीतिया ऐसी हैं की प्रशासन खुद उसमे उलझकर रह गया हैं और रही कही कसर लोगो की छपान की चाहत ने सही नीतियों पर भी बट्टा लगा दिया हैं| जिससे की विकास की गति में रोक लगा दी हैं और ऐसे समय में जब उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत जी को सामने आकर नेतृत्व देना चाहिए था वो कुर्सी मोह व उच्च न्यायालय के भय से शांत है|

सभी को मालूम हैं की उत्तराखंड का औली एक विश्व प्रसिद्ध क्षेत्र हैं और गुप्ता बंधुओ की शाही शादी ने इसे और ख्याति दिला दी थी| सरकार को चाहिए था की इस मौके का फायदा उठाती और उत्तराखंड को वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में स्थापित करती पर हुआ इसका उलट और आज औली और उत्तराखंड इस मुद्दे को सही से नहीं संभालने के कारण पूरे विश्व में बदनाम हुआ हैं|

राज्य सरकार को यह मानना होगा की इस प्रकार के आयोजन उत्तराखंड की आर्थिक स्थिति के लिए बहुत जरूरी है क्योकि इस प्रकार के आयोजनों से राज्य को ढेर सारा राजस्व व लोगो को अल्प रोजगार मिलेगा जो की स्थानीय लोगो को पलायन के लिए हतोस्ताहित करेगा व अन्य लोगो को प्रोत्साहित करेगा जो की पलायान कर चुके है|

होना तो यह चाहिए था की उत्तराखंड सरकार को उच्च न्यायलय में खड़ा होकर इसकी जिम्मेवारी लेनी चाहिए थी की इससे पर्यावरण का कोई भी नुक्सान नहीं होगा तथा यह उत्तराखंड का भविष्य है और हमें इसे प्रोत्साहित करना चाहिए| लेकिन हुआ इसका उलटा सरकार न्यायलय में डरी डरी सी दिखी और मुद्दे को सही से नहीं संभाल सकी जिसका हश्र यह हुआ की औली और उत्तराखंड की चहु और बदनामी हो रही हैं|

200 करोड़ कुछ कम नहीं होते और इस शादी में सरकार को कम से कम 10 करोड़ रूपये करो के रूप में जरूर मिले होंगे और अगर इस मुद्दे को रावत सरकार सही तरीके से संभालती तो राज्य वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में स्थापित होता और यह बाज़ार लाखो करोडो का हैं|

प्रश्न यह हैं की कबतक उत्तराखंड शराब व खनन के राजस्व पर विकास करेगा| सभी को मालूम हैं की खनन में सबसे ज्यादा पर्यावरण का विनाश होता हैं सरकार की नीतियों में खनन चुगान का दिया जाता हैं और होता यह हैं की माफिया बड़ी बड़ी मशीने लगाकर नदी में खुदान करते हैं जिसके कारण नदी के तटो का दायरा बढ़ता जा रहा हैं और नदी पर खड़े पुलों की नीव खोखली होती जा रही हैं जो कभी भी पुलों को ध्वस्त कर सकती हैं|

शराब ने पूरे प्रदेश का बंटाधार किया हैं जन्हा देखो लोग बोतल खोलकर सड़क पर पीने लग जाते हैं| इससे क़ानून व्यवस्था भी ध्वस्त होती हैं व अन्य लोगो पर भी उसका बुरा असर पड़ता हैं| बेहतर हो की सरकार शराब की दुकानों को बंद करके सिर्फ और सिर्फ बार के लाइसेंस दे ताकि लोग केवल पेग के हिसाब से लोगो को मिले इससे ज्यादा पीने की प्रवत्ति पर लगाम लगेगा व अल्प आयु वाले कभी इसका उपभोग नहीं कर पायेंगे| क्योकि लोग बार में जाएंगे तो कुछ खायेंगे भी इससे सरकार को बढ़ा हुआ राजस्व भी मिलेगा व सामजिक पतन पर भी रोक लगेगी|

Trivendra Singh Rawat
Trivendra Singh Rawat

हम सिर्फ विरोध के लिए विरोध करते हैं जैसे की नैनिसार में दी गयी जिंदल को जमीन| लोगो के अनुसार वो गलत था और उसके लिए आन्दोलन भी हुए| शायद ही किसी नो वो क्षेत्र को जाकर देखा होगा की वो कान्हा हैं मैंने देखा हैं वो क्षेत्र व उसने मजखाली में बिडला स्कूल की याद दिला दी क्योकि उस समय भी ऐसा ही हुआ था और हुआ क्या बिडला स्कूल वालो ने फिर कभी स्थानीय लोगो से सामान नहीं लिया| जिससे की उस क्षेत्र का विकास थम सा गया हैं|

भारत में आज CSR को लेकर सारे राज्य उत्साहित हैं और कंपनियों से मिलकर वो उस पैसे को अपने अपने राज्यों में लगवाने को कंपनियों को प्रोत्साहित कर रहे हैं वही उत्तराखंड राज्य ने केवल एक विभाग खोलकर उसकी इतिश्री कर दी| आजतक इस विभाग ने क्या किया? कितनी कंपनियों ने राज्य में CSR फण्ड से पैसा लगाया किसी को नहीं मालूम| आज यह हजारो करोडो रूपये उत्तराखंड की नीतियों के वजह से कोसो दूर होते जा रहे हैं| जबकि इन पैसो से राज्य में स्वास्थ, स्वरोजगार व शिक्षा में अभूतपूर्व परिवर्तन लाया जा सकता था|

अब आपको निर्णय लेना ही पड़ेगा की उत्तराखंड का विकास सेवा आधिरत उद्योगों जैसे की शिक्षा, पर्यटन, कॉल सेण्टर, सॉफ्टवेर उद्योग, आयुर्वेदिक चिकित्सा, योग स्थली, धर्म, साहसी खेल, हिमालयन रैली इत्यादि से होगा या खनन, शराब या प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों से| यह उद्योग प्रदेश में पर्यावरण को नुकसान पहुचा ही रहे हैं साथ ही साथ घरो में अशांति भी पैदा कर रहे हैं| शराब विकास नहीं विनाश का कारण हैं|